Ibisobanuro bya qoran ntagatifu - Ibisobanuro mu gihindi * - Ishakiro ry'ibisobanuro

XML CSV Excel API
Please review the Terms and Policies

Ibisobanuro by'amagambo Isura: Al An’fal   Umurongo:

सूरा अल्-अन्फ़ाल

یَسْـَٔلُوْنَكَ عَنِ الْاَنْفَالِ ؕ— قُلِ الْاَنْفَالُ لِلّٰهِ وَالرَّسُوْلِ ۚ— فَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاَصْلِحُوْا ذَاتَ بَیْنِكُمْ ۪— وَاَطِیْعُوا اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗۤ اِنْ كُنْتُمْ مُّؤْمِنِیْنَ ۟
(ऐ नबी!) वे (आपके साथी) आपसे युद्ध में प्राप्त धन के विषय में पूछते हैं। आप कह दें कि युद्ध में प्राप्त धन अल्लाह और रसूल के हैं। अतः अल्लाह से डरो और आपस में सुधार रखो तथा अल्लाह और उसके रसूल की आज्ञा का पालन करो[1], यदि तुम ईमान वाले हो।
1. नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने तेरह वर्ष तक मक्का के मिश्रणवादियों के अत्याचार सहन किए। फिर मदीना हिजरत कर गए। परंतु वहाँ भी मक्का वासियों ने आप को चैन नहीं लेने दिया। और निरंतर आक्रमण आरंभ कर दिए। ऐसी दशा में आप भी अपनी रक्षा के लिए वीरता के साथ अपने 313 साथियों को लेकर बद्र के रणक्षेत्र में पहुँचे। जिसमें मिश्रणवादियों की पराजय हुई। और कुछ सामान भी मुसलमानों के हाथ आया। जिसे इस्लामी परिभाषा में "माले-ग़नीमत" कहा जाता है। और उसी के विषय में प्रश्न का उत्तर इस आयत में दिया गया है। यह प्रथम युद्ध हिजरत के दूसरे वर्ष हुआ।
Ibisobanuro by'icyarabu:
اِنَّمَا الْمُؤْمِنُوْنَ الَّذِیْنَ اِذَا ذُكِرَ اللّٰهُ وَجِلَتْ قُلُوْبُهُمْ وَاِذَا تُلِیَتْ عَلَیْهِمْ اٰیٰتُهٗ زَادَتْهُمْ اِیْمَانًا وَّعَلٰی رَبِّهِمْ یَتَوَكَّلُوْنَ ۟ۚۙ
(वास्तव में) ईमान वाले तो वही हैं कि जब अल्लाह का ज़िक्र किया जाए, तो उनके दिल काँप उठते हैं, और जब उनके सामने उसकी आयतें पढ़ी जाएँ, तो उनका ईमान बढ़ा देती हैं, और वे अपने पालनहार ही पर भरोसा रखते हैं।
Ibisobanuro by'icyarabu:
الَّذِیْنَ یُقِیْمُوْنَ الصَّلٰوةَ وَمِمَّا رَزَقْنٰهُمْ یُنْفِقُوْنَ ۟ؕ
वे लोग जो नमाज़ स्थापित करते हैं तथा हमने उन्हें जो कुछ प्रदान किया है, उसमें से ख़र्च करते हैं।
Ibisobanuro by'icyarabu:
اُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْمُؤْمِنُوْنَ حَقًّا ؕ— لَهُمْ دَرَجٰتٌ عِنْدَ رَبِّهِمْ وَمَغْفِرَةٌ وَّرِزْقٌ كَرِیْمٌ ۟ۚ
वही सच्चे ईमान वाले हैं, उन्हीं के लिए उनके पालनहार के पास बहुत से दर्जे तथा बड़ी क्षमा और सम्मानित (उत्तम) जीविका है।
Ibisobanuro by'icyarabu:
كَمَاۤ اَخْرَجَكَ رَبُّكَ مِنْ بَیْتِكَ بِالْحَقِّ ۪— وَاِنَّ فَرِیْقًا مِّنَ الْمُؤْمِنِیْنَ لَكٰرِهُوْنَ ۟ۙ
