Tradução dos significados do Nobre Qur’an. - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - Índice de tradução


Tradução dos significados Versículo: (51) Surah: Suratu Fussilat
وَاِذَاۤ اَنْعَمْنَا عَلَی الْاِنْسَانِ اَعْرَضَ وَنَاٰ بِجَانِبِهٖ ۚ— وَاِذَا مَسَّهُ الشَّرُّ فَذُوْ دُعَآءٍ عَرِیْضٍ ۟
और जब हम मनुष्य को स्वास्थ्य और सुख आदि प्रदान करते हैं, तो वह अल्लाह को याद करने और उसका आज्ञापालन करने से लापरवाह हो जाता है और अहंकार में आकर मुँह मोड़ लेता है। परंतु जब वह बीमारी और ग़रीबा आदि से ग्रस्त होता है, तो अल्लाह से बहुत दुआएँ करता है; उससे अपनी विपत्ति की शिकायत करता है, ताकि वह उसे उससे दूर कर दे। इस तरह, वह न तो अनुग्रह प्राप्त होने पर अपने पालनहार का शुक्रिया अदा करता है और न ही किसी विपत्ति से पीड़ित होने पर धैर्य से काम लेता है।
Os Tafssir em língua árabe:
Das notas do versículo nesta página:
• علم الساعة عند الله وحده.
• क़ियामत का ज्ञान केवल अल्लाह के पास है।

• تعامل الكافر مع نعم الله ونقمه فيه تخبط واضطراب.
• अल्लाह की नेमतों एवं प्रकोपों के प्रति काफ़िर के व्यवहार में उथल-पुथल और विकलता पाई जाती है।

• إحاطة الله بكل شيء علمًا وقدرة.
• सब कुछ अल्लाह के ज्ञान और शक्ति के घेरे में है।

 
Tradução dos significados Versículo: (51) Surah: Suratu Fussilat
Índice de capítulos Número de página
 
Tradução dos significados do Nobre Qur’an. - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم - Índice de tradução

الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

Fechar