വിശുദ്ധ ഖുർആൻ പരിഭാഷ - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - വിവർത്തനങ്ങളുടെ സൂചിക


പരിഭാഷ ആയത്ത്: (43) അദ്ധ്യായം: സൂറത്തുത്തൗബഃ
عَفَا اللّٰهُ عَنْكَ ۚ— لِمَ اَذِنْتَ لَهُمْ حَتّٰی یَتَبَیَّنَ لَكَ الَّذِیْنَ صَدَقُوْا وَتَعْلَمَ الْكٰذِبِیْنَ ۟
अल्लाह ने (ऐ रसूल!) आपके उन्हें पीछे रहने की अनुमति देने के इज्तिहाद (निर्णय) को क्षमा कर दिया। आपने उन्हें इसकी अनुमति क्यों दी? यहाँ तक कि आपके लिए यह स्पष्ट हो जाता कि कौन लोग अपने बहाने में सच्चे हैं और कौन झूठे। ताकि आप उनमें से सच्चे लोगों को अनुमति देते, न कि झूठे लोगों को।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• وجوب الجهاد بالنفس والمال كلما دعت الحاجة.
• जरूरत पड़ने पर जान तथा माल के साथ जिहाद करना वाजिब है।

• الأيمان الكاذبة توجب الهلاك.
• झूठी शपथ विनाश का कारण है।

• وجوب الاحتراز من العجلة، ووجوب التثبت والتأني، وترك الاغترار بظواهر الأمور، والمبالغة في التفحص والتريث.
• जल्दबाज़ी से बचना, ठीक से छानबीन कर लेना, ज़ाहिरी बातों के धोखे में न पड़ना और मामले की तह तक पहुँचना ज़रूरी है।

• من عناية الله بالمؤمنين تثبيطه المنافقين ومنعهم من الخروج مع عباده المؤمنين، رحمة بالمؤمنين ولطفًا من أن يداخلهم من لا ينفعهم بل يضرهم.
• ईमान वालों के लिए अल्लाह की देखभाल, कि उसने मुनाफ़िकों को हतोत्साहित कर दिया और उन्हें अपने मोमिन बंदों के साथ निकलने से रोक दिया, ताकि ऐसे लोग उनके साथ शामिल न हो सकें, जो उनके लिए लाभकारी होने के बजाय हानिकारक सिद्ध हों।

 
പരിഭാഷ ആയത്ത്: (43) അദ്ധ്യായം: സൂറത്തുത്തൗബഃ
സൂറത്തുകളുടെ സൂചിക പേജ് നമ്പർ
 
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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