जिस प्रकार[2] आपके पालनहार ने आपको आपके घर (मदीना) से (बहुदेववादियों से युद्ध के लिए) सत्य के साथ निकाला, हालाँकि निश्चय ईमान वालों का एक समूह तो (इसे) नापसंद करने वाला था।
2. अर्थात यह युद्ध के माल का विषय भी उसी प्रकार है कि अल्लाह ने उसे अपने और अपने रसूल का भाग बना दिया, जिस प्रकार अपने आदेश से आपको यूद्ध के लिये निकाला।
Ibisobanuro by'icyarabu:
یُجَادِلُوْنَكَ فِی الْحَقِّ بَعْدَ مَا تَبَیَّنَ كَاَنَّمَا یُسَاقُوْنَ اِلَی الْمَوْتِ وَهُمْ یَنْظُرُوْنَ ۟ؕ
वे आपसे सच के बारे में झगड़ते थे, इसके बाद कि वह स्पष्ट हो चुका था, जैसे उन्हें मौत की ओर हाँका जा रहा है और वे उसे देख रहे हैं।
Ibisobanuro by'icyarabu:
وَاِذْ یَعِدُكُمُ اللّٰهُ اِحْدَی الطَّآىِٕفَتَیْنِ اَنَّهَا لَكُمْ وَتَوَدُّوْنَ اَنَّ غَیْرَ ذَاتِ الشَّوْكَةِ تَكُوْنُ لَكُمْ وَیُرِیْدُ اللّٰهُ اَنْ یُّحِقَّ الْحَقَّ بِكَلِمٰتِهٖ وَیَقْطَعَ دَابِرَ الْكٰفِرِیْنَ ۟ۙ
तथा (वह समय याद करो) जब अल्लाह तुम्हें वचन दे रहा था कि दो गिरोहों[3] में से एक तुम्हारे हाथ आएगा और तुम चाहते थे कि निर्बल (निःशस्त्र) गिरोह तुम्हारे हाथ लगे। और अल्लाह चाहता था कि अपने वचन द्वारा सत्य को सिद्ध कर दे और काफ़िरों की जड़ काट दे।
3. अर्थात क़ुरैश मक्का का व्यापारिक क़ाफ़िला जो सीरिया की ओर से आ रहा था, या उनकी सेना जो मक्का से आ रही थी। इसमें निर्बल गिरोह व्यापारिक क़ाफ़िले को कहा गया है।
Ibisobanuro by'icyarabu:
لِیُحِقَّ الْحَقَّ وَیُبْطِلَ الْبَاطِلَ وَلَوْ كَرِهَ الْمُجْرِمُوْنَ ۟ۚ
ताकि वह सत्य को सत्य कर दे और असत्य को असत्य कर दे, यद्यपि अपराधियों को बुरा लगे।
Ibisobanuro by'icyarabu:
اِذْ تَسْتَغِیْثُوْنَ رَبَّكُمْ فَاسْتَجَابَ لَكُمْ اَنِّیْ مُمِدُّكُمْ بِاَلْفٍ مِّنَ الْمَلٰٓىِٕكَةِ مُرْدِفِیْنَ ۟
जब तुम अपने पालनहार से (बद्र के युद्ध के समय) मदद माँग रहे थे, तो उसने तुम्हारी प्रार्थना स्वीकार कर ली कि निःसंदेह मैं एक हज़ार फ़रिश्तों के साथ तुम्हारी सहायता करने वाला हूँ, जो एक-दूसरे के पीछे आने वाले हैं।[4]
4. नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने बद्र के दिन कहा : यह घोड़े की लगाम थामे और हथियार लगाए जिब्रील अलैहिस्सलाम आए हुए हैं। (देखिए : सह़ीह़ बुख़ारी : 3995) इसी प्रकार एक मुसलमान एक मुश्रिक का पीछा कर रहा था कि अपने ऊपर से घुड़सवार की आवाज़ सुनी : हैज़ूम (घोड़े का नाम) आगे बढ़। फिर देखा कि मुश्रिक उसके सामने चित गिरा हुआ है। उसकी नाक और चेहरे पर कोड़े की मार का निशान है। फिर उसने यह बात नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को बताई। तो आपने कहा : सच्च है। यह तीसरे आकाश की सहायता है। (देखिए : सह़ीह़ मुस्लिम : 1763)
