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د قرآن کریم د معناګانو ژباړه - هندي ژبې ته د المختصر في تفسیر القرآن الکریم ژباړه. * - د ژباړو فهرست (لړلیک)


د معناګانو ژباړه سورت: مائده   آیت:
وَالَّذِیْنَ كَفَرُوْا وَكَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَاۤ اُولٰٓىِٕكَ اَصْحٰبُ الْجَحِیْمِ ۟
जिन लोगों ने अल्लाह के साथ कुफ़्र किया तथा उसकी आयतों को झुठलाया, वही लोग आग वाले हैं जो अपने कुफ़्र और झुठलाने की सज़ा के रूप में उसमें प्रवेश करेंगे, जिसमें वे सदैव रहेंगे जैसे साथी अपने साथी के साथ हमेशा लगा रहता है।
عربي تفسیرونه:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوا اذْكُرُوْا نِعْمَتَ اللّٰهِ عَلَیْكُمْ اِذْ هَمَّ قَوْمٌ اَنْ یَّبْسُطُوْۤا اِلَیْكُمْ اَیْدِیَهُمْ فَكَفَّ اَیْدِیَهُمْ عَنْكُمْ ۚ— وَاتَّقُوا اللّٰهَ ؕ— وَعَلَی اللّٰهِ فَلْیَتَوَكَّلِ الْمُؤْمِنُوْنَ ۟۠
ऐ ईमान वालो! अपने दिलों से तथा अपनी ज़बानों से अल्लाह के इस उपकार को याद करो कि उसने तुम्हें सुरक्षा प्रदान की और तुम्हारे दुश्मनों के दिलों में भय डाल दिया, जब उन्होंने तुम्हें पकड़ने और तुम्हारा उन्मूलन करने के लिए तुम्हारी ओर हाथ बढ़ाना चाहा। चुनाँचे अल्लाह ने उन्हें तुमसे फेर दिया और तुम्हें उनसे बचा लिया। तथा अल्लाह के आदेशों का पालन करके तथा उसके निषेधों से बचकर उससे डरो। तथा मोमिनों को चाहिए कि वे अपने धार्मिक और सांसारिक हितों की प्राप्ति में केवल अल्लाह पर भरोसा करें।
عربي تفسیرونه:
وَلَقَدْ اَخَذَ اللّٰهُ مِیْثَاقَ بَنِیْۤ اِسْرَآءِیْلَ ۚ— وَبَعَثْنَا مِنْهُمُ اثْنَیْ عَشَرَ نَقِیْبًا ؕ— وَقَالَ اللّٰهُ اِنِّیْ مَعَكُمْ ؕ— لَىِٕنْ اَقَمْتُمُ الصَّلٰوةَ وَاٰتَیْتُمُ الزَّكٰوةَ وَاٰمَنْتُمْ بِرُسُلِیْ وَعَزَّرْتُمُوْهُمْ وَاَقْرَضْتُمُ اللّٰهَ قَرْضًا حَسَنًا لَّاُكَفِّرَنَّ عَنْكُمْ سَیِّاٰتِكُمْ وَلَاُدْخِلَنَّكُمْ جَنّٰتٍ تَجْرِیْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ ۚ— فَمَنْ كَفَرَ بَعْدَ ذٰلِكَ مِنْكُمْ فَقَدْ ضَلَّ سَوَآءَ السَّبِیْلِ ۟
निश्चय अल्लाह ने बनी इसराईल से उस बात का दृढ़ वचन लिया, जिसका शीघ्र ही उल्लेख किया जाएगा, तथा उसने उनपर बारह प्रमुख नियुक्त किए, जिनमें से प्रत्येक अपने अधीन रहने वालों की देखरेख करते थे। तथा अल्लाह ने बनी इसराईल से कहा : मैं सहायता और समर्थन के द्वारा तुम्हारे साथ हूँ, यदि तुम सबसे पूर्ण तरीक़े से नमाज़ अदा करते रहे, अपने धनों की ज़कात देते रहे, मेरे सभी रसूलों को उनके बीच भेदभाव (अंतर) किए बिना सत्य माना, उनका सम्मान किया, उनकी सहायता की और भले कामों पर खर्च किया। यदि तुमने यह सब किया, तो निश्चय मैं उन बुराइयों को तुमसे अवश्य दूर कर दूँगा, जो तुमने की हैं, तथा मैं क़ियामत के दिन तुम्हें ऐसे बाग़ों में अवश्य प्रवेश दूँगा, जिनके महलों के नीचे से नहरें बहती हैं। फिर जिसने इस दृढ़ वचन लिए जाने के बाद कुफ़्र किया, तो निश्चय वह जानबूझकर सत्य के मार्ग से अलग हो गया।
عربي تفسیرونه:
فَبِمَا نَقْضِهِمْ مِّیْثَاقَهُمْ لَعَنّٰهُمْ وَجَعَلْنَا قُلُوْبَهُمْ قٰسِیَةً ۚ— یُحَرِّفُوْنَ الْكَلِمَ عَنْ مَّوَاضِعِهٖ ۙ— وَنَسُوْا حَظًّا مِّمَّا ذُكِّرُوْا بِهٖ ۚ— وَلَا تَزَالُ تَطَّلِعُ عَلٰی خَآىِٕنَةٍ مِّنْهُمْ اِلَّا قَلِیْلًا مِّنْهُمْ فَاعْفُ عَنْهُمْ وَاصْفَحْ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ یُحِبُّ الْمُحْسِنِیْنَ ۟
उनके उस वचन का उल्लंघन करने के कारण, जो उनसे लिया गया था, हमने उन्हें अपनी दया से निष्कासित कर दिया, तथा उनके दिलों को कठोर और सख़्त बना दिया, जिस तक न तो कोई अच्छाई पहुँचती है और न ही उसे कोई नसीहत लाभ देती है। वे (अल्लाह के) शब्दों को उनके स्थानों से फेर देते हैं, इस प्रकार कि उनके शब्दों को बदल देते हैं और उनके अर्थों की व्याख्या इस तरह करते हैं जो उनकी इच्छाओं से मेल खाती है। तथा उन्होंने उनमें से कुछ बातों पर अमल करना छोड़ दिया, जिनका उन्हें उपदेश दिया गया था। (ऐ रसूल!) आपके पास उनकी अल्लाह तथा उसके मोमिन बंदों के साथ किसी न किसी विश्वासघात की ख़बर आती रहेगी। परंतु उनमें से कुछ लोगों को छोड़कर, जिन्होंने उस वचन को पूरा किया, जो उनसे लिया गया था। अतः आप उन्हें क्षमा कर दें, उनकी पकड़ न करें और उन्हें माफ़ कर दें। क्योंकि यह उपकार में से है और अल्लाह उपकार करने वालों से प्रेम करता है।
عربي تفسیرونه:
په دې مخ کې د ایتونو د فایدو څخه:
• من عظيم إنعام الله عز وجل على النبي عليه الصلاة والسلام وأصحابه أن حماهم وكف عنهم أيدي أهل الكفر وضررهم.
• अल्लाह तआ़ला का नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम तथा आपके साथियों पर एक बहुत बड़ा उपकार यह है कि उसने उनकी रक्षा की तथा काफ़िरों के हाथों और नुक़सान से उन्हें बचाया।

