ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌߘߊ - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - ߘߟߊߡߌߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ


ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߟߝߊߙߌ ߘߏ߫: (22) ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߟߞߌߛߍ ߟߎ߬ ߝߐߘߊ
اِلٰهُكُمْ اِلٰهٌ وَّاحِدٌ ۚ— فَالَّذِیْنَ لَا یُؤْمِنُوْنَ بِالْاٰخِرَةِ قُلُوْبُهُمْ مُّنْكِرَةٌ وَّهُمْ مُّسْتَكْبِرُوْنَ ۟
तुम्हारा सत्य पूज्य केवल एक है, जिसका कोई साझी नहीं और वह अल्लाह है। वे लोग जो बदले के लिए दोबारा जीवितकर उठाए जाने पर ईमान नहीं रखते, उनके दिल अल्लाह के भय से खाली होने के कारण अल्लाह के एकत्व का इनकार करते हैं। अतः वे हिसाब या दंड पर ईमान नहीं रखते हैं। तथा वे अभिमानी हैं, जो सत्य को स्वीकार नहीं करते हैं और न ही उसके आगे झुकते हैं।
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• في الآيات من أصناف نعم الله على العباد شيء عظيم، مجمل ومفصل، يدعو الله به العباد إلى القيام بشكره وذكره ودعائه.
• इन आयतों में बंदों पर अल्लाह की बहुत सारी नेमतों का ज़िक्र हुआ है। कुछ सार रूप से और कुछ विस्तार के साथ। जिसके द्वारा अल्लाह बंदों को उसका शुक्रिया अदा करने, उसका स्मरण करने और उसी को पुकारने के लिए आमंत्रित करता है।

• طبيعة الإنسان الظلم والتجرُّؤ على المعاصي والتقصير في حقوق ربه، كَفَّار لنعم الله، لا يشكرها ولا يعترف بها إلا من هداه الله.
• इनसान का स्वभाव अत्याचार करना, पाप करने का साहस दिखाना और अपने रब के अधिकारों को अदा करने में कोताही करना है। वह अल्लाह की नेमतों का बहुत इनकार करने वाला है। वह न उनका शुक्रिया अदा करता है और न ही उन्हें स्वीकार करता है, सिवाय उसके जिसे अल्लाह मार्गदर्शन प्रदान कर दे।

• مساواة المُضِلِّ للضال في جريمة الضلال؛ إذ لولا إضلاله إياه لاهتدى بنظره أو بسؤال الناصحين.
• गुमराही के जुर्म में, गुमराह करने वाले को गुमराह होने वाले के बराबर रखा गया है; क्योंकि यदि वह उसे गुमराह न करता, तो वह खुद सोच-विचार करके या सदुपदेशकों से पूछकर सही रास्ता पा जाता।

• أَخْذ الله للمجرمين فجأة أشد نكاية؛ لما يصحبه من الرعب الشديد، بخلاف الشيء الوارد تدريجيًّا.
• अल्लाह का अपराधियों को अचानक पकड़ना, अधिक गंभीर सज़ा है। क्योंकि धीरे-धीरे आने वाली चीज़ के विपरीत, इसमें अधिक दहशत और डर पाया जाता है।

 
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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