د قرآن کریم د معناګانو ژباړه - هندي ژباړه * - د ژباړو فهرست (لړلیک)

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د معناګانو ژباړه سورت: الحج   آیت:

सूरा अल्-ह़ज्ज

یٰۤاَیُّهَا النَّاسُ اتَّقُوْا رَبَّكُمْ ۚ— اِنَّ زَلْزَلَةَ السَّاعَةِ شَیْءٌ عَظِیْمٌ ۟
ऐ लोगो! अपने पालनहार से डरो। निःसंदेह क़ियामत (प्रलय) का भूकंप बहुत बड़ी चीज़ है।
عربي تفسیرونه:
یَوْمَ تَرَوْنَهَا تَذْهَلُ كُلُّ مُرْضِعَةٍ عَمَّاۤ اَرْضَعَتْ وَتَضَعُ كُلُّ ذَاتِ حَمْلٍ حَمْلَهَا وَتَرَی النَّاسَ سُكٰرٰی وَمَا هُمْ بِسُكٰرٰی وَلٰكِنَّ عَذَابَ اللّٰهِ شَدِیْدٌ ۟
जिस दिन तुम उसे देखोगे, (हाल यह होगा कि) हर दूध पिलाने वाली उससे ग़ाफ़िल हो जाएगी जिसे उसने दूध पिलाया, और हर गर्भवती अपना गर्भ गिरा देगी, और तू लोगों को नशे में देखेगा, हालाँकि वे नशे में नहीं होंगे, लेकिन अल्लाह की यातना बहुत कठोर है।
1. नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया कि अल्लाह प्रलय के दिन कहेगा : ऐ आदम! वह कहेंगे : मैं उपस्थित हूँ। फिर पुकारा जाएगा कि अल्लाह आदेश देता है कि अपनी संतान में से नरक में भेजने के लिए निकालो। वह कहेंगे : कितने? वह कहेगा : हज़ार में से नौ सो निन्नानवे। तो उसी समय गर्भवती अपना गर्भ गिरा देगी और शिशु के बाल सफ़ेद हो जाएँगे। और तुम लोगों को मतवाले समझोगे। जबकि वे मतवाले नहीं होंगे, किंतु अल्लाह की यातना कड़ी होगी। यह बात लोगों को भारी लगी और उनके चेहरे बदल गए। तब आपने कहा : याजूज और माजूज में से नौ सौ निन्नानवे होंगे और तुम में से एक। (संक्षिप्त ह़दीस, बुख़ारी : 4741)
عربي تفسیرونه:
وَمِنَ النَّاسِ مَنْ یُّجَادِلُ فِی اللّٰهِ بِغَیْرِ عِلْمٍ وَّیَتَّبِعُ كُلَّ شَیْطٰنٍ مَّرِیْدٍ ۟ۙ
और लोगों में से कोई वह है, जो अल्लाह के विषय में कुछ जाने बिना झगड़ता है और प्रत्येक सरकश शैतान का अनुसरण करता है।
عربي تفسیرونه:
كُتِبَ عَلَیْهِ اَنَّهٗ مَنْ تَوَلَّاهُ فَاَنَّهٗ یُضِلُّهٗ وَیَهْدِیْهِ اِلٰی عَذَابِ السَّعِیْرِ ۟
उसपर लिख दिया गया है कि जो उसे मित्र बनाएगा, तो वह उसे गुमराह करेगा और उसे भड़कती हुई आग (जहन्नम) की यातना का रास्ता दिखाएगा।
عربي تفسیرونه:
یٰۤاَیُّهَا النَّاسُ اِنْ كُنْتُمْ فِیْ رَیْبٍ مِّنَ الْبَعْثِ فَاِنَّا خَلَقْنٰكُمْ مِّنْ تُرَابٍ ثُمَّ مِنْ نُّطْفَةٍ ثُمَّ مِنْ عَلَقَةٍ ثُمَّ مِنْ مُّضْغَةٍ مُّخَلَّقَةٍ وَّغَیْرِ مُخَلَّقَةٍ لِّنُبَیِّنَ لَكُمْ ؕ— وَنُقِرُّ فِی الْاَرْحَامِ مَا نَشَآءُ اِلٰۤی اَجَلٍ مُّسَمًّی ثُمَّ نُخْرِجُكُمْ طِفْلًا ثُمَّ لِتَبْلُغُوْۤا اَشُدَّكُمْ ۚ— وَمِنْكُمْ مَّنْ یُّتَوَفّٰی وَمِنْكُمْ مَّنْ یُّرَدُّ اِلٰۤی اَرْذَلِ الْعُمُرِ لِكَیْلَا یَعْلَمَ مِنْ بَعْدِ عِلْمٍ شَیْـًٔا ؕ— وَتَرَی الْاَرْضَ هَامِدَةً فَاِذَاۤ اَنْزَلْنَا عَلَیْهَا الْمَآءَ اهْتَزَّتْ وَرَبَتْ وَاَنْۢبَتَتْ مِنْ كُلِّ زَوْجٍ بَهِیْجٍ ۟
ऐ लोगो! यदि तुम (मरणोपरांत) उठाए जाने के बारे में किसी संदेह में हो, तो निःसंदेह हमने तुम्हें तुच्छ मिट्टी से पैदा किया, फिर वीर्य की एक बूँद से, फिर रक्त के थक्के से, फिर माँस की एक बोटी से, जो चित्रित तथा चित्र विहीन होती है[2], ताकि हम तुम्हारे लिए (अपनी शक्ति को) स्पष्ट कर[3] दें, और हम जिसे चाहते हैं गर्भाशयों में एक नियत समय तक ठहराए रखते हैं, फिर हम तुम्हें एक शिशु के रूप में निकालते हैं, फिर ताकि तुम अपनी जवानी को पहुँचो, और तुममें से कोई वह है जो उठा लिया जाता है, और तुममें से कोई वह है जो जीर्ण आयु की ओर लौटाया जाता है, ताकि वह जानने के बाद कुछ न जाने। तथा तुम धरती को सूखी (मृत) देखते हो, फिर जब हम उसपर पानी उतारते हैं, तो वह लहलहाती है और उभरती है तथा हर प्रकार की सुदृश्य वनस्पतियाँ उगाती है।
2. अर्थात यह वीर्य चालीस दिन के बाद गाढ़ी रक्त बन जाता है। फिर गोश्त का लोथड़ा बन जाता है। फिर उससे सह़ीह़ सलामत बच्चा बन जाता है। और ऐसे बच्चे में जान फूँक दी जाती है। और अपने समय पर उसकी पैदाइश हो जाती है। और - अल्लाह की इच्छा से - कभी कुछ कारणों के फलस्वरूप ऐसा भी होता है कि खून का वह लोथड़ा अपना सह़ीह़ रूप नहीं धारण कर पाता। और उसमें रूह़ भी नहीं फूँकी जाती। और वह अपने पैदाइश के समय से पहले ही गिर जाता है। सह़ीह़ ह़दीसों में भी माँ के पेट में बच्चे की पैदाइश की इन अवस्थाओं की चर्चा मिलती है। उदाहरण स्वरूप, एक ह़दीस में है कि वीर्य चालीस दिन के बाद गाढ़ा खून बन