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Ibisobanuro bya qoran ntagatifu - Ibisobanuro bya Qur'an Ntagatifu mu rurimi rw'igihinde - Byasobanuwe na Azizul-Haqq Al-Umary. * - Ishakiro ry'ibisobanuro

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Ibisobanuro by'amagambo Isura: Al Maidat   Umurongo:
وَلَوْ اَنَّ اَهْلَ الْكِتٰبِ اٰمَنُوْا وَاتَّقَوْا لَكَفَّرْنَا عَنْهُمْ سَیِّاٰتِهِمْ وَلَاَدْخَلْنٰهُمْ جَنّٰتِ النَّعِیْمِ ۟
और यदि वास्तव में अह्ले किताब ईमान ले आते तथा (अल्लाह से) डरते, तो हम अवश्य उनकी बुराइयाँ उनसे दूर कर देते और उन्हें अवश्य नेमतों वाली जन्नतों में दाखिल करते।
Ibisobanuro by'icyarabu:
وَلَوْ اَنَّهُمْ اَقَامُوا التَّوْرٰىةَ وَالْاِنْجِیْلَ وَمَاۤ اُنْزِلَ اِلَیْهِمْ مِّنْ رَّبِّهِمْ لَاَكَلُوْا مِنْ فَوْقِهِمْ وَمِنْ تَحْتِ اَرْجُلِهِمْ ؕ— مِنْهُمْ اُمَّةٌ مُّقْتَصِدَةٌ ؕ— وَكَثِیْرٌ مِّنْهُمْ سَآءَ مَا یَعْمَلُوْنَ ۟۠
तथा यदि वे वास्तव में तौरात और इंजील का पालन[40] करते और उसका जो उनके पालनहार की तरफ़ से उनकी ओर उतारा गया है, तो निश्चय वे अपने ऊपर से तथा अपने पैरों के नीचे से[41] खाते। उनमें से एक समूह मध्यम मार्ग पर है और उनमें से बहुत-से लोग जो कर रहे हैं, वह बहुत बुरा है।
[40] अर्थात उनके आदेशों का पालन करते और उसे अपना जीवन विधान बनाते।
[41] अर्थात आकाश की वर्षा तथा धर्ती की उपज में अधिकता होती।
Ibisobanuro by'icyarabu:
یٰۤاَیُّهَا الرَّسُوْلُ بَلِّغْ مَاۤ اُنْزِلَ اِلَیْكَ مِنْ رَّبِّكَ ؕ— وَاِنْ لَّمْ تَفْعَلْ فَمَا بَلَّغْتَ رِسَالَتَهٗ ؕ— وَاللّٰهُ یَعْصِمُكَ مِنَ النَّاسِ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَا یَهْدِی الْقَوْمَ الْكٰفِرِیْنَ ۟
ऐ रसूल![42] जो कुछ आपपर आपके पालनहार की ओर से उतारा गया है, उसे पहुँचा दें। और यदि आपने (ऐसा) न किया, तो आपने उसका संदेश नहीं पहुँचाया। और अल्लाह आपको लोगों से बचाएगा।[43] निःसंदेह अल्लाह काफ़िर लोगों को मार्गदर्शन नहीं प्रदान करता।
[42] अर्थात मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम।
[43] नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के नबी होने के पश्चात् आपपर विरोधियों ने कई बार प्राण घातक आक्रमण का प्रयास किया। जब आपने मक्का में सफ़ा पर्वत से एकेश्वरवाद का उपदेश दिया, तो आपके चचा अबू लहब ने आपपर पत्थर चलाए। फिर उसी युग में आप काबा के पास नमाज़ पढ़ रहे थे कि अबू जह्ल ने आपकी गर्दन रौंदने का प्रयास किया, किंतु आपके रक्षक फ़रिश्तों को देखकर भागा। और जब क़ुरैश ने यह योजना बनाई कि आपको वध कर दिया जाए, और प्रत्येक क़बीले का एक युवक आपके द्वार पर तलवार लेकर खड़ा रहे और आप निकलें तो सब एक साथ प्रहार कर दें, तब भी आप उनके बीच से निकल गए और किसी ने देखा भी नहीं। फिर आपने अपने साथी अबू बक्र के साथ हिजरत के समय सौर पर्वत की गुफा में शरण ली। काफ़िर गुफा के मुँह तक आपकी खोज में आ पहुँचे, उन्हें आपके साथी ने देखा, किंतु वे आपको नहीं देख सके। तथा जब आप वहाँ से मदीना चले, तो सुराक़ा नामी एक व्यक्ति ने क़रैश के पुरस्कार के लोभ में आकर आपका पीछा किया। किंतु उसके घोड़े के अगले पैर भूमि में धंस गए। उसने आपको गुहारा, आपने दुआ कर दी, और उसका घोड़ा निकल गया। उसने ऐसा प्रयास तीन बार किया, फिर भी असफल रहा। आपने उसको क्षमा कर दिया। और यह देखकर वह मुसलमान हो गया। आपने फरमाया कि एक दिन तुम अपने हाथ में ईरान के राजा