• أن الإيمان بالرسل ونصرتهم وإقامة الصلاة وإيتاء الزكاة على الوجه المطلوب، سببٌ عظيم لحصول معية الله تعالى وحدوث أسباب النصرة والتمكين والمغفرة ودخول الجنة.
• रसूलों पर ईमान लाना, उनकी सहायता करना, अपेक्षित तरीक़े से नमाज़ क़ायम करना और ज़कात देना, अल्लाह का साथ प्राप्त होने, तथा विजय एवं सशक्तिकरण के कारण घटित होने, क्षमा और जन्नत में प्रवेश पाने का एक महान कारण है।

• نقض المواثيق الملزمة بطاعة الرسل سبب لغلظة القلوب وقساوتها.
• उन वचनों को तोड़ना जो रसूलों के आज्ञापालन को अनिवार्य करने वाले हैं, दिलों की कठोरता और उनकी सख़्ती का कारण है।

• ذم مسالك اليهود في تحريف ما أنزل الله إليهم من كتب سماوية.
• अल्लाह की उतारी हुई दिव्य पुस्तकों में परिवर्तन करने के बारे में यहूदियों के रवैये (आचार-व्यवहार) की निंदा।

 
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د مرکز تفسیر للدراسات القرآنیة لخوا خپور شوی.

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