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ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߛߎߘߐߛߣߍߡߊ   ߟߝߊߙߌ ߘߏ߫:
مَنْ كَانَ یُرِیْدُ الْعَاجِلَةَ عَجَّلْنَا لَهٗ فِیْهَا مَا نَشَآءُ لِمَنْ نُّرِیْدُ ثُمَّ جَعَلْنَا لَهٗ جَهَنَّمَ ۚ— یَصْلٰىهَا مَذْمُوْمًا مَّدْحُوْرًا ۟
जो व्यक्ति नेकी के कामों से सांसारिक जीवन का इरादा रखता है, और आख़िरत पर ईमान नहीं रखता और न ही उसकी कोई परवाह करता है, तो हम उसे दुनिया में वह चीज़ जल्द प्रदान कर देते हैं जो हम चाहते हैं, न कि जो नेमतें वह चाहता है, जिसके साथ हम ऐसा करना चाहते हैं। फिर हमने उसके लिए जहन्नम तैयार कर रखी है, जिसमें वह क़ियामत के दिन प्रवेश करके उसकी गर्मी को सहन करेगा, वह दुनिया को अपनी पसंद बनाने और आखिरत का इनकार करने पर निंदित होगा और अल्लाह की दया से निष्कासित कर दिया गया होगा।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَمَنْ اَرَادَ الْاٰخِرَةَ وَسَعٰی لَهَا سَعْیَهَا وَهُوَ مُؤْمِنٌ فَاُولٰٓىِٕكَ كَانَ سَعْیُهُمْ مَّشْكُوْرًا ۟
और जिस व्यक्ति ने अपने नेक कर्मों से आखिरत के प्रतिफल का इरादा किया और उसके लिए दिखावा और प्रसिद्धि से दूर रहकर प्रयास किया, जबकि वह उन चीज़ों पर ईमान रखने वाला हो, जिनपर ईमान लाना अल्लाह ने अनिवार्य किया है, तो यही इन गुणों से सुसज्जित लोग ही हैं जिनका प्रयास अल्लाह के निकट स्वीकृत होगा और वह उन्हें उसका बदला देगा।
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كُلًّا نُّمِدُّ هٰۤؤُلَآءِ وَهٰۤؤُلَآءِ مِنْ عَطَآءِ رَبِّكَ ؕ— وَمَا كَانَ عَطَآءُ رَبِّكَ مَحْظُوْرًا ۟
हम - ऐ रसूल - आपके पालनहार के अनुदान से बिना किसी रुकावट के इन दोनों पक्षों में से प्रत्येक नेक और दुष्ट को प्रदान करते रहते हैं। और इस दुनिया में आपके पालनहार का अनुदान किसी से रोका नहीं गया है, चाहे वह नेक हो या बुरा।
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اُنْظُرْ كَیْفَ فَضَّلْنَا بَعْضَهُمْ عَلٰی بَعْضٍ ؕ— وَلَلْاٰخِرَةُ اَكْبَرُ دَرَجٰتٍ وَّاَكْبَرُ تَفْضِیْلًا ۟
(ऐ रसूल) आप विचार करें कि हमने इस दुनिया में जीविका और पद (दर्जे) के मामले में उनमें से कुछ को दूसरों पर किस प्रकार श्रेष्ठता प्रदान की है। और निश्चित रूप से आख़िरत, सांसारिक जीवन की तुलना में, नेमतों के दर्जों में बहुत अधिक अंतर वाली और श्रेष्ठता के एतिबार से बहुत बढ़कर है। अतः मोमिन को उसके लिए उत्सुक होना चाहिए।
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لَا تَجْعَلْ مَعَ اللّٰهِ اِلٰهًا اٰخَرَ فَتَقْعُدَ مَذْمُوْمًا مَّخْذُوْلًا ۟۠
(ऐ बंदे) अल्लाह के साथ कोई अन्य पूज्य बनाकर उसकी पूजा मत कर। यदि ऐसा किया, तो तू अल्लाह के निकट निंदित हो जाएगा, उसके सदाचारी बंदों के निकट तेरी प्रशंसा नहीं की जाएगी, तथा उसकी ओर से उपेक्षित होगा, तेरा कोई मददगार नहीं होगा।
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وَقَضٰی رَبُّكَ اَلَّا تَعْبُدُوْۤا اِلَّاۤ اِیَّاهُ وَبِالْوَالِدَیْنِ اِحْسَانًا ؕ— اِمَّا یَبْلُغَنَّ عِنْدَكَ الْكِبَرَ اَحَدُهُمَاۤ اَوْ كِلٰهُمَا فَلَا تَقُلْ لَّهُمَاۤ اُفٍّ وَّلَا تَنْهَرْهُمَا وَقُلْ لَّهُمَا قَوْلًا كَرِیْمًا ۟
(ऐ बंदे) तेरे पालनहार ने आदेश दिया है और अनिवार्य कर दिया है कि उसके सिवा किसी और की उपासना न की जाए। तथा उसने माता-पिता के साथ अच्छा व्यवहार करने का आदेश दिया है, विशेष रूप से उनके वृद्धावस्था में पहुँचने पर। यदि माता-पिता में से कोई एक अथवा दोनों बुढ़ापे को पहुँच जाएँ, तो उनसे उकताकर 'उफ़' तक न कहो, न उन्हें झिड़को और न उन्हें कठोर बात कहो। बल्कि उनसे ऐसी बात कहो जिसमें नरमी और दयालुता हो।
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وَاخْفِضْ لَهُمَا جَنَاحَ الذُّلِّ مِنَ الرَّحْمَةِ وَقُلْ رَّبِّ ارْحَمْهُمَا كَمَا رَبَّیٰنِیْ صَغِیْرًا ۟ؕ
और उनके प्रति दया-भाव और विनति के साथ विनम्रता अपनाओ और (दुआ करते हुए) कहो : ऐ मेरे पालनहार! तू उन दोनों पर दया कर, क्योंकि उन्होंने बचपन में मेरा पालन-पोषण किया है।
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رَبُّكُمْ اَعْلَمُ بِمَا فِیْ نُفُوْسِكُمْ ؕ— اِنْ تَكُوْنُوْا صٰلِحِیْنَ فَاِنَّهٗ كَانَ لِلْاَوَّابِیْنَ غَفُوْرًا ۟
(ऐ लोगो) तुम्हारे दिलों में इबादत और भलाई के कार्यों तथा माता-पिता के साथ सद्व्यवहार के प्रति जो निष्ठा (इख़्लास) है, तुम्हारा पालनहार उसे खूब जानता है। यदि तुम्हारी इबादत और अपने माता-पिता के साथ तुम्हारे व्यवहार आदि में तुम्हारे इरादे नेक हैं, तो अल्लाह उन लोगों को क्षमा करने वाला है, जो तौबा करके उसकी ओर पलटने वाले हैं। अतः जो व्यक्ति अल्लाह की इबादत या अपने माता-पिता की सेवा में अपनी पिछली कोताही से तौबा कर ले, तो अल्लाह उसे क्षमा कर देता है।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَاٰتِ ذَا الْقُرْبٰی حَقَّهٗ وَالْمِسْكِیْنَ وَابْنَ السَّبِیْلِ وَلَا تُبَذِّرْ تَبْذِیْرًا ۟
(ऐ ईमान वाले) रिश्तेदार को उसकी रिश्तेदारी का हक़ दे। तथा ज़रूरतमंद निर्धन को दे और ऐसे ही उस यात्री को दे, जो अपनी यात्रा में फँस गया है। और अपना धन पाप में, या फालतू में खर्च न कर।
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اِنَّ الْمُبَذِّرِیْنَ كَانُوْۤا اِخْوَانَ الشَّیٰطِیْنِ ؕ— وَكَانَ الشَّیْطٰنُ لِرَبِّهٖ كَفُوْرًا ۟
निश्चित रूप से अपना धन गुनाह के कामों में खर्च करने वाले तथा खर्च करने में अपव्ययता से काम लेने वाले, शैतान के भाई हैं, जो अपव्यय और फिज़ूलखर्ची करने में उनके आदेशों का पालन करते हैं। और शैतान अपने पालनहार का बहुत नाशुक्रा है। वह केवल वही काम करता है, जिसमें पाप हो तथा वह उसी चीज़ का आदेश देता है, जिससे उसका पालनहार क्रोधित हो।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
ߟߝߊߙߌ ߟߎ߫ ߢߊ߬ߕߣߐ ߘߏ߫ ߞߐߜߍ ߣߌ߲߬ ߞߊ߲߬:
• ينبغي للإنسان أن يفعل ما يقدر عليه من الخير وينوي فعل ما لم يقدر عليه؛ ليُثاب على ذلك.
• इनसान को चाहिए कि जो अच्छा कार्य करने में वह सक्षम है, उसे करे, और जिसे करने में वह असमर्थ है, उसकी नीयत रखे, ताकि उसे उसका भी सवाब मिले।