Ibisobanuro by'icyarabu:
وَمَا جَعَلَهُ اللّٰهُ اِلَّا بُشْرٰی وَلِتَطْمَىِٕنَّ بِهٖ قُلُوْبُكُمْ ؕ— وَمَا النَّصْرُ اِلَّا مِنْ عِنْدِ اللّٰهِ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ عَزِیْزٌ حَكِیْمٌ ۟۠
और अल्लाह ने यह इसलिए किया कि (तुम्हारे लिए) शुभ सूचना हो और ताकि इसके साथ तुम्हारे दिल संतुष्ट हो जाएँ। अन्यथा सहायता तो अल्लाह ही की ओर से होती है। निःसंदेह अल्लाह सब पर प्रभुत्वशाली, पूर्ण हिकमत वाला है।
Ibisobanuro by'icyarabu:
اِذْ یُغَشِّیْكُمُ النُّعَاسَ اَمَنَةً مِّنْهُ وَیُنَزِّلُ عَلَیْكُمْ مِّنَ السَّمَآءِ مَآءً لِّیُطَهِّرَكُمْ بِهٖ وَیُذْهِبَ عَنْكُمْ رِجْزَ الشَّیْطٰنِ وَلِیَرْبِطَ عَلٰی قُلُوْبِكُمْ وَیُثَبِّتَ بِهِ الْاَقْدَامَ ۟ؕ
और वह समय याद करो जब अल्लाह अपनी ओर से शांति के लिए तुमपर ऊँघ डाल रहा था और तुमपर आकाश से जल बरसा रहा था, ताकि उसके द्वारा तुम्हें पाक कर दे और तुमसे शैतान की मलिनता दूर कर दे और तुम्हारे दिलों को मज़बूत कर दे और उसके द्वारा (तुम्हारे) पाँव जमा दे।[5]
5. बद्र के युद्ध के समय मुसलमानों की संख्या मात्र 313 थी। और सिवाय एक व्यक्ति के किसी के पास घोड़ा न था। मुसलमान डरे-सहमे थे। जल के स्थान पर शत्रु ने पहले ही अधिकार कर लिया था। भूमि रेतीली थी जिसमें पाँव धंस जाते थे। और शत्रु सवार थे। और उनकी संख्या भी तीन गुना थी। ऐसी दशा में अल्लाह ने मुसलमानों पर निद्रा उतारकर उन्हें निश्चिंत कर दिया और वर्षा करके पानी की व्यवस्था कर दी। जिससे भूमि भी कड़ी हो गई। और अपनी असफलता का भय जो शैतानी संशय था, वह भी दूर हो गया।
Ibisobanuro by'icyarabu:
اِذْ یُوْحِیْ رَبُّكَ اِلَی الْمَلٰٓىِٕكَةِ اَنِّیْ مَعَكُمْ فَثَبِّتُوا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا ؕ— سَاُلْقِیْ فِیْ قُلُوْبِ الَّذِیْنَ كَفَرُوا الرُّعْبَ فَاضْرِبُوْا فَوْقَ الْاَعْنَاقِ وَاضْرِبُوْا مِنْهُمْ كُلَّ بَنَانٍ ۟ؕ
जब आपका पालनहार फ़रिश्तों की ओर वह़्य कर रहा था कि निःसंदेह मैं तुम्हारे साथ हूँ। अतः तुम ईमान वालों को स्थिर रखो। शीघ्र ही मैं काफ़िरों के दिलों में भय डाल दूँगा। तो (ऐ मुसलमानों!) तुम उनकी गरदनों के ऊपर मारो तथा उनके पोर-पोर पर आघात पहुँचाओ।
Ibisobanuro by'icyarabu:
ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ شَآقُّوا اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ ۚ— وَمَنْ یُّشَاقِقِ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ فَاِنَّ اللّٰهَ شَدِیْدُ الْعِقَابِ ۟
