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د قرآن کریم د معناګانو ژباړه - هندي ژباړه - عزيز الحق عمري * - د ژباړو فهرست (لړلیک)

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د معناګانو ژباړه سورت: بقره   آیت:
وَاِذْ قَالَ رَبُّكَ لِلْمَلٰٓىِٕكَةِ اِنِّیْ جَاعِلٌ فِی الْاَرْضِ خَلِیْفَةً ؕ— قَالُوْۤا اَتَجْعَلُ فِیْهَا مَنْ یُّفْسِدُ فِیْهَا وَیَسْفِكُ الدِّمَآءَ ۚ— وَنَحْنُ نُسَبِّحُ بِحَمْدِكَ وَنُقَدِّسُ لَكَ ؕ— قَالَ اِنِّیْۤ اَعْلَمُ مَا لَا تَعْلَمُوْنَ ۟
और (ऐ नबी! याद कीजिए) जब आपके पालनहार ने फ़रिश्तों से कहा कि मैं धरती में एक ख़लीफ़ा[14] बनाने वाला हूँ। उन्होंने कहा : क्या तू उसमें उसको बनाएगा, जो उसमें उपद्रव करेगा तथा बहुत रक्तपात करेगा, जबकि हम तेरी प्रशंसा के साथ तेरा गुणगान करते और तेरी पवित्रता का वर्णन करते हैं। (अल्लाह ने) फरमाया : निःसंदेह मैं जानता हूँ जो तुम नहीं जानते।
14. इब्ने कसीर के अनुसार, ख़लीफ़ा का अर्थ है : वे लोग जो पीढ़ी दर पीढ़ी एक-दूसरे के उत्तराधिकारी होंगे।
عربي تفسیرونه:
وَعَلَّمَ اٰدَمَ الْاَسْمَآءَ كُلَّهَا ثُمَّ عَرَضَهُمْ عَلَی الْمَلٰٓىِٕكَةِ فَقَالَ اَنْۢبِـُٔوْنِیْ بِاَسْمَآءِ هٰۤؤُلَآءِ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِیْنَ ۟
और उस (अल्लाह) ने आदम[15] को सभी नाम सिखा दिए, फिर उन्हें फ़रिश्तों के समक्ष प्रस्तुत किया, फिर फरमाया : मुझे इनके नाम बताओ, यदि तुम सच्चे हो।
15. आदम प्रथम मनु का नाम।
عربي تفسیرونه:
قَالُوْا سُبْحٰنَكَ لَا عِلْمَ لَنَاۤ اِلَّا مَا عَلَّمْتَنَا ؕ— اِنَّكَ اَنْتَ الْعَلِیْمُ الْحَكِیْمُ ۟
उन्होंने कहा : तू पवित्र है। हमें कुछ ज्ञान नहीं परंतु जो तूने हमें सिखाया। निःसंदेह तू ही सब कुछ जानने वाला, पूर्ण हिकमत[16] वाला है।
16. हिकमत वाला : अर्थात जो भेद तथा रहस्य को जानता हो।
عربي تفسیرونه:
قَالَ یٰۤاٰدَمُ اَنْۢبِئْهُمْ بِاَسْمَآىِٕهِمْ ۚ— فَلَمَّاۤ اَنْۢبَاَهُمْ بِاَسْمَآىِٕهِمْ ۙ— قَالَ اَلَمْ اَقُلْ لَّكُمْ اِنِّیْۤ اَعْلَمُ غَیْبَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ۙ— وَاَعْلَمُ مَا تُبْدُوْنَ وَمَا كُنْتُمْ تَكْتُمُوْنَ ۟
(अल्लाह ने) फरमाया : ऐ आदम! उन्हें इनके नाम बताओ। तो जब उस (आदम) ने उन्हें उनके नाम बता दिए, तो अल्लाह ने कहा : क्या मैंने तुमसे नहीं कहा था कि निःसंदेह मैं ही आकाशों तथा धरती की छिपी बातों को जानता हूँ तथा जानता हूँ जो कुछ तुम ज़ाहिर करते हो और जो कुछ तुम छिपाते हो।
