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ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌߘߊ - ߟߊߘߛߏߣߍ߲" ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐߦߌߘߊ ߘߐ߫ ߤߌߣߘߌߞߊ߲ ߘߐ߫ * - ߘߟߊߡߌߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ


ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߛߎߘߐߛߣߍߡߊ   ߟߝߊߙߌ ߘߏ߫:
قُلْ كُوْنُوْا حِجَارَةً اَوْ حَدِیْدًا ۟ۙ
(ऐ रसूल!) आप उनसे कह दें : (ऐ बहुदेववादियो!) यदि तुम्हारे वश में है, तो कठोरता में पत्थर बन जाओ, या शक्ति में लोहा हो जाओ, जबकि तुम ऐसा कभी नहीं कर सकोगे।
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اَوْ خَلْقًا مِّمَّا یَكْبُرُ فِیْ صُدُوْرِكُمْ ۚ— فَسَیَقُوْلُوْنَ مَنْ یُّعِیْدُنَا ؕ— قُلِ الَّذِیْ فَطَرَكُمْ اَوَّلَ مَرَّةٍ ۚ— فَسَیُنْغِضُوْنَ اِلَیْكَ رُءُوْسَهُمْ وَیَقُوْلُوْنَ مَتٰی هُوَ ؕ— قُلْ عَسٰۤی اَنْ یَّكُوْنَ قَرِیْبًا ۟
या उन दोनों से बड़ी कोई और रचना हो जाओ, जो तुम्हारे दिलों में बड़ी मालूम होती हो। फिर भी अल्लाह तुम्हें लौटाएगा, जैसे पहली बार किया था और तुम्हें पुनर्जीवित करेगा, जैसे तुम्हें पहली बार पैदा किया था। इसपर ये हठधर्मी लोग कहेंगे : हमारी मृत्यु के बाद कौन हमें दोबारा जीवित करेगा? आप उनसे कह दें : वही तुम्हें दोबारा लौटाएगा जिसने तुम्हें पहली बार पूर्व उदाहरण के बिना पैदा किया था। फिर वे आपके उत्तर का मज़ाक़ उड़ाते हुए अपने सिर हिलाएँगे और उसे असंभव समझते हुए कहेंगे : यह लौटाना कब होगा? आप उनसे कह दें : शायद यह निकट है। क्योंकि जो भी आने वाला है, वह निकट ही है।
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یَوْمَ یَدْعُوْكُمْ فَتَسْتَجِیْبُوْنَ بِحَمْدِهٖ وَتَظُنُّوْنَ اِنْ لَّبِثْتُمْ اِلَّا قَلِیْلًا ۟۠
अल्लाह तुम्हें उस दिन दोबारा जीवित करेगा, जिस दिन वह तुम्हें मह़्शर (प्रलय) की भूमि पर बुलाएगा, तो तुम उसके आदेश का पालन करते हुए, उसकी प्रशंसा करते हुए, उसके बुलावे का जवाब दोगो और सोचोगे कि तुम थोड़े समय के लिए ही पृथ्वी पर रहे हो।
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وَقُلْ لِّعِبَادِیْ یَقُوْلُوا الَّتِیْ هِیَ اَحْسَنُ ؕ— اِنَّ الشَّیْطٰنَ یَنْزَغُ بَیْنَهُمْ ؕ— اِنَّ الشَّیْطٰنَ كَانَ لِلْاِنْسَانِ عَدُوًّا مُّبِیْنًا ۟
(ऐ रसूल) आप मुझपर ईमान रखने वाले मेरे बंदों से कह दें कि वे वार्तालाप करते समय अच्छी बात कहें और घृणा पैदा करने वाली बुरी बात से बचें। क्योंकि शैतान उसका अनुचित लाभ उठाता है और उनके बीच झगड़ा लगाने का प्रयास करता है, जो उनके सांसारिक तथा आख़िरत के जीवन को खराब कर देता। निःसंदेह शैतान तो मनुष्य का खुला हुआ दुश्मन है। इसलिए मनुष्य को उससे बचना जाए।
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رَبُّكُمْ اَعْلَمُ بِكُمْ ؕ— اِنْ یَّشَاْ یَرْحَمْكُمْ اَوْ اِنْ یَّشَاْ یُعَذِّبْكُمْ ؕ— وَمَاۤ اَرْسَلْنٰكَ عَلَیْهِمْ وَكِیْلًا ۟
(ऐ लोगो!) तुम्हारा पालनहार तुम्हें सबसे अधिक जानता है। अतः उससे तुम्हारी कोई चीज़ छिपी नहीं है। यदि वह तुमपर दया करना चाहे, तो दया करे इस प्रकार कि तुम्हें ईमान और अच्छे कार्य की तौफीक़ प्रदान कर दे। और यदि वह तुम्हें सज़ा देना चाहे, तो सज़ा दे इस प्रकार कि तुम्हे ईमान से वंचित कर दे और तुम्हें कुफ्र की अवस्था में मृत्यु दे। और (ऐ रसूल!) हमने आपको उनपर संरक्षक (ज़िम्मेदार) बनाकर नहीं भेजा है कि आप उन्हें ईमान लाने पर मजबूर करें और कुफ्र से रोकें और उनके कार्यों को गिन-गिनकर रखें। आपका काम तो केवल अल्लाह की ओर से उस संदेश को पहुँचा देना है, जिसे पहुँचाने का आपको आदेश दिया गया है।
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وَرَبُّكَ اَعْلَمُ بِمَنْ فِی السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ؕ— وَلَقَدْ فَضَّلْنَا بَعْضَ النَّبِیّٖنَ عَلٰی بَعْضٍ وَّاٰتَیْنَا دَاوٗدَ زَبُوْرًا ۟
और (ऐ रसूल) आपका पालनहार उन सभी को अच्छी तरह जनता है, जो आकाशों और धरती में हैं तथा वह उनकी स्थितियों को जानता है और यह भी कि वे किस चीज़ के हक़दार हैं। और हमने कुछ नबियों को कुछ पर अनुयायियों की बहुतायत और पुस्तकों के अवतरण के द्वारा श्रेष्ठता प्रदान की तथा दाऊद - अलैहिस्सलाम - को ज़बूर नामक पुस्तक प्रदान की।
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قُلِ ادْعُوا الَّذِیْنَ زَعَمْتُمْ مِّنْ دُوْنِهٖ فَلَا یَمْلِكُوْنَ كَشْفَ الضُّرِّ عَنْكُمْ وَلَا تَحْوِیْلًا ۟
(ऐ रसूल) आप इन मुश्रिकों से कह दीजिए : (ऐ मुश्रिको) यदि तुम्हें कोई कष्ट पहुँचे, तो तुम उन्हें पुकारो जिन्हें तुम अल्लाह के सिवा पूज्य समझते हो। तो वे अपनी विवशता के कारण तुमसे वह कष्ट दूर नहीं कर सकते, और न ही उसे तुमसे हटाकर किसी अन्य की ओर स्थानांतरित कर सकते हैं। और जो विवश हो, वह पूज्य नहीं हो सकता।
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اُولٰٓىِٕكَ الَّذِیْنَ یَدْعُوْنَ یَبْتَغُوْنَ اِلٰی رَبِّهِمُ الْوَسِیْلَةَ اَیُّهُمْ اَقْرَبُ وَیَرْجُوْنَ رَحْمَتَهٗ وَیَخَافُوْنَ عَذَابَهٗ ؕ— اِنَّ عَذَابَ رَبِّكَ كَانَ مَحْذُوْرًا ۟
ये (बहुदेववादी) लोग जिन फरिश्तों और उन जैसों को पुकारते हैं, वे स्वयं उन अच्छे कार्यों की तलाश में रहते हैं, जो उन्हें अल्लाह के निकट कर दें तथा वे प्रतिस्पर्धा करते हैं कि उनमें से कौन आज्ञाकारिता के द्वारा अल्लाह के सबसे निकट हो जाए। तथा वे अल्लाह की दया की आशा रखते हैं और उसकी यातना से डरते हैं। निश्चित रूप से (ऐ रसूल) आपके पालनहार की यातना ऐसी है कि उससे डरना चाहिए।
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وَاِنْ مِّنْ قَرْیَةٍ اِلَّا نَحْنُ مُهْلِكُوْهَا قَبْلَ یَوْمِ الْقِیٰمَةِ اَوْ مُعَذِّبُوْهَا عَذَابًا شَدِیْدًا ؕ— كَانَ ذٰلِكَ فِی الْكِتٰبِ مَسْطُوْرًا ۟
काफिर बस्तियों में से कोई बस्ती या शहर ऐसा नहीं है, जिसके कुफ़्र के कारण हम सांसारिक जीवन ही में उसपर यातना और विनाश न उतारें या उसके कुफ़्र के कारण हम उसे हत्या अथवा अन्य किसी कठोर दंड से पीड़ित न करें। यह विनाश और यातना एक दैवीय निर्णय है, जो लौह़े महफ़ूज़ में अंकित है।
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ߟߝߊߙߌ ߟߎ߫ ߢߊ߬ߕߣߐ ߘߏ߫ ߞߐߜߍ ߣߌ߲߬ ߞߊ߲߬:
• القول الحسن داع لكل خلق جميل وعمل صالح، فإنَّ من ملك لسانه ملك جميع أمره.
• अच्छी बात, हर अच्छी नैतिकता और अच्छे काम के लिए प्रेरित करती है। क्योंकि जो व्यक्ति अपनी ज़ुबान का मालिक होता है, वह अपने सभी मामलों का मालिक होता है।