जाता है। फिर चालीस दिन के बाद लोथड़ा अथवा गोश्त की बोटी बन जाता है। फिर अल्लाह की ओर से एक फ़रिश्ता चार शब्द लेकर आता है : वह संसार में क्या काम करेगा, उसकी आयु कितनी होगी, उसको क्या और कितनी जीविका मिलेगी और वह शुभ होगा अथवा अशुभ। फिर वह उसमें जान डाल देता है। (देखिए : सह़ीह़ बुख़ारी : 3332) अर्थात चार महीने के बाद उसमें जान डाली जाती है। और बच्चा एक सह़ीह़ रूप धारण कर लेता है। इस प्रकार आज जिसको वैज्ञानिकों ने बहुत दौड़-धूप के बाद सिद्ध किया है उसको क़ुरआन ने चौदह सौ साल पूर्व ही बता दिया था। यह इस बात का प्रमाण है कि यह किताब (क़ुरआन) किसी मानव की बनाई हुई नहीं है, बल्कि अल्लाह की ओर से है। 3. अर्थात् अपनी शक्ति तथा सामर्थ्य को।
عربي تفسیرونه:
ذٰلِكَ بِاَنَّ اللّٰهَ هُوَ الْحَقُّ وَاَنَّهٗ یُحْیِ الْمَوْتٰی وَاَنَّهٗ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ قَدِیْرٌ ۟ۙ
यह इसलिए है कि अल्लाह ही सत्य है और (इसलिए कि) वही मुर्दों को जीवित करेगा और (इसलिए कि) वह हर चीज़ पर सर्वशक्तिमान है।
عربي تفسیرونه:
وَّاَنَّ السَّاعَةَ اٰتِیَةٌ لَّا رَیْبَ فِیْهَا ۙ— وَاَنَّ اللّٰهَ یَبْعَثُ مَنْ فِی الْقُبُوْرِ ۟
और (इसलिए कि) क़ियामत आने वाली है, उसमें कोई संदेह नहीं और (इसलिए कि) निश्चय अल्लाह उन लोगों को उठाएगा जो क़ब्रों में हैं।
عربي تفسیرونه:
وَمِنَ النَّاسِ مَنْ یُّجَادِلُ فِی اللّٰهِ بِغَیْرِ عِلْمٍ وَّلَا هُدًی وَّلَا كِتٰبٍ مُّنِیْرٍ ۟ۙ
तथा लोगों में कोई वह है, जो अल्लाह के विषय में, बिना किसी ज्ञान, मार्गदर्शन और प्रकाशमान् किताब के झगड़ा करता है।
عربي تفسیرونه:
ثَانِیَ عِطْفِهٖ لِیُضِلَّ عَنْ سَبِیْلِ اللّٰهِ ؕ— لَهٗ فِی الدُّنْیَا خِزْیٌ وَّنُذِیْقُهٗ یَوْمَ الْقِیٰمَةِ عَذَابَ الْحَرِیْقِ ۟
अपनी गरदन मोड़ने[4] वाला है, ताकि (लोगों को) अल्लाह के मार्ग से भटका दे। उसके लिए दुनिया में अपमान है और क़ियामत के दिन हम उसे जलाने वाली आग की यातना चखाएँगे।
4. अर्थात अभिमान करते हुए।
عربي تفسیرونه:
ذٰلِكَ بِمَا قَدَّمَتْ یَدٰكَ وَاَنَّ اللّٰهَ لَیْسَ بِظَلَّامٍ لِّلْعَبِیْدِ ۟۠
यह उसके कारण है जो तेरे दोनों हाथों ने आगे भेजा और निःसंदेह अल्लाह बंदों पर कुछ भी अत्याचार करने वाला नहीं है।
عربي تفسیرونه:
وَمِنَ النَّاسِ مَنْ یَّعْبُدُ اللّٰهَ عَلٰی حَرْفٍ ۚ— فَاِنْ اَصَابَهٗ خَیْرُ ١طْمَاَنَّ بِهٖ ۚ— وَاِنْ اَصَابَتْهُ فِتْنَةُ ١نْقَلَبَ عَلٰی وَجْهِهٖ ۫ۚ— خَسِرَ الدُّنْیَا وَالْاٰخِرَةَ ؕ— ذٰلِكَ هُوَ الْخُسْرَانُ الْمُبِیْنُ ۟
तथा लोगों में वह (भी) है, जो अल्लाह की इबादत एक किनारे पर रहकर[5] करता है। फिर यदि उसे कोई भलाई पहुँच जाए, तो वह उससे संतुष्ट हो जाता है, और यदि उसे कोई परीक्षा आ पहुँचे, तो मुँह के बल फिर जाता है। वह दुनिया एवं आख़िरत में घाटे में पड़ गया। यही तो खुला घाटा है।
5. अर्थात संदिग्ध होकर।
عربي تفسیرونه:
یَدْعُوْا مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ مَا لَا یَضُرُّهٗ وَمَا لَا یَنْفَعُهٗ ؕ— ذٰلِكَ هُوَ الضَّلٰلُ الْبَعِیْدُ ۟ۚ
वह अल्लाह को छोड़कर उसे पुकारता है, जो न उसे हानि पहुँचाता है और न उसे लाभ पहुँचाता है। यही तो दूर[6] की गुमराही है।
6. अर्थात कोई दुःख होने पर अल्लाह के सिवा दूसरों को पुकारना।
عربي تفسیرونه:
یَدْعُوْا لَمَنْ ضَرُّهٗۤ اَقْرَبُ مِنْ نَّفْعِهٖ ؕ— لَبِئْسَ الْمَوْلٰی وَلَبِئْسَ الْعَشِیْرُ ۟
वह उसे पुकारता है, जिसका नुक़सान उसके लाभ से अधिक निकट है। निःसंदेह वह बुरा संरक्षक तथा निःसंदेह बुरा साथी है।
عربي تفسیرونه:
اِنَّ اللّٰهَ یُدْخِلُ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ جَنّٰتٍ تَجْرِیْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ یَفْعَلُ مَا یُرِیْدُ ۟
निःसंदेह अल्लाह उन्हें, जो ईमान लाए तथा अच्छे कार्य किए, ऐसे बाग़ों में दाख़िल करेगा, जिनके (महलों के) नीचे से नहरें बहती हैं। निःसंदेह अल्लाह जो चहता है, करता है।
عربي تفسیرونه:
مَنْ كَانَ یَظُنُّ اَنْ لَّنْ یَّنْصُرَهُ اللّٰهُ فِی الدُّنْیَا وَالْاٰخِرَةِ فَلْیَمْدُدْ بِسَبَبٍ اِلَی السَّمَآءِ ثُمَّ لْیَقْطَعْ فَلْیَنْظُرْ هَلْ یُذْهِبَنَّ كَیْدُهٗ مَا یَغِیْظُ ۟
जो सोचता है कि अल्लाह दुनिया और आख़िरत में कभी उसकी[7] सहायता नहीं करेगा, तो उसे चाहिए कि आकाश की ओर एक रस्सी लटकाए, फिर काट दे। फिर देखे कि क्या उसका (यह) उपाय उसका क्रोध दूर[8] कर देता है?
