د قرآن کریم د معناګانو ژباړه - هندي ژباړه * - د ژباړو فهرست (لړلیک)

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د معناګانو ژباړه آیت: (1) سورت: الإسراء

सूरा अल्-इस्रा

سُبْحٰنَ الَّذِیْۤ اَسْرٰی بِعَبْدِهٖ لَیْلًا مِّنَ الْمَسْجِدِ الْحَرَامِ اِلَی الْمَسْجِدِ الْاَقْصَا الَّذِیْ بٰرَكْنَا حَوْلَهٗ لِنُرِیَهٗ مِنْ اٰیٰتِنَا ؕ— اِنَّهٗ هُوَ السَّمِیْعُ الْبَصِیْرُ ۟
पवित्र है वह (अल्लाह) जो अपने बंदे[1] को रातों-रात मस्जिदे-हराम (काबा) से मस्जिदे-अक़सा तक ले गया, जिसके चारों ओर हमने बरकत रखी है। ताकि हम उसे अपनी कुछ निशानियाँ दिखाएँ। निःसंदेह वह सब कुछ सुनने वाला, सब कुछ देखने वाला है।
1. अर्थात मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को। इस आयत में उस सुप्रसिद्ध सत्य की चर्चा की गई है जो नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से संबंधित है। जिसे परिभाषिक रूप से "इस्रा" कहा जाता है। जिसका अर्थ है : रात की यात्रा। इसका सविस्तार विवरण ह़दीसों में किया गया है। भाष्यकारों के अनुसार हिजरत के कुछ पहले अल्लाह ने आपको रात्रि के कुछ भाग में मक्का से मस्जिदे-अक़सा तक, जो फ़िलस्तीन में है, यात्रा कराई। आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का कथन है कि जब मक्का के मिश्रणवादियों ने मुझे झुठलाया, तो मैं ह़िज्र में (जो काबा का एक भाग है) खड़ा हो गया। और अल्लाह ने बैतुल मक़्दिस को मेरे लिए खोल दिया। और मैं उन्हें उसकी निशानियाँ देखकर बताने लगा। (सह़ीह़ बुख़ारी, ह़दीस : 4710)
عربي تفسیرونه:
 
د معناګانو ژباړه آیت: (1) سورت: الإسراء
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په هندي ژبه د قرآن کریم د معناګانو ژباړه، د عزیز الحق عمري لخوا ژباړل شوی.

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