यह इसलिए कि निःसंदेह उन्होंने अल्लाह और उसके रसूल का विरोध किया तथा जो अल्लाह और उसके रसूल का विरोध करे, तो निःसंदेह अल्लाह कड़ी यातना देने वाला है।
Ibisobanuro by'icyarabu:
ذٰلِكُمْ فَذُوْقُوْهُ وَاَنَّ لِلْكٰفِرِیْنَ عَذَابَ النَّارِ ۟
यह है (तुम्हारी यातना), तो इसका स्वाद चखो और (जान लो कि) निःसंदेह काफ़िरों के लिए जहन्नम की यातना (भी) है।
Ibisobanuro by'icyarabu:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اِذَا لَقِیْتُمُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا زَحْفًا فَلَا تُوَلُّوْهُمُ الْاَدْبَارَ ۟ۚ
ऐ ईमान वालो! जब तुम काफ़िरों की सेना से भिड़ो, तो उनसे पीठें न फेरो।
Ibisobanuro by'icyarabu:
وَمَنْ یُّوَلِّهِمْ یَوْمَىِٕذٍ دُبُرَهٗۤ اِلَّا مُتَحَرِّفًا لِّقِتَالٍ اَوْ مُتَحَیِّزًا اِلٰی فِئَةٍ فَقَدْ بَآءَ بِغَضَبٍ مِّنَ اللّٰهِ وَمَاْوٰىهُ جَهَنَّمُ ؕ— وَبِئْسَ الْمَصِیْرُ ۟
और जो कोई उस दिन उनसे अपनी पीठ फेरे, सिवाय उसके जो पलटकर आक्रमण करने वाला अथवा (अपने) किसी गिरोह से मिलने वाला हो, तो निश्चय वह अल्लाह के प्रकोप के साथ लौटा, और उसका ठिकाना जहन्नम है और वह लौटने की बुरी जगह है।
Ibisobanuro by'icyarabu:
فَلَمْ تَقْتُلُوْهُمْ وَلٰكِنَّ اللّٰهَ قَتَلَهُمْ ۪— وَمَا رَمَیْتَ اِذْ رَمَیْتَ وَلٰكِنَّ اللّٰهَ رَمٰی ۚ— وَلِیُبْلِیَ الْمُؤْمِنِیْنَ مِنْهُ بَلَآءً حَسَنًا ؕ— اِنَّ اللّٰهَ سَمِیْعٌ عَلِیْمٌ ۟
अतः (रणक्षेत्र में) तुमने उन्हें क़त्ल नहीं किया, परंतु अल्लाह ने उन्हें क़त्ल किया। और (ऐ नबी!) आपने नहीं फेंका जब आपने फेंका, परंतु अल्लाह ने फेंका। और (यह इसलिए हुआ) ताकि वह इसके द्वारा ईमान वालों को अच्छी तरह आज़माए। निःसंदेह अल्लाह सब कुछ सुनने वाला, सब कुछ जानने वाला है।[6]
6. आयत का भावार्थ यह है कि शत्रु पर विजय तुम्हारी शक्ति से नहीं हुई। इसी प्रकार नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने रणक्षेत्र में कंकरियाँ लेकर शत्रु की सेना की ओर फेंकी, जो प्रत्येक शत्रु की आँख में पड़ गई। और वहीं से उनकी पराजय का आरंभ हुआ, तो उस धूल को शत्रु की आँखों तक अल्लाह ही ने पहुँचाया था। (इब्ने कसीर)
Ibisobanuro by'icyarabu:
ذٰلِكُمْ وَاَنَّ اللّٰهَ مُوْهِنُ كَیْدِ الْكٰفِرِیْنَ ۟
यह सब अल्लाह की ओर से है और निश्चय अल्लाह काफ़िरों की चालों को कमज़ोर करने वाला है।
Ibisobanuro by'icyarabu:
اِنْ تَسْتَفْتِحُوْا فَقَدْ جَآءَكُمُ الْفَتْحُ ۚ— وَاِنْ تَنْتَهُوْا فَهُوَ خَیْرٌ لَّكُمْ ۚ— وَاِنْ تَعُوْدُوْا نَعُدْ ۚ— وَلَنْ تُغْنِیَ عَنْكُمْ فِئَتُكُمْ شَیْـًٔا وَّلَوْ كَثُرَتْ ۙ— وَاَنَّ اللّٰهَ مَعَ الْمُؤْمِنِیْنَ ۟۠
