ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌߘߊ - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - ߘߟߊߡߌߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ


ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߟߝߊߙߌ ߘߏ߫: (47) ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߡߏ߬ߛߏ ߟߎ߬ ߝߐߘߊ
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ اٰمِنُوْا بِمَا نَزَّلْنَا مُصَدِّقًا لِّمَا مَعَكُمْ مِّنْ قَبْلِ اَنْ نَّطْمِسَ وُجُوْهًا فَنَرُدَّهَا عَلٰۤی اَدْبَارِهَاۤ اَوْ نَلْعَنَهُمْ كَمَا لَعَنَّاۤ اَصْحٰبَ السَّبْتِ ؕ— وَكَانَ اَمْرُ اللّٰهِ مَفْعُوْلًا ۟
ऐ यहूदियो और ईसाइयो, जिन्हें किताब दी गई है, उस पुस्तक पर ईमान लाओ, जो हमने मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर उतारी है, जो तुम्हारे पास मौजूद तौरात एवं इंजील की पुष्टि करने हेतु आए हैं, इससे पहले कि हम चेहरों में मौजूद इंद्रियों को मिटा दें, और उन्हें उनके पीछे की दिशा में बना दें, या हम उन्हें अल्लाह की दया से वैसे ही निष्कासित कर दें, जैसे हमने शनिवार वालों को उससे निष्कासित किया था, जिन्होंने शनिवार के दिन शिकार से मनाही के बावजूद उसमें शिकार किया था। जिसके कारण अल्लाह ने उन्हें बंदर बना दिया। और अल्लाह का आदेश और उसका फ़ैसला अनिवार्य रूप से पूरा होकर रहता है।
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• كفاية الله للمؤمنين ونصره لهم تغنيهم عما سواه.
• मोमिनों के लिए अल्लाह की पर्याप्तता और उसकी मदद के बाद उन्हें किसी और की ज़रूरत नहीं रहती।

• بيان جرائم اليهود، كتحريفهم كلام الله، وسوء أدبهم مع رسوله صلى الله عليه وسلم، وتحاكمهم إلى غير شرعه سبحانه.
• यहूदियों के अपराधों का वर्णन, जैसे कि अल्लाह के शब्दों को विकृत करना, अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथ अभद्र व्यवहार करना और अल्लाह की शरीयत के अलावा किसी और के पास फैसला के लिए जाना।

• بيان خطر الشرك والكفر، وأنه لا يُغْفر لصاحبه إذا مات عليه، وأما ما دون ذلك فهو تحت مشيئة الله تعالى.
• शिर्क एवं कुफ़्र (बहुदेववाद और अविश्वास) के खतरे का बयान, और यह कि शिर्क या कुफ़्र की हालत में मर जाने वाले को क्षमा नहीं किया जाएगा। रहा मामला इनसे कमतर गुनाह का, तो वह अल्लाह तआला की इच्छा के अधीन है।

 
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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