• فاضل الله بين الأنبياء بعضهم على بعض عن علم منه وحكمة.
• अल्लाह ने अपने ज्ञान तथा हिकमत के आधार पर कुछ नबियों को कुछ नबियों पर श्रेष्ठता दी है।

• الله لا يريد بعباده إلا ما هو الخير، ولا يأمرهم إلا بما فيه مصلحتهم.
• अल्लाह अपने बंदों का भला ही चाहता है और उन्हें केवल उसी बात का आदेश देता है, जिसमें उनका हित हो।

• علامة محبة الله أن يجتهد العبد في كل عمل يقربه إلى الله، وينافس في قربه بإخلاص الأعمال كلها لله والنصح فيها.
• अल्लाह से प्रेम की एक निशानी यह है कि बंदा हर उस काम को करने में भरपूर प्रयास करता है, जो उसे अल्लाह से निकट करता है, तथा सभी कार्यों को अल्लाह के लिए विशुद्ध करके उसकी निकटता में प्रतिस्पर्धा करता है।

 
ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߛߎߘߐߛߣߍߡߊ
ߝߐߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ ߞߐߜߍ ߝߙߍߕߍ
 
ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌߘߊ - ߟߊߘߛߏߣߍ߲" ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐߦߌߘߊ ߘߐ߫ ߤߌߣߘߌߞߊ߲ ߘߐ߫ - ߘߟߊߡߌߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ

ߡߍ߲ ߝߘߊߣߍ߲߫ ߞߎ߬ߙߊ߬ߣߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߕߌߙߌ߲ߠߌ߲ ߝߊ߲ߓߊ ߟߊ߫

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