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د قرآن کریم د معناګانو ژباړه - هندي ژبې ته د المختصر في تفسیر القرآن الکریم ژباړه. * - د ژباړو فهرست (لړلیک)


د معناګانو ژباړه سورت: هود   آیت:
اَمْ یَقُوْلُوْنَ افْتَرٰىهُ ؕ— قُلْ فَاْتُوْا بِعَشْرِ سُوَرٍ مِّثْلِهٖ مُفْتَرَیٰتٍ وَّادْعُوْا مَنِ اسْتَطَعْتُمْ مِّنْ دُوْنِ اللّٰهِ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِیْنَ ۟
बल्कि क्या मुश्रिक लोग यह कहते हैं कि मुहम्मद ने कुरआन स्वयं गढ़ लिया है और यह अल्लाह की वह़्य नहीं है। (ऐ रसूल) आप उन्हें चुनौती देते हुए कह दीजिए : तुम भी इस कुरआन के समान गढ़ी हुई दस सूरतें ले आओ, जिनमें तुम उस क़ुरआन की तरह सच्चाई का पालन न करो, जिसके बारे में तुम्हारा दावा है कि वह गढ़ा हुआ है। तथा तुम जिसे भी बुला सकते हो, बुला लो; ताकि इस काम पर उसकी मदद ले सको, यदि तुम अपने इस दावा में सच्चे हो कि कुरआन गढ़ा हुआ है।
عربي تفسیرونه:
فَاِلَّمْ یَسْتَجِیْبُوْا لَكُمْ فَاعْلَمُوْۤا اَنَّمَاۤ اُنْزِلَ بِعِلْمِ اللّٰهِ وَاَنْ لَّاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ ۚ— فَهَلْ اَنْتُمْ مُّسْلِمُوْنَ ۟
यदि वे तुम्हारी माँग पूरी न करें क्योंकि वे ऐसा करने में सक्षम नहीं है, तो (ऐ ईमान वालो) निश्चित रूप से जान लो कि अल्लाह ने क़ुरआन को अपने रसूल पर अपने ज्ञान के साथ उतारा है और यह मनगढ़ंत नहीं है। तथा यह भी ज्ञान में रखो कि अल्लाह के सिवा कोई सत्य पूज्य नहीं। अब क्या तुम इन निश्चित तर्कों के बाद उसके आगे झुकने को तैयार हो?
عربي تفسیرونه:
مَنْ كَانَ یُرِیْدُ الْحَیٰوةَ الدُّنْیَا وَزِیْنَتَهَا نُوَفِّ اِلَیْهِمْ اَعْمَالَهُمْ فِیْهَا وَهُمْ فِیْهَا لَا یُبْخَسُوْنَ ۟
जो व्यक्ति अपने कर्म से सांसारिक जीवन और उसका नश्वर आनंद चाहता है, वह उससे आख़िरत का इरादा नहीं रखता, हम उन्हें उनके कर्मों का बदला इसी दुनिया में स्वास्थ्य, शांति और आजीविका में विस्तार के रूप में दे देते हैं, उनके कार्य के प्रतिफल में कुछ भी कमी नहीं की जाती।
عربي تفسیرونه:
اُولٰٓىِٕكَ الَّذِیْنَ لَیْسَ لَهُمْ فِی الْاٰخِرَةِ اِلَّا النَّارُ ۖؗ— وَحَبِطَ مَا صَنَعُوْا فِیْهَا وَبٰطِلٌ مَّا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟
इस प्रकार का निंदित इरादा रखने वाले लोगों के लिए क़ियामत के दिन आग के सिवा कोई अन्य बदला नहीं है, जिसमें वे प्रवेश करेंगे और उनके कर्मों का प्रतिफल अकारथ हो जाएगा तथा उनके कार्य बरबाद हो जाएँगे। क्योंकि वे दुनिया में ईमान वाले नहीं थे और उनका इरादा सही नहीं था। चुनाँचे अपने कर्मों से उनका उद्देश्य अल्लाह की प्रसन्नता तथा आख़िरत नहीं था।
عربي تفسیرونه:
اَفَمَنْ كَانَ عَلٰی بَیِّنَةٍ مِّنْ رَّبِّهٖ وَیَتْلُوْهُ شَاهِدٌ مِّنْهُ وَمِنْ قَبْلِهٖ كِتٰبُ مُوْسٰۤی اِمَامًا وَّرَحْمَةً ؕ— اُولٰٓىِٕكَ یُؤْمِنُوْنَ بِهٖ ؕ— وَمَنْ یَّكْفُرْ بِهٖ مِنَ الْاَحْزَابِ فَالنَّارُ مَوْعِدُهٗ ۚ— فَلَا تَكُ فِیْ مِرْیَةٍ مِّنْهُ ۗ— اِنَّهُ الْحَقُّ مِنْ رَّبِّكَ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَ النَّاسِ لَا یُؤْمِنُوْنَ ۟
पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम, जिनके पास उनके पालनहार की ओर से प्रमाण है और उनके समर्थन हेतु उनके पालनहार की ओर से एक साक्षी जिबरील अलैहिस्सलाम भी मौजूद हैं। तथा इससे पहले उनकी नुबुव्वत की गवाही वह तौरात भी देती है, जो मूसा अलैहिस्सलाम पर लोगों के लिए आदर्श तथा दया के रूप में उतारी गई थी। वह और उनके साथ ईमान लाने वाले लोग, उन काफिरों के समान नहीं हो सकते, जो गुमराही में भटक रहे हैं। वे लोग क़ुरआन पर तथा मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर विश्वास रखते हैं, जिनपर क़ुरआन उतरा है। उन समूहों में से जो भी उसका इनकार करेगा, क़ियामत के दिन उसके वादा की जगह (ठिकाना) दोज़ख है। अतः (ऐ रसूल!) आप कुरआन के बारे में और उन लोगों के ठिकाने के संबंध में संदेह न करें। क्योंकि यह ऐसा सत्य है जो संदेह से परे है। लेकिन अधिकतर लोग स्पष्ट सबूतों और खुले प्रमाणों के बाद भी ईमान नहीं लाते।
عربي تفسیرونه:
وَمَنْ اَظْلَمُ مِمَّنِ افْتَرٰی عَلَی اللّٰهِ كَذِبًا ؕ— اُولٰٓىِٕكَ یُعْرَضُوْنَ عَلٰی رَبِّهِمْ وَیَقُوْلُ الْاَشْهَادُ هٰۤؤُلَآءِ الَّذِیْنَ كَذَبُوْا عَلٰی رَبِّهِمْ ۚ— اَلَا لَعْنَةُ اللّٰهِ عَلَی الظّٰلِمِیْنَ ۟ۙ
उस व्यक्ति से बढ़कर अत्याचारी कोई नहीं है, जो अल्लाह की ओर साझी अथवा संतान की निस्बत करके उसपर झूठ गढ़े। जो लोग अल्लाह पर झूठ गढते हैं, उन्हें क़ियामत के दिन उनके पालनहार के समक्ष उनके कर्मों के बारे में पूछने के लिए प्रस्तुत किया जाएगा। फरिश्तों तथा रसूलों में से उनके विरद्ध गवाही देने वाले कहेंगे : यही वे लोग हैं, जिन्होंने अल्लाह पर उसकी ओर साझी तथा बेटे की निस्बत करके झूठ गढ़ा था। सुन लो, अल्लाह पर झूठ गढ़कर स्वयं पर अत्याचार करने वालों को अल्लाह ने अपनी दया से निष्कासित कर दिया।
عربي تفسیرونه:
الَّذِیْنَ یَصُدُّوْنَ عَنْ سَبِیْلِ اللّٰهِ وَیَبْغُوْنَهَا عِوَجًا ؕ— وَهُمْ بِالْاٰخِرَةِ هُمْ كٰفِرُوْنَ ۟
जो लोगों को अल्लाह के सीधे रास्ते से रोकते हैं और चाहते हैं कि उसका मार्ग सही दिशा से मुड़ जाए, ताकि उसपर कोई न चले। तथा वे मृत्यु के बाद पुनर्जीवित किए जाने का इनकार करते और उसे नहीं मानते हैं।
عربي تفسیرونه:
په دې مخ کې د ایتونو د فایدو څخه:
• تحدي الله تعالى للمشركين بالإتيان بعشر سور من مثل القرآن، وبيان عجزهم عن الإتيان بذلك.
• अल्लाह तआला का मुश्रिकों को कुरआन जैसी दस सूरतें लाने की चुनौती और ऐसा करने में उनकी असमर्थता का वर्णन

• إذا أُعْطِي الكافر مبتغاه من الدنيا فليس له في الآخرة إلّا النار.
• जब काफ़िर को दुनिया से उसकी इच्छाओं को दे दिया गया, तो उसके लिए आख़िरत में आग के सिवा कुछ भी नहीं है।

• عظم ظلم من يفتري على الله الكذب وعظم عقابه يوم القيامة.
• जो अल्लाह पर झूठा आरोप लगाए, वह बहुत बड़ा अत्याचारी है और क़यामत के दिन बहुत बड़ी सज़ा का सामना करेगा।

 
د معناګانو ژباړه سورت: هود
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د مرکز تفسیر للدراسات القرآنیة لخوا خپور شوی.

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