यदि तुम[7] निर्णय चाहते हो, तो तुम्हारे पास निर्णय आ चुका, और यदि तुम रुक जाओ, तो वह तुम्हारे लिए बेहतर है। और यदि तुम फिर पहले जैसा करोगे, तो हम (भी) वैसा ही करेंगे, और तुम्हारा जत्था हरगिज़ तुम्हारे कुछ काम न आएगा, चाहे वह बहुत अधिक हो। और निश्चय अल्लाह ईमान वालों के साथ है।
7. आयत में मक्का के काफ़िरों को संबोधित किया गया है, जो कहते थे कि यदि तुम सच्चे हो तो इसका निर्णय कब होगा? (देखिए : सूरतुस-सजदा, आयत : 28)
Ibisobanuro by'icyarabu:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اَطِیْعُوا اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ وَلَا تَوَلَّوْا عَنْهُ وَاَنْتُمْ تَسْمَعُوْنَ ۟
ऐ ईमान वालो! अल्लाह और उसके रसूल का आज्ञापालन करो और उससे मुँह न फेरो, जबकि तुम सुन रहे हो।
Ibisobanuro by'icyarabu:
وَلَا تَكُوْنُوْا كَالَّذِیْنَ قَالُوْا سَمِعْنَا وَهُمْ لَا یَسْمَعُوْنَ ۟ۚ
तथा उन लोगों के समान[8] न हो जाओ, जिन्होंने कहा कि हमने सुन लिया, हालाँकि वे नहीं सुनते।
8. इसमें संकेत अह्ले किताब की ओर है।
Ibisobanuro by'icyarabu:
اِنَّ شَرَّ الدَّوَآبِّ عِنْدَ اللّٰهِ الصُّمُّ الْبُكْمُ الَّذِیْنَ لَا یَعْقِلُوْنَ ۟
निःसंदेह अल्लाह के निकट सब जानवरों से बुरे वे बहरे-गूँगे हैं, जो समझते नहीं।
Ibisobanuro by'icyarabu:
وَلَوْ عَلِمَ اللّٰهُ فِیْهِمْ خَیْرًا لَّاَسْمَعَهُمْ ؕ— وَلَوْ اَسْمَعَهُمْ لَتَوَلَّوْا وَّهُمْ مُّعْرِضُوْنَ ۟
और यदि अल्लाह उनके अंदर कोई भलाई जानता, तो उन्हें अवश्य सुना देता और यदि वह उन्हें सुना देता, तो भी वे मुँह फेर जाते, इस हाल में कि वे उपेक्षा करने वाले होते।
Ibisobanuro by'icyarabu:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوا اسْتَجِیْبُوْا لِلّٰهِ وَلِلرَّسُوْلِ اِذَا دَعَاكُمْ لِمَا یُحْیِیْكُمْ ۚ— وَاعْلَمُوْۤا اَنَّ اللّٰهَ یَحُوْلُ بَیْنَ الْمَرْءِ وَقَلْبِهٖ وَاَنَّهٗۤ اِلَیْهِ تُحْشَرُوْنَ ۟
ऐ ईमान वालो! अल्लाह और उसके रसूल के बुलावे को स्वीकार करो, जब वह तुम्हें उस चीज़ के लिए बुलाए, जो तुम्हें[9] जीवन प्रदान करती है। और जान लो कि निःसंदेह अल्लाह आदमी और उसके दिल के बीच रुकावट[10] बन जाता है। और यह कि निःसंदेह तुम उसी की ओर लौटाए जाओगे।
9. इससे अभिप्राय क़ुरआन तथा इस्लाम है। (इब्ने कसीर) 10. अर्थात जो अल्लाह और उसके रसूल की बात नहीं मानता, तो अल्लाह उसे मार्गदर्शन भी नहीं देता।
Ibisobanuro by'icyarabu:
وَاتَّقُوْا فِتْنَةً لَّا تُصِیْبَنَّ الَّذِیْنَ ظَلَمُوْا مِنْكُمْ خَآصَّةً ۚ— وَاعْلَمُوْۤا اَنَّ اللّٰهَ شَدِیْدُ الْعِقَابِ ۟
तथा उस फ़ितने से बचो, जो तुममें से विशेष रूप से अत्याचारियों ही पर नहीं आएगा और जान लो कि अल्लाह कड़ी यातना[11] देने वाला है।
