Tradução dos significados do Nobre Qur’an. - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - Índice de tradução


Tradução dos significados Versículo: (85) Surah: Suratu At-Tawbah
وَلَا تُعْجِبْكَ اَمْوَالُهُمْ وَاَوْلَادُهُمْ ؕ— اِنَّمَا یُرِیْدُ اللّٰهُ اَنْ یُّعَذِّبَهُمْ بِهَا فِی الدُّنْیَا وَتَزْهَقَ اَنْفُسُهُمْ وَهُمْ كٰفِرُوْنَ ۟
और (ऐ रसूल!) आपको इन मुनाफ़िक़ों के धन तथा उनकी संतान आश्चर्यचकित न करें। अल्लाह तो यह चाहता है कि उन्हें इनके द्वारा सांसारिक जीवन में यातना दे, क्योंकि वे इस रास्ते में आने वाली कठिनाइयों और विपत्तियों को झेलते हैं, और यह कि उनके प्राण उनके शरीर से इस दशा में निकलें कि वे काफ़िर हों।
Os Tafssir em língua árabe:
Das notas do versículo nesta página:
• الكافر لا ينفعه الاستغفار ولا العمل ما دام كافرًا.
• काफ़िर, जब तक काफिर है, उसे क्षमा याचना और सत्कर्म से कोई लाभ नहीं होने वाला है।

• الآيات تدل على قصر نظر الإنسان، فهو ينظر غالبًا إلى الحال والواقع الذي هو فيه، ولا ينظر إلى المستقبل وما يتَمَخَّض عنه من أحداث.
• ये आयतें मनुष्य की अदूरदर्शिता का संकेत देती हैं। वह आम तौर से वर्तमान और उस वस्तुस्थिति को देखता है जिसमें वह है। वह भविष्य और उसकी कोख से निकलने वाली घटनाओं को नहीं देखता है।

• التهاون بالطاعة إذا حضر وقتها سبب لعقوبة الله وتثبيطه للعبد عن فعلها وفضلها.
• आज्ञाकारिता में उसका समय होने पर लापरवाही करना, अल्लाह की सज़ा तथा बंदे को उसके करने के सामर्थ्य और उसकी फ़ज़ीलत से वंचित करने का कारण है।

• في الآيات دليل على مشروعية الصلاة على المؤمنين، وزيارة قبورهم والدعاء لهم بعد موتهم، كما كان النبي صلى الله عليه وسلم يفعل ذلك في المؤمنين.
• ये आयतें इस बात का प्रमाण हैं कि ईमान वालों के जनाज़े की नमाज़ पढ़ी जाएगी, उनकी कब्रों की ज़ियारत की जाएगी और उनके मरने के बाद उनके लिए दुआ की जाएगी, जैसा कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम मोमिनों के साथ किया करते थे।

 
Tradução dos significados Versículo: (85) Surah: Suratu At-Tawbah
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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