• أن النعم في الدنيا لا ينبغي أن يُسْتَدل بها على رضا الله تعالى؛ لأنها قد تحصل لغير المؤمن، وتكون عاقبته المصير إلى عذاب الله.
• दुनिया में प्राप्त नेमतों को अल्लाह की प्रसन्नता का प्रमाण नहीं बनाया जाना चाहिए, क्योंकि यह एक अविश्वासी (ग़ैर-मोमिन) को भी प्राप्त हो सकती है, लेकिन उसका परिणाम अल्लाह का अज़ाब होता है।

• الإحسان إلى الوالدين فرض لازم واجب، وقد قرن الله شكرهما بشكره لعظيم فضلهما.
• माता-पिता के साथ अच्छा व्यवहार आवश्यक, अनिवार्य और ज़रूरी है। उन दोनों के महान प्रतिष्ठा को दर्शाने के लिए, अल्लाह तआला ने उनका शुक्रिया अदा करने का उल्लेख अपना शुक्रिया अदा करने के आदेश के साथ किया है।

• يحرّم الإسلام التبذير، والتبذير إنفاق المال في غير حقه.
• इस्लाम ने अपव्यय को हराम (निषिद्ध) घोषित किया है और अपव्यय का मतलब है धन को अनुचित (बेजा) खर्च करना।

 
ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߛߎߘߐߛߣߍߡߊ
ߝߐߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ ߞߐߜߍ ߝߙߍߕߍ
 
ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌߘߊ - ߟߊߘߛߏߣߍ߲" ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐߦߌߘߊ ߘߐ߫ ߤߌߣߘߌߞߊ߲ ߘߐ߫ - ߘߟߊߡߌߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ

ߡߍ߲ ߝߘߊߣߍ߲߫ ߞߎ߬ߙߊ߬ߣߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߕߌߙߌ߲ߠߌ߲ ߝߊ߲ߓߊ ߟߊ߫

ߘߊߕߎ߲߯ߠߌ߲