7. अर्थात अपने रसूल की। 8. अर्थ यह है कि अल्लाह अपने नबी की सहायता अवश्य करेगा।
عربي تفسیرونه:
وَكَذٰلِكَ اَنْزَلْنٰهُ اٰیٰتٍۢ بَیِّنٰتٍ ۙ— وَّاَنَّ اللّٰهَ یَهْدِیْ مَنْ یُّرِیْدُ ۟
तथा इसी प्रकार हमने इस (क़ुरआन) को खुली आयतों के रूप में उतारा है और यह कि अल्लाह जिसे चाहता है, सीधा रास्ता दिखाता है।
عربي تفسیرونه:
اِنَّ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَالَّذِیْنَ هَادُوْا وَالصّٰبِـِٕیْنَ وَالنَّصٰرٰی وَالْمَجُوْسَ وَالَّذِیْنَ اَشْرَكُوْۤا ۖۗ— اِنَّ اللّٰهَ یَفْصِلُ بَیْنَهُمْ یَوْمَ الْقِیٰمَةِ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ شَهِیْدٌ ۟
निःसंदेह जो लोग ईमान लाए तथा जो यहूदी हुए, तथा साबी और ईसाई और मजूसी तथा वे लोग जिन्होंने शिर्क किया, निश्चय अल्लाह उन सबके बीच क़ियामत के दिन निर्णय[9] कर देगा। निःसंदेह अल्लाह प्रत्येक वस्तु पर गवाह है।
9. अर्थात प्रत्येक को अपने कर्म की वास्तविकता का ज्ञान हो जाएगा।
عربي تفسیرونه:
اَلَمْ تَرَ اَنَّ اللّٰهَ یَسْجُدُ لَهٗ مَنْ فِی السَّمٰوٰتِ وَمَنْ فِی الْاَرْضِ وَالشَّمْسُ وَالْقَمَرُ وَالنُّجُوْمُ وَالْجِبَالُ وَالشَّجَرُ وَالدَّوَآبُّ وَكَثِیْرٌ مِّنَ النَّاسِ ؕ— وَكَثِیْرٌ حَقَّ عَلَیْهِ الْعَذَابُ ؕ— وَمَنْ یُّهِنِ اللّٰهُ فَمَا لَهٗ مِنْ مُّكْرِمٍ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ یَفْعَلُ مَا یَشَآءُ ۟
(ऐ रसूल!) क्या आप नहीं जानते कि अल्लाह ही को सजदा[10] करते हैं, जो कोई आकाशों में हैं तथा जो धरती में हैं और सूर्य, चाँद, तारे, पर्वत, वृक्ष, पशु और बहुत-से मनुष्य। और बहुत-से वे हैं, जिनपर यातना सिद्ध हो चुकी है। और जिसे अल्लाह अपमानित कर दे, फिर उसे कोई सम्मान देने वाला नहीं। निःसंदेह अल्लाह जो चाहता है, करता है।
10. इस आयत में यह बताया जा रहा है कि अल्लाह ही अकेला पूज्य है, उसका कोई साझी नहीं। क्योंकि इस विश्व की सभी उत्पत्ति उसी के आगे झुक रही है और बहुत से मनुष्य भी उसके आज्ञाकारी होकर उसी को सजदा कर रहे हैं। अतः तुम भी उसके आज्ञाकारी होकर उसी के आगे झुको। क्योंकि उसकी अवज्ञा यातना को अनिवार्य कर देती है। और ऐसे व्यक्ति को अपमान के सिवा कुछ हाथ नहीं आएगा।
عربي تفسیرونه:
هٰذٰنِ خَصْمٰنِ اخْتَصَمُوْا فِیْ رَبِّهِمْ ؗ— فَالَّذِیْنَ كَفَرُوْا قُطِّعَتْ لَهُمْ ثِیَابٌ مِّنْ نَّارٍ ؕ— یُصَبُّ مِنْ فَوْقِ رُءُوْسِهِمُ الْحَمِیْمُ ۟ۚ
ये दो पक्ष हैं, जिन्होंने अपने पालनहार के विषय में झगड़ा[11] किया। तो वे लोग जिन्होंने कुफ़्र किया, उनके लिए आग के वस्त्र काटे जा चुके, उनके सिरों के ऊपर से खौलता हुआ पानी डाला जाएगा।
11. अर्थात संसार में कितने ही धर्म क्यों न हों वास्तव में दो ही पक्ष हैं : एक सत्धर्म का विरोधी और दूसरा सत्धर्म का अनुयायी, अर्थात काफ़िर और मोमिन। और प्रत्येक का परिणाम बताया जा रहा है।
عربي تفسیرونه:
یُصْهَرُ بِهٖ مَا فِیْ بُطُوْنِهِمْ وَالْجُلُوْدُ ۟ؕ
उसके साथ पिघला दिया जाएगा जो कुछ उनके पेटों में है और चमड़े भी।
عربي تفسیرونه:
وَلَهُمْ مَّقَامِعُ مِنْ حَدِیْدٍ ۟
और उन्हीं के लिए लोहे के हथौड़े हैं।
عربي تفسیرونه:
كُلَّمَاۤ اَرَادُوْۤا اَنْ یَّخْرُجُوْا مِنْهَا مِنْ غَمٍّ اُعِیْدُوْا فِیْهَا ۗ— وَذُوْقُوْا عَذَابَ الْحَرِیْقِ ۟۠
जब कभी व्याकुल होकर उस (आग) से निकलना चाहेंगे, उसी में लौटा दिए जाएँगे तथा (कहा जाएगा कि) जलने की यातना चखो।
عربي تفسیرونه:
اِنَّ اللّٰهَ یُدْخِلُ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ جَنّٰتٍ تَجْرِیْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ یُحَلَّوْنَ فِیْهَا مِنْ اَسَاوِرَ مِنْ ذَهَبٍ وَّلُؤْلُؤًا ؕ— وَلِبَاسُهُمْ فِیْهَا حَرِیْرٌ ۟
निःसंदेह अल्लाह उन लोगों को, जो ईमान लाए तथा उन्होंने अच्छे कार्य किए, ऐसे बाग़ों में दाख़िल करेगा, जिनके नीचे से नहरें बहती हैं, उनमें उन्हें सोने के कुछ कंगन पहनाए जाएँगे तथा मोती भी, और उनका वस्त्र उसमें रेशम का होगा।
عربي تفسیرونه:
وَهُدُوْۤا اِلَی الطَّیِّبِ مِنَ الْقَوْلِ ۖۗۚ— وَهُدُوْۤا اِلٰی صِرَاطِ الْحَمِیْدِ ۟
तथा उन्हें पवित्र बात[12] का मार्ग दिखा दिया गया और उन्हें प्रशंसित मार्ग[13] दिखा दिया गया।
12. अर्थात स्वर्ग का, जहाँ पवित्र बातें ही होंगी, वहाँ व्यर्थ पाप की बातें नहीं होंगी। 13. अर्थात संसार में इस्लाम तथा क़ुरआन का मार्ग।
عربي تفسیرونه:
اِنَّ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا وَیَصُدُّوْنَ عَنْ سَبِیْلِ اللّٰهِ وَالْمَسْجِدِ الْحَرَامِ الَّذِیْ جَعَلْنٰهُ لِلنَّاسِ سَوَآءَ ١لْعَاكِفُ فِیْهِ وَالْبَادِ ؕ— وَمَنْ یُّرِدْ فِیْهِ بِاِلْحَادٍ بِظُلْمٍ نُّذِقْهُ مِنْ عَذَابٍ اَلِیْمٍ ۟۠
निःसंदेह वे लोग जिन्होंने कुफ़्र किया[14] और वे अल्लाह के मार्ग से और उस मस्जिदे-हराम से रोकते हैं, जिसे हमने सब लोगों के लिए इस तरह बनाया है कि उसमें रहने वाले और बाहर से आने वाले बराबर हैं और जो भी उसमें किसी अत्याचार के साथ सत्य से दूरी का इरादा करेगा, हम उसे दुःखदायी यातना चखाएँगे।[15]