11. इस आयत का भावार्थ यह है कि अपने समाज में बुराइयों को न पनपने दो। अन्यथा जो आपदा आएगी वह सब पर आएगी। (इब्ने कसीर)
Ibisobanuro by'icyarabu:
وَاذْكُرُوْۤا اِذْ اَنْتُمْ قَلِیْلٌ مُّسْتَضْعَفُوْنَ فِی الْاَرْضِ تَخَافُوْنَ اَنْ یَّتَخَطَّفَكُمُ النَّاسُ فَاٰوٰىكُمْ وَاَیَّدَكُمْ بِنَصْرِهٖ وَرَزَقَكُمْ مِّنَ الطَّیِّبٰتِ لَعَلَّكُمْ تَشْكُرُوْنَ ۟
तथा वह समय याद करो, जब तुम बहुत थोड़े थे, धरती (मक्का) में बहुत कमज़ोर समझे गए थे। तुम डरते थे कि लोग तुम्हें उचक कर ले जाएँगे। तो उस (अल्लाह) ने तुम्हें (मदीना में) शरण दी और अपनी सहायता द्वारा तुम्हें शक्ति प्रदान की और तुम्हें पवित्र चीज़ों से जीविका प्रदान की, ताकि तुम शुक्रिया अदा करो।
Ibisobanuro by'icyarabu:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا لَا تَخُوْنُوا اللّٰهَ وَالرَّسُوْلَ وَتَخُوْنُوْۤا اَمٰنٰتِكُمْ وَاَنْتُمْ تَعْلَمُوْنَ ۟
ऐ ईमान वालो! अल्लाह तथा उसके रसूल के साथ विश्वासघात न करो और न अपनी अमानतों में ख़यानत[12] करो, जबकि तुम जानते हो।
12. अर्थात अल्लाह और उसके रसूल के लिए जो तुम्हारा दायित्व और कर्तव्य है, उसे पूरा करो। (इब्ने कसीर)
Ibisobanuro by'icyarabu:
وَاعْلَمُوْۤا اَنَّمَاۤ اَمْوَالُكُمْ وَاَوْلَادُكُمْ فِتْنَةٌ ۙ— وَّاَنَّ اللّٰهَ عِنْدَهٗۤ اَجْرٌ عَظِیْمٌ ۟۠
तथा जान लो कि तुम्हारे धन और तुम्हारी संतान एक परीक्षण हैं और यह कि निश्चय अल्लाह के पास बहुत बड़ा प्रतिफल है।
Ibisobanuro by'icyarabu:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اِنْ تَتَّقُوا اللّٰهَ یَجْعَلْ لَّكُمْ فُرْقَانًا وَّیُكَفِّرْ عَنْكُمْ سَیِّاٰتِكُمْ وَیَغْفِرْ لَكُمْ ؕ— وَاللّٰهُ ذُو الْفَضْلِ الْعَظِیْمِ ۟
ऐ ईमान वालो! यदि तुम अल्लाह से डरोगे, तो वह तुम्हें (सत्य और असत्य के बीच) अंतर करने की शक्ति[13] प्रदान करेगा तथा तुमसे तुम्हारी बुराइयाँ दूर कर देगा और तुम्हे क्षमा कर देगा। और अल्लाह बहुत बड़े अनुग्रह वाला है।
13. कुछ ने इसका अर्थ निर्णय लिया है। अर्थात अल्लाह तुम्हारे और तुम्हारे विरोधियों के बीच निर्णय कर देगा।
Ibisobanuro by'icyarabu:
وَاِذْ یَمْكُرُ بِكَ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا لِیُثْبِتُوْكَ اَوْ یَقْتُلُوْكَ اَوْ یُخْرِجُوْكَ ؕ— وَیَمْكُرُوْنَ وَیَمْكُرُ اللّٰهُ ؕ— وَاللّٰهُ خَیْرُ الْمٰكِرِیْنَ ۟
तथा (ऐ नबी! वह समय याद करो) जब (मक्का में) काफ़िर आपके विरुद्ध गुप्त उपाय कर रहे थे, ताकि आपको क़ैद कर दें, अथवा आपका वध कर दें अथवा आपको (देश से) बाहर निकाल दें। तथा वे गुप्त उपाय कर रहे थे और अल्लाह भी गुप्त उपाय कर रहा था और अल्लाह सब गुप्त उपाय करने वालों से बेहतर गुप्त उपाय करने वाला है।[14]
