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سَیَصْلٰی نَارًا ذَاتَ لَهَبٍ ۟ۙ
जल्द ही वह लपट वाली आग में दाख़िल होगा।[2]
2. (1-2) यह आयतें उसकी इस्लाम को दबाने की योजना के विफल हो जाने की भविष्यवाणी हैं। और संसार ने देखा कि अभी इन आयतों के उतरे कुछ वर्ष ही हुए थे कि 'बद्र' की लड़ाई में मक्के के बड़े-बड़े वीर प्रमुख मारे गए। और 'अबू लहब' को इस खबर से इतना दुःख हुआ कि उसके सातवें दिन मर गया। और मरा भी ऐसे कि उसे मलगिनानत पुसतुले (प्लेग जैसा कोई रोग) की बामारी लग गई। और छूत के भय से उसे अलग फेंक दिया गया। कोई उसके पास नहीं जाता था। मृत्यु के बाद भी तीन दिन तक उसका शव पड़ा रहा। और जब उसमें गंध होने लगी, तो उसे दूर से लकड़ी से एक गढ़े में डाल दिया गया। और ऊपर से मिट्टी और पत्थर डाल दिए गए। और क़ुरआन की यह भविष्यवाणी पूरी हुई। और जैसा कि आयत संख्या 2 में कहा गया उसका धन और उसकी कमाई उसके कुछ काम नहीं आई। उसकी कमाई से उद्देश्य अधिकतर भाष्यकारों ने 'उसकी संतान' लिया है। जैसा कि सह़ीह ह़दीसों में आया है कि तुम्हारी संतान तुम्हारी उत्तम कमाई है।
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