का कंगन पहनोगे। और उमर बिन ख़त्ताब के युग में यह बात सच साबित हुई। मदीने में भी यहूदियों के क़बीले बनू नज़ीर ने छत के ऊपर से आप पर भारी पत्थर गिराने का प्रयास किया, जिससे अल्लाह ने आपको सूचित कर दिया। ख़ैबर की एक यहूदी स्त्री ने आपको विष मिलाकर बकरी का मांस खिलाया। परंतु आपपर उसका कोई बड़ा प्रभाव नहीं हुआ। जबकि आपका एक साथी उसे खाकर मर गया। एक युद्ध यात्रा में आप अकेले एक वृक्ष के नीचे सो गए। एक व्यक्ति आया और आप की तलवार लेकर कहा : मुझसे आपको कौन बचाएगा? आपने कहा : अल्लाह! यह सुनकर वह काँपने लगा और उस के हाथ से तलवार गिर गई। आपने उसे क्षमा कर दिया। इन सब घटनाओं से यह सिद्ध हो जाता है कि अल्लाह ने आपकी रक्षा करने का जो वचन आपको दिया, उसको पूरा कर दिया।
Ibisobanuro by'icyarabu:
قُلْ یٰۤاَهْلَ الْكِتٰبِ لَسْتُمْ عَلٰی شَیْءٍ حَتّٰی تُقِیْمُوا التَّوْرٰىةَ وَالْاِنْجِیْلَ وَمَاۤ اُنْزِلَ اِلَیْكُمْ مِّنْ رَّبِّكُمْ ؕ— وَلَیَزِیْدَنَّ كَثِیْرًا مِّنْهُمْ مَّاۤ اُنْزِلَ اِلَیْكَ مِنْ رَّبِّكَ طُغْیَانًا وَّكُفْرًا ۚ— فَلَا تَاْسَ عَلَی الْقَوْمِ الْكٰفِرِیْنَ ۟
(ऐ नबी!) आप कह दें : ऐ अह्ले किताब! तुम किसी चीज़ पर नहीं हो, यहाँ तक कि तुम तौरात और इंजील को क़ायम करो[44] और उसको जो तुम्हारी ओर तुम्हारे पालनहार की तरफ़ से उतारा गया है। तथा निश्चय जो कुछ आपकी ओर आपके पालनहार की तरफ़ से उतारा गया है, वह उनमें से बहुत से लोगों को उल्लंघन और कुफ़्र में अवश्य बढ़ा देगा। अतः आप काफ़िर लोगों पर दुखी न हों।
[44] अर्थात उनके आदेशों का पालन करो।
Ibisobanuro by'icyarabu:
اِنَّ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَالَّذِیْنَ هَادُوْا وَالصّٰبِـُٔوْنَ وَالنَّصٰرٰی مَنْ اٰمَنَ بِاللّٰهِ وَالْیَوْمِ الْاٰخِرِ وَعَمِلَ صَالِحًا فَلَا خَوْفٌ عَلَیْهِمْ وَلَا هُمْ یَحْزَنُوْنَ ۟
निःसंदेह जो लोग ईमान लाए और जो यहूदी बने, तथा साबी और ईसाई, जो भी अल्लाह तथा अंतिम दिन पर ईमान लाया और उसने अच्छा कर्म किया, तो उनपर न कोई डर है और न वे शोकाकुल[45] होंगे।
[45] आयत का भावार्थ यह है कि इस्लाम से पहले यहूदी, ईसाई तथा साबी जिन्होंने अपने धर्म को पकड़ रखा है, और उसमें किसी प्रकार का हेरफेर नहीं किया, अल्लाह और आख़िरत पर ईमान रखा और सत्कर्म किए उनको कोई भय और चिंता नहीं होनी चाहिए। इसी प्रकार की आयत सूरतुल-बक़रा (62) में भी आई है, जिसके विषय में आता है कि कुछ लोगों ने नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से प्रश्न किया कि उन लोगों का क्या होगा जो अपने धर्म पर स्थित थे और मर गए? इसी पर यह आयत उतरी। परंतु अब नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) और आपके लाए धर्म पर ईमान लाना अनिवार्य है, इसके बिना मोक्ष (नजात) नहीं मिल सकता।
Ibisobanuro by'icyarabu:
لَقَدْ اَخَذْنَا مِیْثَاقَ بَنِیْۤ اِسْرَآءِیْلَ وَاَرْسَلْنَاۤ اِلَیْهِمْ رُسُلًا ؕ— كُلَّمَا جَآءَهُمْ رَسُوْلٌۢ بِمَا لَا تَهْوٰۤی اَنْفُسُهُمْ ۙ— فَرِیْقًا كَذَّبُوْا وَفَرِیْقًا یَّقْتُلُوْنَ ۟ۗ
निःसंदेह हमने बनी इसराईल से दृढ़ वचन लिया तथा उनकी ओर कई रसूल भेजे। जब कभी कोई रसूल उनके पास वह चीज़ लेकर आया, जिसे उनके दिल नहीं चाहते थे, तो उन्होंने एक गिरोह को झुठला दिया तथा एक गिरोह को क़त्ल करते रहे।
Ibisobanuro by'icyarabu:
 
Ibisobanuro by'amagambo Isura: Al Maidat
Urutonde rw'amasura numero y'urupapuro
 
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