14. इस आयत में मक्का के काफ़िरों को चेतावनी दी गई है, जो नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम और इस्लाम के विरोधी थे और उन्होंने आपको तथा मुसलमानों को "ह़ुदैबिया" के वर्ष मस्जिदे-ह़राम से रोक दिया था। 15. यह मक्का की मुख्य विशेषताओं में से है कि वहाँ रहने वाला अगर कुफ़्र और शिर्क या किसी बिद्अत का विचार भी दिल में लाए, तो उसके लिए घोर यातना है।
عربي تفسیرونه:
وَاِذْ بَوَّاْنَا لِاِبْرٰهِیْمَ مَكَانَ الْبَیْتِ اَنْ لَّا تُشْرِكْ بِیْ شَیْـًٔا وَّطَهِّرْ بَیْتِیَ لِلطَّآىِٕفِیْنَ وَالْقَآىِٕمِیْنَ وَالرُّكَّعِ السُّجُوْدِ ۟
तथा (वह समय याद करो) जब हमने इबराहीम के लिए इस घर का स्थान[16] निर्धारित कर दिया (और उसे आदेश दिया) कि किसी को मेरा साझी न बनाना, तथा मेरे घर का तवाफ़ (परिक्रमा) करने वालों, क़ियाम करने वालों तथा रुकू' और सजदा करने वालों के लिए पवित्र रखना।
16. अर्थात उसका निर्माण करने के लिए। क्योंकि नूह़ (अलैहिस्सलाम) के तूफ़ान के कारण सब बह गया था इसलिए अल्लाह ने इबराहीम (अलैहिस्सलाम) के लिए बैतुल्लाह का वास्तविक स्थान निर्धारित कर दिया। और उन्होंने अपने पुत्र इसमाईल (अलैहिस्सलाम) के साथ उसे दोबारा स्थापित किया।
عربي تفسیرونه:
وَاَذِّنْ فِی النَّاسِ بِالْحَجِّ یَاْتُوْكَ رِجَالًا وَّعَلٰی كُلِّ ضَامِرٍ یَّاْتِیْنَ مِنْ كُلِّ فَجٍّ عَمِیْقٍ ۟ۙ
और लोगों में हज्ज का एलान कर दो। वे तेरे पास पैदल तथा प्रत्येक दुबली-पतली सवारियों पर आएँगे, जो हर दूर-दराज़ मार्ग से आएँगी।
عربي تفسیرونه:
لِّیَشْهَدُوْا مَنَافِعَ لَهُمْ وَیَذْكُرُوا اسْمَ اللّٰهِ فِیْۤ اَیَّامٍ مَّعْلُوْمٰتٍ عَلٰی مَا رَزَقَهُمْ مِّنْ بَهِیْمَةِ الْاَنْعَامِ ۚ— فَكُلُوْا مِنْهَا وَاَطْعِمُوا الْبَآىِٕسَ الْفَقِیْرَ ۟ؗ
ताकि वे अपने बहुत-से लाभों के लिए उपस्थित हों और कुछ ज्ञात दिनों[17] में उन पालतू चौपायों पर अल्लाह का नाम[18] लें, जो उसने उन्हें प्रदान किए हैं। फिर उनमें से स्वयं खाओ तथा तंगहाल निर्धन को खिलाओ।
17. ज्ञात दिनों से अभिप्राय 10, 11, 12 तथा 13 ज़ुल-ह़िज्जा के दिन हैं। 18. अर्थात उसे ज़बह करते समय अल्लाह का नाम लें।
عربي تفسیرونه:
ثُمَّ لْیَقْضُوْا تَفَثَهُمْ وَلْیُوْفُوْا نُذُوْرَهُمْ وَلْیَطَّوَّفُوْا بِالْبَیْتِ الْعَتِیْقِ ۟
फिर वे अपना मैल-कुचैल दूर करें[19] तथा अपनी मन्नतें पूरी करें और इस प्राचीन घर[20] का तवाफ़ (परिक्रमा) करें।
19. अर्थात 10 ज़ुल-ह़िज्जा को बड़े ((जमरे)) को, जिसे लोग शैतान कहते हैं, कंकरियाँ मारने के पश्चात् एहराम उतार दें। और बाल-नाखून साफ़ करके स्नान करें। 20. अर्थात काबा का।
عربي تفسیرونه:
ذٰلِكَ ۗ— وَمَنْ یُّعَظِّمْ حُرُمٰتِ اللّٰهِ فَهُوَ خَیْرٌ لَّهٗ عِنْدَ رَبِّهٖ ؕ— وَاُحِلَّتْ لَكُمُ الْاَنْعَامُ اِلَّا مَا یُتْلٰی عَلَیْكُمْ فَاجْتَنِبُوا الرِّجْسَ مِنَ الْاَوْثَانِ وَاجْتَنِبُوْا قَوْلَ الزُّوْرِ ۟ۙ
ये (हमारे आदेश) हैं। और जो कोई अल्लाह के निषेधों (मर्यादाओं) का सम्मान करे, तो यह उसके लिए, उसके पालनहार के पास बेहतर है। और तुम्हारे लिए चौपाए हलाल (वैध) कर दिए गए हैं, सिवाय उनके जो तुम्हें पढ़कर सुनाए जाते[21] हैं। अतः मूर्तियों की गंदगी से बचो तथा झूठी बात से बचो।
21. (देखिए : सूरतुल माइदा, आयत : 3)
عربي تفسیرونه:
حُنَفَآءَ لِلّٰهِ غَیْرَ مُشْرِكِیْنَ بِهٖ ؕ— وَمَنْ یُّشْرِكْ بِاللّٰهِ فَكَاَنَّمَا خَرَّ مِنَ السَّمَآءِ فَتَخْطَفُهُ الطَّیْرُ اَوْ تَهْوِیْ بِهِ الرِّیْحُ فِیْ مَكَانٍ سَحِیْقٍ ۟
इस हाल में कि अल्लाह के लिए एकाग्र होने वाले हो, उसके साथ किसी को साझी करने वाले न हो। और जो अल्लाह के साथ साझी ठहराए, तो मानो वह आकाश से गिर पड़ा। फिर उसे पक्षी उचक लेते हैं, अथवा उसे हवा किसी दूर स्थान में गिरा देती है।[22]
22. यह शिर्क के परिणाम का उदाहरण है कि मनुष्य शिर्क के कारण स्वभाविक ऊँचाई से गिर जाता है। फिर उसे शैतान पक्षियों के समान उचक ले जाते हैं, और वह नीच बन जाता है। फिर उसमें कभी ऊँचा विचार उत्पन्न नहीं होता, और वह मानसिक तथा नैतिक पतन की ओर ही झुका रहता है।
عربي تفسیرونه:
ذٰلِكَ ۗ— وَمَنْ یُّعَظِّمْ شَعَآىِٕرَ اللّٰهِ فَاِنَّهَا مِنْ تَقْوَی الْقُلُوْبِ ۟
यह (अल्लाह का आदेश है), और जो अल्लाह के प्रतीकों[23] का सम्मान करता है, तो निश्चय यह दिलों के तक़वा की बात है।
23. अर्थात उपासना के लिए उसके निश्चित किए हुए प्रतीकों का।
عربي تفسیرونه:
لَكُمْ فِیْهَا مَنَافِعُ اِلٰۤی اَجَلٍ مُّسَمًّی ثُمَّ مَحِلُّهَاۤ اِلَی الْبَیْتِ الْعَتِیْقِ ۟۠
तुम्हारे लिए उनमें एक निर्धारित समय तक कई लाभ[24] हैं, फिर उनके ज़बह होने की जगह प्राचीन घर के पास है।
24. अर्थात क़ुर्बानी के पशु पर सवारी करना तथा उनके दूध और ऊन से लाभ प्राप्त करना उचित है।
عربي تفسیرونه:
وَلِكُلِّ اُمَّةٍ جَعَلْنَا مَنْسَكًا لِّیَذْكُرُوا اسْمَ اللّٰهِ عَلٰی مَا رَزَقَهُمْ مِّنْ بَهِیْمَةِ الْاَنْعَامِ ؕ— فَاِلٰهُكُمْ اِلٰهٌ وَّاحِدٌ فَلَهٗۤ اَسْلِمُوْا ؕ— وَبَشِّرِ الْمُخْبِتِیْنَ ۟ۙ
तथा प्रत्येक समुदाय के लिए हमने एक क़ुर्बानी निर्धारित की है, ताकि वे उन पालतू चौपायों पर अल्लाह का नाम लें, जो उसने उन्हें प्रदान किए हैं। अतः तुम्हारा पूज्य एक पूज्य है, तो उसी के आज्ञाकारी हो जाओ। और (ऐ नबी!) आप विनम्रता अपनाने वालों को शुभ सूचना सुना दें।
