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وَیُسَبِّحُ الرَّعْدُ بِحَمْدِهٖ وَالْمَلٰٓىِٕكَةُ مِنْ خِیْفَتِهٖ ۚ— وَیُرْسِلُ الصَّوَاعِقَ فَیُصِیْبُ بِهَا مَنْ یَّشَآءُ وَهُمْ یُجَادِلُوْنَ فِی اللّٰهِ ۚ— وَهُوَ شَدِیْدُ الْمِحَالِ ۟ؕ
और बादल की गरज, अल्लाह की प्रशंसा के साथ उसकी पवित्रता का वर्णन करती है, और फ़रिश्ते भी उसके भय से (उसकी पवित्रता का गुणगान करते हैं)। और वह कड़कने वाली बिजलियाँ भेजता है, फिर उन्हें जिसपर चाहता है, गिरा देता है, जबकि वे अल्लाह के बारे में झगड़ रहे होते हैं, और वह बहुत शक्ति वाला है।[5]
5. अर्थात जैसे कोई प्यासा पानी की ओर हाथ फैलाकर प्रार्थना करे कि मेरे मुँह में आ जा, तो न पानी में सुनने की शक्ति है न उसके मुँह तक पहुँचने की। ऐसे ही काफ़िर, अल्लाह के सिवा जिनको पुकारते हैं, न उनमें सुनने की शक्ति है और न वे उनकी सहायता करने का सामर्थ्य रखते हैं।
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