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د قرآن کریم د معناګانو ژباړه - هندي ژبې ته د المختصر في تفسیر القرآن الکریم ژباړه. * - د ژباړو فهرست (لړلیک)


د معناګانو ژباړه سورت: نساء   آیت:
وَمَا كَانَ لِمُؤْمِنٍ اَنْ یَّقْتُلَ مُؤْمِنًا اِلَّا خَطَأً ۚ— وَمَنْ قَتَلَ مُؤْمِنًا خَطَأً فَتَحْرِیْرُ رَقَبَةٍ مُّؤْمِنَةٍ وَّدِیَةٌ مُّسَلَّمَةٌ اِلٰۤی اَهْلِهٖۤ اِلَّاۤ اَنْ یَّصَّدَّقُوْا ؕ— فَاِنْ كَانَ مِنْ قَوْمٍ عَدُوٍّ لَّكُمْ وَهُوَ مُؤْمِنٌ فَتَحْرِیْرُ رَقَبَةٍ مُّؤْمِنَةٍ ؕ— وَاِنْ كَانَ مِنْ قَوْمٍ بَیْنَكُمْ وَبَیْنَهُمْ مِّیْثَاقٌ فَدِیَةٌ مُّسَلَّمَةٌ اِلٰۤی اَهْلِهٖ وَتَحْرِیْرُ رَقَبَةٍ مُّؤْمِنَةٍ ۚ— فَمَنْ لَّمْ یَجِدْ فَصِیَامُ شَهْرَیْنِ مُتَتَابِعَیْنِ ؗ— تَوْبَةً مِّنَ اللّٰهِ ؕ— وَكَانَ اللّٰهُ عَلِیْمًا حَكِیْمًا ۟
किसी मोमिन के लिए यह उचित नहीं है कि किसी मोमिन की हत्या करे, परन्तु यह कि चूक से ऐसा हो जाए। जो व्यक्ति गलती से किसी मोमिन की हत्या कर दे, वह अपने कृत्य के कफ़्फ़ारा के तौर पर एक मोमिन गुलाम आज़ाद करे और हत्यारे के वारिस रिश्तेदार हत व्यक्ति के वारिसों को दियत (खून की क़ीमत) दें। लेकिन अगर हत व्यकित के वारिस खून के पैसे माफ कर दें, तो दियत समाप्त हो जाएगी। यदि हत व्यक्ति तुमसे युद्ध कने वाली क़ौम से हो, और वह स्वयं मोमिन हो, तो हत्यारे पर (केवल) एक मोमिन ग़ुलाम आज़ाद करना अनिवार्य है, उसपर दियत अनिवार्य नहीं है। तथा यदि हत व्यक्ति ईमान वाला न हो, लेकिन वह ऐसी क़ौम से हो कि तुम्हारे और उनके बीच ज़िम्मियों की तरह कोई प्रतिज्ञा और समझौता हो, तो हत्यारे के वारिस रिश्तेदारों पर हत व्यक्ति के वारिसों को ख़ून की क़ीमत देना अनिवार्य है और हत्यारे को अपने कृत्य के कफ़्फ़ारा के तौर पर एक मोमिन ग़ुलाम आज़ाद करना होगा। यदि उसे आज़ाद करने के लिए ग़ुलाम न मिले अथवा वह ग़ुलाम की क़ीमत भुगतान करने में सक्षम न हो, तो वह लगातार दो महीने बिना किसी बाधा के इस तरह रोज़े रखे कि उनके बीच (बिना किसी कारण के) रोज़ा न तोड़े। ये प्रावधान इसलिए हैं, ताकि अल्लाह उसके किए को क्षमा कर दे। अल्लाह अपने बंदों के कृत्यों और उनके इरादों से अवगत, अपने विधान और प्रबंधन में हिकमत वाला है।
عربي تفسیرونه:
وَمَنْ یَّقْتُلْ مُؤْمِنًا مُّتَعَمِّدًا فَجَزَآؤُهٗ جَهَنَّمُ خَلِدًا فِیْهَا وَغَضِبَ اللّٰهُ عَلَیْهِ وَلَعَنَهٗ وَاَعَدَّ لَهٗ عَذَابًا عَظِیْمًا ۟
जो व्यक्ति किसी मोमिन को बिना किसी हक़ के जान-बूझकर क़त्ल कर दे; तो उसका बदला जहन्नम में प्रवेश है, जिसमें वह हमेशा के लिए रहेगा, यदि उसने उसे हलाल समझा या उससे तौबा नहीं किया। तथा अल्लाह उसपर क्रोधित है और उसे अपनी दया से निष्कासित कर दिया। तथा उसके इस महान पाप को करने के कारण, उसके लिए बड़ा अज़ाब तैयार कर रखा है।
