ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌߘߊ - ߤߌ߲ߘߌߞߊ߲ ߘߟߊߡߌߘߊ * - ߘߟߊߡߌߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ

XML CSV Excel API
Please review the Terms and Policies

ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߟߝߊߙߌ ߘߏ߫: (2) ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߖߎߡߊ ߝߐߘߊ
هُوَ الَّذِیْ بَعَثَ فِی الْاُمِّیّٖنَ رَسُوْلًا مِّنْهُمْ یَتْلُوْا عَلَیْهِمْ اٰیٰتِهٖ وَیُزَكِّیْهِمْ وَیُعَلِّمُهُمُ الْكِتٰبَ وَالْحِكْمَةَ ۗ— وَاِنْ كَانُوْا مِنْ قَبْلُ لَفِیْ ضَلٰلٍ مُّبِیْنٍ ۟ۙ
वही है, जिसने अनपढ़ों[1] के अंदर उन्हीं में से एक रसूल भेजा, जो उन्हें अल्लाह की आयतें पढ़कर सुनाता है, उन्हें पवित्र करता है तथा उन्हें पुस्तक (क़ुरआन) एवं हिकमत[2] (सुन्नत) की शिक्षा देता है, निःसंदेह वे इससे पहले खुली गुमराही में थे।
1. अनपढ़ों से अभिप्राय अरब हैं। अर्थात जो अह्ले किताब नहीं हैं। भावार्थ यह है कि पहले रसूल इसराईल की संतति में आते रहे। और अब अंतिम रसूल इसमाईल की संतति में आया है। जो अल्लाह की पुस्तक क़ुरआन पढ़ कर सुनाते हैं। यह केवल अरबों के नबी नहीं पूरे मनुष्य जाति के नबी हैं। 2. सुन्नत जिसके लिए ह़िक्मत शब्द आया है उससे अभिप्राय साधारण परिभाषा में नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की ह़दीस, अर्थात आपका कथन और कर्म इत्यादि है।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
 
ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߟߝߊߙߌ ߘߏ߫: (2) ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߖߎߡߊ ߝߐߘߊ
ߝߐߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ ߞߐߜߍ ߝߙߍߕߍ
 
ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌߘߊ - ߤߌ߲ߘߌߞߊ߲ ߘߟߊߡߌߘߊ - ߘߟߊߡߌߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ

ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߘߟߊߡߌߘߊ ߤߌ߲ߘߌߞߊ߲ ߘߐ߫߸ ߊ߳ߺߊ߬ߺߗ߭ߺߌ߯ߺߗ߭ߎ߫ ߊ.ߟߑߤ߭ߊߞ߫ߞ߫ߌ߫ ߊ.ߟߑߊ߳ߡߊߙߌ߮ ߟߊ߫ ߘߟߊߡߌߘߊ ߟߋ߬.

ߘߊߕߎ߲߯ߠߌ߲