ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌߘߊ - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - ߘߟߊߡߌߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ


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فَاَصْبَحَ فِی الْمَدِیْنَةِ خَآىِٕفًا یَّتَرَقَّبُ فَاِذَا الَّذِی اسْتَنْصَرَهٗ بِالْاَمْسِ یَسْتَصْرِخُهٗ ؕ— قَالَ لَهٗ مُوْسٰۤی اِنَّكَ لَغَوِیٌّ مُّبِیْنٌ ۟
जब उनसे एक क़िब्ती का क़त्ल हो गया, तो उन्होंने नगर में डरते हुए सुबह की, इस इंतज़ार में कि अब क्या होगा। अचानक क्या देखते हैं कि वही व्यक्ति जिसने कल उनसे अपने क़िब्ती दुश्मन के विरुद्ध सहायता माँगी थी, आज एक अन्य क़िब्ती के ख़िलाफ़ उनसे मदद माँग रहा है। मूसा ने उससे कहा : निश्चय तू एक स्पष्ट और खुला गुमराह है।
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• الاعتراف بالذنب من آداب الدعاء.
• अपराध स्वीकार करना दुआ के शिष्टाचार में से एक है।

• الشكر المحمود هو ما يحمل العبد على طاعة ربه، والبعد عن معصيته.
• प्रशंसनीय आभार वह है जो बंदे को अपने रब की आज्ञा मानने और उसकी अवज्ञा करने से दूर रहने पर आमादा करे।

• أهمية المبادرة إلى النصح خاصة إذا ترتب عليه إنقاذ مؤمن من الهلاك.
• अच्छी सलाह देने में जल्दी करने का महत्व। विशेष रूप से यदि उसपर किसी मोमिन को विनाश से बचाना निष्कर्षित होता हो।

• وجوب اتخاذ أسباب النجاة، والالتجاء إلى الله بالدعاء.
• बचाव का उपाय करने के साथ-साथ दुआ के माध्यम से अल्लाह का सहारा लेने की आवश्यकता।

 
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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