عربي تفسیرونه:
الَّذِیْنَ اِذَا ذُكِرَ اللّٰهُ وَجِلَتْ قُلُوْبُهُمْ وَالصّٰبِرِیْنَ عَلٰی مَاۤ اَصَابَهُمْ وَالْمُقِیْمِی الصَّلٰوةِ ۙ— وَمِمَّا رَزَقْنٰهُمْ یُنْفِقُوْنَ ۟
वे लोग कि जब अल्लाह का नाम लिया जाता है, तो उनके दिल डर जाते हैं, तथा उनपर जो मुसीबत आए उसपर धैर्य रखने वाले, और नमाज़ क़ायम करने वाले हैं तथा जो कुछ हमने उन्हें दिया है, उसमें से खर्च करने वाले हैं।
عربي تفسیرونه:
وَالْبُدْنَ جَعَلْنٰهَا لَكُمْ مِّنْ شَعَآىِٕرِ اللّٰهِ لَكُمْ فِیْهَا خَیْرٌ ۖۗ— فَاذْكُرُوا اسْمَ اللّٰهِ عَلَیْهَا صَوَآفَّ ۚ— فَاِذَا وَجَبَتْ جُنُوْبُهَا فَكُلُوْا مِنْهَا وَاَطْعِمُوا الْقَانِعَ وَالْمُعْتَرَّ ؕ— كَذٰلِكَ سَخَّرْنٰهَا لَكُمْ لَعَلَّكُمْ تَشْكُرُوْنَ ۟
और क़ुर्बानी के ऊँटों को हमने तुम्हारे लिए अल्लाह की निशानियों में से बनाया है। तुम्हारे लिए उनमें भलाई है। अतः उनपर अल्लाह का नाम लो, इस हाल में कि घुटना बंधे खड़े हों। फिर जब उनके पहलू धरती से आ लगें[25], तो उनमें से स्वयं खाओ तथा संतोष करने वाले निर्धन और माँगने वाले को भी खिलाओ। इसी प्रकार, हमने उन्हें तुम्हारे वश में कर दिया है, ताकि तुम कृतज्ञ बनो।
25. अर्थात उसका प्राण पूरी तरह़ निकल जाए।
عربي تفسیرونه:
لَنْ یَّنَالَ اللّٰهَ لُحُوْمُهَا وَلَا دِمَآؤُهَا وَلٰكِنْ یَّنَالُهُ التَّقْوٰی مِنْكُمْ ؕ— كَذٰلِكَ سَخَّرَهَا لَكُمْ لِتُكَبِّرُوا اللّٰهَ عَلٰی مَا هَدٰىكُمْ ؕ— وَبَشِّرِ الْمُحْسِنِیْنَ ۟
अल्लाह को उनके मांस और उनके रक्त हरगिज़ नहीं पहुँचेंगे, परंतु उसे तुम्हारा तक़वा पहुँचेगा। इसी प्रकार, उस (अल्लाह) ने उन (पशुओं) को तुम्हारे वश में कर दिया है, ताकि तुम अल्लाह की महिमा का गान करो[26], उस मार्गदर्शन पर, जो उसने तुम्हें दिया है। और (ऐ रसूल!) आप सत्कर्मियों को शुभ सूचना सुना दें।
26. ज़बह़ करते समय (बिस्मिल्लाहि, अल्लाहु अकबर) कहो।
عربي تفسیرونه:
اِنَّ اللّٰهَ یُدٰفِعُ عَنِ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَا یُحِبُّ كُلَّ خَوَّانٍ كَفُوْرٍ ۟۠
निःसंदेह अल्लाह उन लोगों की ओर से प्रतिरक्षा करता है, जो ईमान लाए। निःसंदेह अल्लाह किसी ऐसे व्यक्ति को पसंद नहीं करता, जो बड़ा विश्वासघाती, बहुत नाशुक्रा हो।
عربي تفسیرونه:
اُذِنَ لِلَّذِیْنَ یُقٰتَلُوْنَ بِاَنَّهُمْ ظُلِمُوْا ؕ— وَاِنَّ اللّٰهَ عَلٰی نَصْرِهِمْ لَقَدِیْرُ ۟ۙ
उन लोगों को जिनसे युद्ध किया जाता है, अनुमति दे दी गई है, इसलिए कि उनपर अत्याचार किया गया। और निःसंदेह अल्लाह उनकी सहायता करने में निश्चय पूरी तरह सक्षम है।[27]
27. यह प्रथम आयत है जिसमें जिहाद की अनुमति दी गई है। और कारण यह बताया गया है कि मुसलमान शत्रु के अत्याचार से अपनी रक्षा करें। फिर आगे चलकर सूरतुल-बक़रह, आयत : 190 से 193 और 216 तथा 226 में युद्ध का आदेश दिया गया है। जो (बद्र) के युद्ध से कुछ पहले दिया गया है।
عربي تفسیرونه:
١لَّذِیْنَ اُخْرِجُوْا مِنْ دِیَارِهِمْ بِغَیْرِ حَقٍّ اِلَّاۤ اَنْ یَّقُوْلُوْا رَبُّنَا اللّٰهُ ؕ— وَلَوْلَا دَفْعُ اللّٰهِ النَّاسَ بَعْضَهُمْ بِبَعْضٍ لَّهُدِّمَتْ صَوَامِعُ وَبِیَعٌ وَّصَلَوٰتٌ وَّمَسٰجِدُ یُذْكَرُ فِیْهَا اسْمُ اللّٰهِ كَثِیْرًا ؕ— وَلَیَنْصُرَنَّ اللّٰهُ مَنْ یَّنْصُرُهٗ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَقَوِیٌّ عَزِیْزٌ ۟
वे लोग जिन्हें उनके घरों से अकारण निकाल दिया गया, केवल इस बात पर कि वे कहते हैं कि हमारा पालनहार अल्लाह है। और यदि अल्लाह कुछ लोगों को, कुछ लोगों द्वारा हटाता न होता, तो अवश्य ध्वस्त कर दिए जाते (ईसाई पुजारियों के) मठ तथा (ईसाइयों के) गिरजे और (यहूदियों के) पूजा स्थल तथा (मुसलमानों की) मस्जिदें, जिनमें अल्लाह का नाम बहुत अधिक लिया जाता है। और निश्चय अल्लाह अवश्य उसकी सहायता करेगा, जो उस (के धर्म) की सहायता करेगा। निःसंदेह अल्लाह निश्चय अत्यंत शक्तिशाली, सब पर प्रभुत्वशाली है।
عربي تفسیرونه:
اَلَّذِیْنَ اِنْ مَّكَّنّٰهُمْ فِی الْاَرْضِ اَقَامُوا الصَّلٰوةَ وَاٰتَوُا الزَّكٰوةَ وَاَمَرُوْا بِالْمَعْرُوْفِ وَنَهَوْا عَنِ الْمُنْكَرِ ؕ— وَلِلّٰهِ عَاقِبَةُ الْاُمُوْرِ ۟
वे लोग[28] कि यदि हम उन्हें धरती में आधिपत्य प्रदान करें, तो वे नमाज़ क़ायम करेंगे और ज़कात देंगे और अच्छे काम का आदेश देंग और बुरे काम से रोकेंगे। और सभी कर्मों का परिणाम अल्लाह ही के अधिकार में है।
28. अर्थात जिनसे विजय का वादा किया गया है।
عربي تفسیرونه:
وَاِنْ یُّكَذِّبُوْكَ فَقَدْ كَذَّبَتْ قَبْلَهُمْ قَوْمُ نُوْحٍ وَّعَادٌ وَّثَمُوْدُ ۟ۙ
और (ऐ रसूल!) यदि वे आपको झुठलाएँ, तो निःसंदेह इनसे पहले नूह की जाति और आद तथा समूद (भी अपने रसूलों को) झुठला चुके हैं।
عربي تفسیرونه:
وَقَوْمُ اِبْرٰهِیْمَ وَقَوْمُ لُوْطٍ ۟ۙ
तथा इबराहीम की जाति और लूत की जाति।
عربي تفسیرونه:
وَّاَصْحٰبُ مَدْیَنَ ۚ— وَكُذِّبَ مُوْسٰی فَاَمْلَیْتُ لِلْكٰفِرِیْنَ ثُمَّ اَخَذْتُهُمْ ۚ— فَكَیْفَ كَانَ نَكِیْرِ ۟
तथा मदयन वालों[29] ने। और मूसा (भी) झुठलाए गए, तो मैंने उन काफ़िरों को मोहलत दी, फिर मैंने उन्हें पकड़ लिया। तो मेरा दंड कैसा था?