عربي تفسیرونه:
وَاِذْ قُلْنَا لِلْمَلٰٓىِٕكَةِ اسْجُدُوْا لِاٰدَمَ فَسَجَدُوْۤا اِلَّاۤ اِبْلِیْسَ ؕ— اَبٰی وَاسْتَكْبَرَ وَكَانَ مِنَ الْكٰفِرِیْنَ ۟
और जब हमने फ़रिश्तों से कहा : आदम को सजदा करो, तो उन्होंने सजदा किया सिवाय इबलीस के। उसने इनकार किया और अभिमान किया और काफ़िरों में से हो गया।
عربي تفسیرونه:
وَقُلْنَا یٰۤاٰدَمُ اسْكُنْ اَنْتَ وَزَوْجُكَ الْجَنَّةَ وَكُلَا مِنْهَا رَغَدًا حَیْثُ شِئْتُمَا ۪— وَلَا تَقْرَبَا هٰذِهِ الشَّجَرَةَ فَتَكُوْنَا مِنَ الظّٰلِمِیْنَ ۟
और हमने कहा : ऐ आदम! तुम और तुम्हारी पत्नी जन्नत में निवास करो और दोनों उसमें से जहाँ से चाहो वहाँ से (आराम और) बहुतायत से खाओ। और तुम दोनों इस वृक्ष के क़रीब न जाना, अन्यथा तुम दोनों अत्याचारियों में से हो जाओगे।
عربي تفسیرونه:
فَاَزَلَّهُمَا الشَّیْطٰنُ عَنْهَا فَاَخْرَجَهُمَا مِمَّا كَانَا فِیْهِ ۪— وَقُلْنَا اهْبِطُوْا بَعْضُكُمْ لِبَعْضٍ عَدُوٌّ ۚ— وَلَكُمْ فِی الْاَرْضِ مُسْتَقَرٌّ وَّمَتَاعٌ اِلٰی حِیْنٍ ۟
तो शैतान ने दोनों को उससे फिसला दिया, चुनाँचे उन्हें उससे निकाल दिया, जिसमें वे दोनों थे और हमने कहा : उतर जाओ, तुम एक-दूसरे के शत्रु हो और तुम्हारे लिए धरती में एक समय[17] तक ठहरना तथा लाभ उठाना है।
17. अर्थात अपनी निश्चित आयु तक सांसारिक जीवन के संसाधन से लाभान्वित होना है।
عربي تفسیرونه:
فَتَلَقّٰۤی اٰدَمُ مِنْ رَّبِّهٖ كَلِمٰتٍ فَتَابَ عَلَیْهِ ؕ— اِنَّهٗ هُوَ التَّوَّابُ الرَّحِیْمُ ۟
फिर आदम ने अपने पालनहार से कुछ शब्द सीख लिए, तो उसने उसकी तौबा क़बूल कर ली। निश्चय वही है जो बहुत तौबा क़बूल करने वाला, अत्यंत दयावान्[18] है।
18. आयत का भावार्थ यह है कि आदम ने कुछ शब्द सीखे और उनके द्वारा क्षमा याचना की, तो अल्लाह ने उसे क्षमा कर दिया। आदम के उन शब्दों की व्याख्या भाष्यकारों ने इन शब्दों से की है : "आदम तथा ह़व्वा दोनों ने कहा : हे हमारे पालनहार! हमने अपने प्राणों पर अत्याचार कर लिया और यदि तूने हमें क्षमा और हम पर दया नहीं की, तो हम क्षतिग्रस्तों में हो जाएँगे।" (सूरतुल आराफ, आयत :23)
عربي تفسیرونه:
 
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ژباړه: عزيز الحق عمري.

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