عربي تفسیرونه:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اِذَا ضَرَبْتُمْ فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ فَتَبَیَّنُوْا وَلَا تَقُوْلُوْا لِمَنْ اَلْقٰۤی اِلَیْكُمُ السَّلٰمَ لَسْتَ مُؤْمِنًا ۚ— تَبْتَغُوْنَ عَرَضَ الْحَیٰوةِ الدُّنْیَا ؗ— فَعِنْدَ اللّٰهِ مَغَانِمُ كَثِیْرَةٌ ؕ— كَذٰلِكَ كُنْتُمْ مِّنْ قَبْلُ فَمَنَّ اللّٰهُ عَلَیْكُمْ فَتَبَیَّنُوْا ؕ— اِنَّ اللّٰهَ كَانَ بِمَا تَعْمَلُوْنَ خَبِیْرًا ۟
ऐ अल्लाह पर ईमान रखने वालो और उसके रसूल का अनुसरण करने वालो! जब तुम अल्लाह के मार्ग में जिहाद के लिए निकलो, तो छानबीन कर लिया करो कि किससे युद्ध कर रहे हो और जो तुम्हें अपने मुसलमान होने का सबूत दिखाए, उसे यह न कहो कि तुम मोमिन नहीं हो, बल्कि तुम केवल अपनी जान एवं माल की रक्षा के लिए मुसलमान होने का प्रदर्शन कर रहे हो। फिर तुम ग़नीमत के धन जैसे दुनिया के तुच्छ सामानों के लोभ में उसकी हत्या कर दो! सुनो, अल्लाह के पास बहुत-सी ग़नीमतें हैं, जो इससे बेहतर और बड़ी हैं। इससे पहले तुम भी इसी व्यक्ति की तरह थे, जो अपनी क़ौम से अपना ईमान छिपा रहा है। फिर अल्लाह ने इस्लाम की दौलत प्रदानकर तुमपर उपकार किया और तुम्हारे रक्त की रक्षा की। इसलिए छानबीन कर लिया करो। यक़ीनन अल्लाह से तुम्हारा कोई छोटे से छोटा कार्य भी छिपा नहीं है और वह तुम्हें उसका बदला देगा।
عربي تفسیرونه:
په دې مخ کې د ایتونو د فایدو څخه:
• جاء القرآن الكريم معظِّمًا حرمة نفس المؤمن، وناهيًا عن انتهاكها، ومرتبًا على ذلك أشد العقوبات.
• क़ुरआन करीम ने मोमिन की जान की पवित्रता का सम्मान किया है, उसकी पवित्रता का उल्लंघन करने से मना किया है और ऐसा करने पर सबसे कठोर दंड निर्धारित किया है।

• من عقيدة أهل السُّنَّة والجماعة أن المؤمن القاتل لا يُخلَّد أبدًا في النار، وإنما يُعذَّب فيها مدة طويلة ثم يخرج منها برحمة الله تعالى.
• अह्ले सुन्नत वल-जमाअत का यह अक़ीदा है कि हत्या करने वाला मोमिन जहन्नम में हमेशा नहीं रहेगा, बल्कि उसे लंबे समय उसमें यातना दी जाएगी, फिर अल्लाह की दया से वह उससे बाहर निकलेगा।

• وجوب التثبت والتبيُّن في الجهاد، وعدم الاستعجال في الحكم على الناس حتى لا يُعتدى على البريء.
• जिहाद में छानबीन और जाँच-पड़ताल करना ज़रूरी है, तथा लोगों पर हुक्म लगाने में जल्दबाज़ी नहीं करना चाहिए, ताकि निर्दोष पर अतिक्रमण न हो।

 
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د مرکز تفسیر للدراسات القرآنیة لخوا خپور شوی.

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