29. अर्थात शुऐब अलैहिस्सलाम की जाति ने।
عربي تفسیرونه:
فَكَاَیِّنْ مِّنْ قَرْیَةٍ اَهْلَكْنٰهَا وَهِیَ ظَالِمَةٌ فَهِیَ خَاوِیَةٌ عَلٰی عُرُوْشِهَا ؗ— وَبِئْرٍ مُّعَطَّلَةٍ وَّقَصْرٍ مَّشِیْدٍ ۟
तो कितनी ही बस्तियाँ हैं, जिन्हें हमने इस हाल में नष्ट कर दिया कि वे अत्याचारी थीं। अतः वे अपनी छतों पर गिरी हुई हैं। और (कितने ही) बेकार छोड़े हुए कुएँ हैं तथा पक्के ऊँचे भवन हैं।
عربي تفسیرونه:
اَفَلَمْ یَسِیْرُوْا فِی الْاَرْضِ فَتَكُوْنَ لَهُمْ قُلُوْبٌ یَّعْقِلُوْنَ بِهَاۤ اَوْ اٰذَانٌ یَّسْمَعُوْنَ بِهَا ۚ— فَاِنَّهَا لَا تَعْمَی الْاَبْصَارُ وَلٰكِنْ تَعْمَی الْقُلُوْبُ الَّتِیْ فِی الصُّدُوْرِ ۟
तो क्या वे धरती में चले-फिरे नहीं कि उनके लिए ऐसे दिल हों, जिनसे वे समझें, या ऐसे कान हों, जिनसे वे सुनें। निःसंदेह आँखें अंधी नहीं होतीं, लेकिन वे दिल अंधे होते हैं, जो सीनों में हैं।[30]
30. आयत का भावार्थ यह है कि दिल की सूझ-बूझ चली जाती है, तो आँखें भी अंधी हो जाती हैं और देखते हुए भी सत्य को नहीं देख सकतीं।
عربي تفسیرونه:
وَیَسْتَعْجِلُوْنَكَ بِالْعَذَابِ وَلَنْ یُّخْلِفَ اللّٰهُ وَعْدَهٗ ؕ— وَاِنَّ یَوْمًا عِنْدَ رَبِّكَ كَاَلْفِ سَنَةٍ مِّمَّا تَعُدُّوْنَ ۟
तथा वे आपसे यातना के बारे में जल्दी मचा रहे हैं और अल्लाह हरगिज़ अपने वचन के विरुद्ध नहीं करेगा। और निःसंदेह आपके पालनहार के यहाँ एक दिन तुम्हारी गणना के अनुसार हज़ार वर्ष के बराबर[31] है।
31. अर्थात वह शीघ्र यातना नहीं देता, पहले अवसर देता है जैसा कि इसके पश्चात् की आयत में बताया जा रहा है।
عربي تفسیرونه:
وَكَاَیِّنْ مِّنْ قَرْیَةٍ اَمْلَیْتُ لَهَا وَهِیَ ظَالِمَةٌ ثُمَّ اَخَذْتُهَا ۚ— وَاِلَیَّ الْمَصِیْرُ ۟۠
और कितनी ही बस्तियाँ हैं, जिन्हें हमने अवसर दिया, जबकि वे अत्याचारी थीं। फिर मैंने उन्हें पकड़ लिया और मेरी ही ओर (सबको) लौटकर आना है।
عربي تفسیرونه:
قُلْ یٰۤاَیُّهَا النَّاسُ اِنَّمَاۤ اَنَا لَكُمْ نَذِیْرٌ مُّبِیْنٌ ۟ۚ
(ऐ नबी!) आप कह दें कि ऐ लोगो! मैं तो बस तुम्हें खुला सावधान करने वाला हूँ।
عربي تفسیرونه:
فَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ لَهُمْ مَّغْفِرَةٌ وَّرِزْقٌ كَرِیْمٌ ۟
तो वे लोग जो ईमान लाए तथा उन्होंने अच्छे कार्य किए, उनके लिए महान क्षमा और सम्मान की रोज़ी है।
عربي تفسیرونه:
وَالَّذِیْنَ سَعَوْا فِیْۤ اٰیٰتِنَا مُعٰجِزِیْنَ اُولٰٓىِٕكَ اَصْحٰبُ الْجَحِیْمِ ۟
और जिन लोगों ने हमारी आयतों (को झुठलाने) में दौड़-भाग की, (यह समझकर कि हमें) विवश कर देंगे, तो वही नरकवासी हैं।
عربي تفسیرونه:
وَمَاۤ اَرْسَلْنَا مِنْ قَبْلِكَ مِنْ رَّسُوْلٍ وَّلَا نَبِیٍّ اِلَّاۤ اِذَا تَمَنّٰۤی اَلْقَی الشَّیْطٰنُ فِیْۤ اُمْنِیَّتِهٖ ۚ— فَیَنْسَخُ اللّٰهُ مَا یُلْقِی الشَّیْطٰنُ ثُمَّ یُحْكِمُ اللّٰهُ اٰیٰتِهٖ ؕ— وَاللّٰهُ عَلِیْمٌ حَكِیْمٌ ۟ۙ
और (ऐ रसूल!) हमने आपसे पूर्व न कोई रसूल भेजा और न कोई नबी, परंतु जब उसने (अल्लाह की पुस्तक) पढ़ी, तो शैतान ने उसके पढ़ने में संशय डाल दिया। फिर अल्लाह शैतान के संशय को मिटा देता है, फिर अल्लाह अपनी आयतों को सुदृढ़ कर देता है। और अल्लाह सब कुछ जानने वाला, पूर्ण हिकमत वाला है।[32]
32. आयत का अर्थ यह है कि जब नबी धर्म पुस्तक की आयतें सुनाते हैं, तो शैतान लोगों को उसके अनुपालन से रोकने के लिए संशय उत्पन्न करता है।
عربي تفسیرونه:
لِّیَجْعَلَ مَا یُلْقِی الشَّیْطٰنُ فِتْنَةً لِّلَّذِیْنَ فِیْ قُلُوْبِهِمْ مَّرَضٌ وَّالْقَاسِیَةِ قُلُوْبُهُمْ ؕ— وَاِنَّ الظّٰلِمِیْنَ لَفِیْ شِقَاقٍ بَعِیْدٍ ۟ۙ
ताकि वह (अल्लाह) शैतान के डाले हुए संशय को उनके लिए परीक्षण बना दे, जिनके दिलों में रोग है और जिनके दिल कठोर हैं। और निःसंदेह अत्याचारी लोग विरोध में बहुत दूर चले गए हैं।
عربي تفسیرونه:
وَّلِیَعْلَمَ الَّذِیْنَ اُوْتُوا الْعِلْمَ اَنَّهُ الْحَقُّ مِنْ رَّبِّكَ فَیُؤْمِنُوْا بِهٖ فَتُخْبِتَ لَهٗ قُلُوْبُهُمْ ؕ— وَاِنَّ اللّٰهَ لَهَادِ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اِلٰی صِرَاطٍ مُّسْتَقِیْمٍ ۟
और ताकि उन लोगों को जिन्हें ज्ञान दिया गया है, विश्वास हो जाए कि वही आपके पालनहार की ओर से सत्य है। तो वे उसपर ईमान ले आएँ और उनके दिल उसके लिए झुक जाएँ। और निःसंदेह अल्लाह ईमान लाने वालों को निश्चय सीधा मार्ग दिखाने वाला है।
عربي تفسیرونه:
وَلَا یَزَالُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا فِیْ مِرْیَةٍ مِّنْهُ حَتّٰی تَاْتِیَهُمُ السَّاعَةُ بَغْتَةً اَوْ یَاْتِیَهُمْ عَذَابُ یَوْمٍ عَقِیْمٍ ۟
तथा वे लोग जिन्होंने कुफ़्र किया, हमेशा इस (क़ुरआन) के बारे में किसी संदेह में रहेंगे, यहाँ तक कि उनके पास अचानक क़ियामत आ जाए, या उनके पास उस दिन की यातना आ जाए, जो बाँझ[33] (हर भलाई से रहित) है।
33. बाँझ दिन से अभिप्राय प्रलय का दिन है क्योंकि उसकी रात नहीं होगी।
عربي تفسیرونه:
اَلْمُلْكُ یَوْمَىِٕذٍ لِّلّٰهِ ؕ— یَحْكُمُ بَیْنَهُمْ ؕ— فَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ فِیْ جَنّٰتِ النَّعِیْمِ ۟
उस दिन सारा राज्य अल्लाह ही का होगा, वह उनके बीच निर्णय करेगा। फिर वे लोग जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कार्य किए, वे नेमत भरी जन्नतों में होंगे।
عربي تفسیرونه:
وَالَّذِیْنَ كَفَرُوْا وَكَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَا فَاُولٰٓىِٕكَ لَهُمْ عَذَابٌ مُّهِیْنٌ ۟۠
और जिन लोगों ने कुफ़्र किया और हमारी आयतों को झुठलाया, तो वही हैं जिनके लिए अपमानकारी यातना है।
عربي تفسیرونه:
وَالَّذِیْنَ هَاجَرُوْا فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ ثُمَّ قُتِلُوْۤا اَوْ مَاتُوْا لَیَرْزُقَنَّهُمُ اللّٰهُ رِزْقًا حَسَنًا ؕ— وَاِنَّ اللّٰهَ لَهُوَ خَیْرُ الرّٰزِقِیْنَ ۟
तथा जिन लोगों ने अल्लाह के मार्ग में अपना घरबार छोड़ा। फिर मारे गए या मर गए, निश्चय अल्लाह उन्हें अवश्य उत्तम रोज़ी प्रदान करेगा। और निःसंदेह अल्लाह ही सब रोज़ी देने वालों से बेहतर है।
عربي تفسیرونه:
لَیُدْخِلَنَّهُمْ مُّدْخَلًا یَّرْضَوْنَهٗ ؕ— وَاِنَّ اللّٰهَ لَعَلِیْمٌ حَلِیْمٌ ۟
निश्चय वह उन्हें ऐसे स्थान में अवश्य दाख़िल करेगा, जिससे वे प्रसन्न हो जाएँगे। और निःसंदेह अल्लाह सब कुछ जानने वाला, अत्यंत सहनशील है।
عربي تفسیرونه:
ذٰلِكَ ۚ— وَمَنْ عَاقَبَ بِمِثْلِ مَا عُوْقِبَ بِهٖ ثُمَّ بُغِیَ عَلَیْهِ لَیَنْصُرَنَّهُ اللّٰهُ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَعَفُوٌّ غَفُوْرٌ ۟
यह तो हुआ। और जो व्यक्ति बदला ले, वैसा ही जैसा उसके साथ किया गया, फिर उसपर अत्याचार किया जाए, तो अल्लाह उसकी अवश्य सहायता करेगा। निःसंदेह अल्लाह बहुत माफ़ करने वाला, अत्यंत क्षमाशील है।
عربي تفسیرونه:
ذٰلِكَ بِاَنَّ اللّٰهَ یُوْلِجُ الَّیْلَ فِی النَّهَارِ وَیُوْلِجُ النَّهَارَ فِی الَّیْلِ وَاَنَّ اللّٰهَ سَمِیْعٌ بَصِیْرٌ ۟
यह इसलिए कि अल्लाह रात को दिन में दाखिल करता है और दिन को रात में दाखिल करता है। और अल्लाह सब कुछ सुनने वाला, सब कुछ देखने वाला[35] है।
35. अर्थात उसका नियम अंधा नहीं है कि जिसके साथ अत्याचार किया जाए उसकी सहायता न की जाए। रात्रि तथा दिन का परिवर्तन बता रहा है कि एक ही स्थिति सदा नहीं रहती।
عربي تفسیرونه:
ذٰلِكَ بِاَنَّ اللّٰهَ هُوَ الْحَقُّ وَاَنَّ مَا یَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِهٖ هُوَ الْبَاطِلُ وَاَنَّ اللّٰهَ هُوَ الْعَلِیُّ الْكَبِیْرُ ۟
यह इसलिए कि अल्लाह ही सत्य है, और जिसे वे अल्लाह के सिवा पुकारते हैं, वह असत्य है, और अल्लाह ही सबसे ऊँचा, सबसे बड़ा है।
عربي تفسیرونه:
اَلَمْ تَرَ اَنَّ اللّٰهَ اَنْزَلَ مِنَ السَّمَآءِ مَآءً ؗ— فَتُصْبِحُ الْاَرْضُ مُخْضَرَّةً ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَطِیْفٌ خَبِیْرٌ ۟ۚ
क्या आपने नहीं देखा कि अल्लाह ने आकाश से कुछ पानी उतारा, तो भूमि हरी-भरी हो जाती है। निःसंदेह अल्लाह अत्यंत दयालु, हर चीज़ की ख़बर रखने वाला है।
عربي تفسیرونه:
لَهٗ مَا فِی السَّمٰوٰتِ وَمَا فِی الْاَرْضِ ؕ— وَاِنَّ اللّٰهَ لَهُوَ الْغَنِیُّ الْحَمِیْدُ ۟۠
उसी का है जो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है। और निःसंदेह अल्लाह ही बेनियाज़ और प्रशंसनीय है।
عربي تفسیرونه:
اَلَمْ تَرَ اَنَّ اللّٰهَ سَخَّرَ لَكُمْ مَّا فِی الْاَرْضِ وَالْفُلْكَ تَجْرِیْ فِی الْبَحْرِ بِاَمْرِهٖ ؕ— وَیُمْسِكُ السَّمَآءَ اَنْ تَقَعَ عَلَی الْاَرْضِ اِلَّا بِاِذْنِهٖ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ بِالنَّاسِ لَرَءُوْفٌ رَّحِیْمٌ ۟
क्या आपने नहीं देखा कि अल्लाह ने धरती की सारी वस्तुओं को तुम्हारे वश में कर दिया[36] है, तथा नावों को भी, जो सागर में उसके आदेश से चलती हैं और वह आकाश को अपनी अनुमति के बिना धरती पर गिरने से रोकता है? निःसंदेह अल्लाह लोगों के लिए अति करुणामय, अत्यंत दयावान् है।
36. अर्थात तुम उनसे लाभान्वित हो रहे हो।
عربي تفسیرونه:
وَهُوَ الَّذِیْۤ اَحْیَاكُمْ ؗ— ثُمَّ یُمِیْتُكُمْ ثُمَّ یُحْیِیْكُمْ ؕ— اِنَّ الْاِنْسَانَ لَكَفُوْرٌ ۟
तथा वही है, जिसने तुम्हें जीवन प्रदान किया, फिर तुम्हें मारेगा, फिर तुम्हें जीवित करेगा। निःसंदेह इनसान बड़ा ही नाशुक्रा है।
عربي تفسیرونه:
لِكُلِّ اُمَّةٍ جَعَلْنَا مَنْسَكًا هُمْ نَاسِكُوْهُ فَلَا یُنَازِعُنَّكَ فِی الْاَمْرِ وَادْعُ اِلٰی رَبِّكَ ؕ— اِنَّكَ لَعَلٰی هُدًی مُّسْتَقِیْمٍ ۟
(ऐ नबी!) हमने प्रत्येक समुदाय के लिए इबादत की एक विधि निर्धारित की है, जिसके अनुसार वे इबादत करने वाले हैं। अतः वे आपसे इस मामले में हरगिज़ विवाद न करें। और आप अपने पालनहार की ओर लोगों को बुलाएँ। निःसंदेह आप तो निश्चय सीधी राह पर हैं।[37]
37. अर्थात जिस प्रकार प्रत्येक युग में लोगों के लिए धार्मिक नियम निर्धारित किए गए, उसी प्रकार अब क़ुरआन धर्म-विधान तथा जीवन-विधान है। इसलिए अब प्राचीन धर्मो के अनुयायियों को चाहिए कि इसपर ईमान लाएँ, न कि इस विषय में आपसे विवाद करें। और आप निश्चिंत होकर लोगों को इस्लाम की ओर बुलाएँ, क्योंकि आप सत्धर्म पर हैं। और अब आपके बाद सारे पुराने धर्म निरस्त कर दिए गए।
عربي تفسیرونه:
وَاِنْ جٰدَلُوْكَ فَقُلِ اللّٰهُ اَعْلَمُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ ۟
और यदि वे आपसे विवाद करें, तो कह दें कि अल्लाह तुम्हारे कर्मों से भली-भाँति अवगत है।
عربي تفسیرونه:
اَللّٰهُ یَحْكُمُ بَیْنَكُمْ یَوْمَ الْقِیٰمَةِ فِیْمَا كُنْتُمْ فِیْهِ تَخْتَلِفُوْنَ ۟
अल्लाह क़ियामत के दिन तुम्हारे बीच उस मामले में निर्णय करेगा, जिसमें तुम मतभेद किया करते थे।
عربي تفسیرونه:
اَلَمْ تَعْلَمْ اَنَّ اللّٰهَ یَعْلَمُ مَا فِی السَّمَآءِ وَالْاَرْضِ ؕ— اِنَّ ذٰلِكَ فِیْ كِتٰبٍ ؕ— اِنَّ ذٰلِكَ عَلَی اللّٰهِ یَسِیْرٌ ۟
(ऐ रसूल!) क्या आप नहीं जानते कि अल्लाह जानता है, जो आकाश तथा धरती में है? निःसंदेह यह एक किताब में (अंकित) है। निःसंदेह यह अल्लाह के लिए अति सरल है।
عربي تفسیرونه:
وَیَعْبُدُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ مَا لَمْ یُنَزِّلْ بِهٖ سُلْطٰنًا وَّمَا لَیْسَ لَهُمْ بِهٖ عِلْمٌ ؕ— وَمَا لِلظّٰلِمِیْنَ مِنْ نَّصِیْرٍ ۟
और वे अल्लाह के सिवा उसकी इबादत करते हैं, जिसका उसने कोई प्रमाण नहीं उतारा, और न उनके पास उसकी कोई जानकारी है। और अत्याचारियों का कोई सहायक नहीं।
عربي تفسیرونه:
وَاِذَا تُتْلٰی عَلَیْهِمْ اٰیٰتُنَا بَیِّنٰتٍ تَعْرِفُ فِیْ وُجُوْهِ الَّذِیْنَ كَفَرُوا الْمُنْكَرَ ؕ— یَكَادُوْنَ یَسْطُوْنَ بِالَّذِیْنَ یَتْلُوْنَ عَلَیْهِمْ اٰیٰتِنَا ؕ— قُلْ اَفَاُنَبِّئُكُمْ بِشَرٍّ مِّنْ ذٰلِكُمْ ؕ— اَلنَّارُ ؕ— وَعَدَهَا اللّٰهُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا ؕ— وَبِئْسَ الْمَصِیْرُ ۟۠
और जब उन्हें हमारी स्पष्ट आयतें सुनाई जाती हैं, तो आप काफ़िरों के चेहरों में अस्वीकृति पहचान लेंगे। क़रीब होंगे कि वे उनपर आक्रमण कर दें, जो उन्हें हमारी आयतें पढ़कर सुनाते हैं। आप कह दें : तो क्या मैं तुम्हें इससे बुरी चीज़ बता दूँ? वह आग है, जिसका अल्लाह ने उन लोगों से वादा किया है, जिन्होंने कुफ़्र किया और वह बहुत ही बुरा ठिकाना है।
عربي تفسیرونه:
یٰۤاَیُّهَا النَّاسُ ضُرِبَ مَثَلٌ فَاسْتَمِعُوْا لَهٗ ؕ— اِنَّ الَّذِیْنَ تَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ لَنْ یَّخْلُقُوْا ذُبَابًا وَّلَوِ اجْتَمَعُوْا لَهٗ ؕ— وَاِنْ یَّسْلُبْهُمُ الذُّبَابُ شَیْـًٔا لَّا یَسْتَنْقِذُوْهُ مِنْهُ ؕ— ضَعُفَ الطَّالِبُ وَالْمَطْلُوْبُ ۟
ऐ लोगो! एक उदाहरण दिया गया है। इसे ध्यान से सुनो। निःसंदेह वे लोग जिन्हें तुम अल्लाह के अतिरिक्त पुकारते हो, कभी एक मक्खी भी पैदा नहीं करेंगे, यद्यपि वे इसके लिए इकट्ठे हो जाएँ। और यदि मक्खी उनसे कोई चीज़ छीन ले, वे उसे उससे छुड़ा नहीं पाएँगे। कमज़ोर है माँगने वाला और वह भी जिससे माँगा गया।
عربي تفسیرونه:
مَا قَدَرُوا اللّٰهَ حَقَّ قَدْرِهٖ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَقَوِیٌّ عَزِیْزٌ ۟
उन्होंने अल्लाह का वैसे आदर नहीं किया, जैसे उसका आदर करना चाहिए! निःसंदेह अल्लाह अत्यंत शक्तिशाली, सब पर प्रभुत्वशाली है।
عربي تفسیرونه:
اَللّٰهُ یَصْطَفِیْ مِنَ الْمَلٰٓىِٕكَةِ رُسُلًا وَّمِنَ النَّاسِ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ سَمِیْعٌ بَصِیْرٌ ۟ۚ
अल्लाह फ़रिश्तों में से संदेश पहुँचाने वालों को चुनता है तथा मनुष्यों में से भी। निःसंदेह अल्लाह सब कुछ सुनने वाला, सब कुछ देखने[38] वाला है।
38. अर्थात वही जानता है कि रसूल (संदेशवाहक) बनाए जाने के कौन योग्य है।
عربي تفسیرونه:
یَعْلَمُ مَا بَیْنَ اَیْدِیْهِمْ وَمَا خَلْفَهُمْ ؕ— وَاِلَی اللّٰهِ تُرْجَعُ الْاُمُوْرُ ۟
वह जानता है, जो कुछ उनके सामने है और जो कुछ उनके पीछे है। और अल्लाह ही की ओर सब काम लौटाए जाते हैं।
عربي تفسیرونه:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوا ارْكَعُوْا وَاسْجُدُوْا وَاعْبُدُوْا رَبَّكُمْ وَافْعَلُوا الْخَیْرَ لَعَلَّكُمْ تُفْلِحُوْنَ ۟
ऐ ईमान वालो! रुकू करो तथा सजदा करो और अपने पालनहार की इबादत करो और नेकी करो, ताकि तुम सफल हो जाओ।
عربي تفسیرونه:
وَجَاهِدُوْا فِی اللّٰهِ حَقَّ جِهَادِهٖ ؕ— هُوَ اجْتَبٰىكُمْ وَمَا جَعَلَ عَلَیْكُمْ فِی الدِّیْنِ مِنْ حَرَجٍ ؕ— مِلَّةَ اَبِیْكُمْ اِبْرٰهِیْمَ ؕ— هُوَ سَمّٰىكُمُ الْمُسْلِمِیْنَ ۙ۬— مِنْ قَبْلُ وَفِیْ هٰذَا لِیَكُوْنَ الرَّسُوْلُ شَهِیْدًا عَلَیْكُمْ وَتَكُوْنُوْا شُهَدَآءَ عَلَی النَّاسِ ۖۚ— فَاَقِیْمُوا الصَّلٰوةَ وَاٰتُوا الزَّكٰوةَ وَاعْتَصِمُوْا بِاللّٰهِ ؕ— هُوَ مَوْلٰىكُمْ ۚ— فَنِعْمَ الْمَوْلٰی وَنِعْمَ النَّصِیْرُ ۟۠
तथा अल्लाह के मार्ग में जिहाद करो, जैसा कि उसके जिहाद का हक़[39] है। उसी ने तुम्हें चुना है। और धर्म के मामले में तुमपर कोई तंगी नहीं रखी। यह तुम्हारे पिता इबराहीम का धर्म है। उसी ने इस (क़ुरआन) से पहले तथा इसमें भी तुम्हारा नाम मुसलमान रखा है। ताकि रसूल तुमपर गवाह हों और तुम सब लोगों पर गवाह[40] बनो। अतः नमाज़ क़ायम करो तथा ज़कात दो और अल्लाह को मज़बूती से पकड़[41] लो। वही तुम्हारा संरक्षक है। तो वह क्या ही अच्छा संरक्षक तथा क्या ही अच्छा सहायक है।
39. एक व्यक्ति ने आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से प्रश्न किया कि कोई धन के लिए लड़ता है, कोई नाम के लिए और कोई वीरता दिखाने के लिए। तो कौन अल्लाह के लिए लड़ने वाला है? आप ने फरमाया : जो अल्लाह का शब्द ऊँचा करने के लिए लड़ता है। (सह़ीह़ बुख़ारी : 123, 2810) 40. व्याख्या के लिए देखिए : सूरतुल-बक़रह, आयत : 143. 41. अर्थात उसकी आज्ञा और धर्म-विधान का पालन करो।
عربي تفسیرونه:
 
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د قرآن کریم د معناګانو ژباړه - هندي ژباړه - د ژباړو فهرست (لړلیک)

په هندي ژبه د قرآن کریم د معناګانو ژباړه، د عزیز الحق عمري لخوا ژباړل شوی.

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