14. अर्थात उनकी सभी योजनाओं को विफल करके आपको सुरक्षित मदीना पहुँचा दिया।
Ibisobanuro by'icyarabu:
وَاِذَا تُتْلٰی عَلَیْهِمْ اٰیٰتُنَا قَالُوْا قَدْ سَمِعْنَا لَوْ نَشَآءُ لَقُلْنَا مِثْلَ هٰذَاۤ ۙ— اِنْ هٰذَاۤ اِلَّاۤ اَسَاطِیْرُ الْاَوَّلِیْنَ ۟
और जब उनके सामने हमारी आयतें पढ़ी जाती है, तो वे कहते हैं : निःसंदेह हमने सुन लिया। यदि हम चाहें, तो निश्चय इस (क़ुरआन) जैसा हम भी कह दें। यह तो पहले लोगों की काल्पनिक कहानियों के सिवा कुछ नहीं।
Ibisobanuro by'icyarabu:
وَاِذْ قَالُوا اللّٰهُمَّ اِنْ كَانَ هٰذَا هُوَ الْحَقَّ مِنْ عِنْدِكَ فَاَمْطِرْ عَلَیْنَا حِجَارَةً مِّنَ السَّمَآءِ اَوِ ائْتِنَا بِعَذَابٍ اَلِیْمٍ ۟
तथा (याद करो) जब उन्होंने कहा : ऐ अल्लाह! यदि यही[15] तेरी ओर से सत्य है, तो हमपर आकाश से पत्थरों की वर्षा कर दे अथवा हमपर कोई दुःखदायी यातना ले आ।
15. अर्थात क़ुरआन। यह बात क़ुरैश के मुखिया अबू जह्ल ने कही थी, जिसपर आगे की आयत उतरी। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4648)
Ibisobanuro by'icyarabu:
وَمَا كَانَ اللّٰهُ لِیُعَذِّبَهُمْ وَاَنْتَ فِیْهِمْ ؕ— وَمَا كَانَ اللّٰهُ مُعَذِّبَهُمْ وَهُمْ یَسْتَغْفِرُوْنَ ۟
और अल्लाह कभी ऐसा नहीं कि उनमें आपके होते हुए उन्हें यातना दे, और अल्लाह उन्हें कभी यातना देने वाला नहीं, जब कि वे क्षमा याचना करते हों।
Ibisobanuro by'icyarabu:
وَمَا لَهُمْ اَلَّا یُعَذِّبَهُمُ اللّٰهُ وَهُمْ یَصُدُّوْنَ عَنِ الْمَسْجِدِ الْحَرَامِ وَمَا كَانُوْۤا اَوْلِیَآءَهٗ ؕ— اِنْ اَوْلِیَآؤُهٗۤ اِلَّا الْمُتَّقُوْنَ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَهُمْ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟
और उन्हें क्या है कि अल्लाह उन्हें यातना न दे, जबकि वे 'मस्जिदे ह़राम' (का'बा) से रोक रहे हैं, हालाँकि वे उसके संरक्षक नहीं। उसके संरक्षक तो केवल अल्लाह के डरने वाले बंदे हैं। परंतु उनके अधिकांश लोग नहीं जानते।
Ibisobanuro by'icyarabu:
وَمَا كَانَ صَلَاتُهُمْ عِنْدَ الْبَیْتِ اِلَّا مُكَآءً وَّتَصْدِیَةً ؕ— فَذُوْقُوا الْعَذَابَ بِمَا كُنْتُمْ تَكْفُرُوْنَ ۟
और उनकी नमाज़ उस घर (काबा) के पास सीटियाँ बजाने और तालियाँ बजाने के सिवा कुछ भी नहीं होती। तो अब अपने कुफ़्र (इनकार) के बदले यातना[16] का स्वाद चखो।
16. अर्थात बद्र में पराजय की यातना।
Ibisobanuro by'icyarabu:
اِنَّ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا یُنْفِقُوْنَ اَمْوَالَهُمْ لِیَصُدُّوْا عَنْ سَبِیْلِ اللّٰهِ ؕ— فَسَیُنْفِقُوْنَهَا ثُمَّ تَكُوْنُ عَلَیْهِمْ حَسْرَةً ثُمَّ یُغْلَبُوْنَ ؕ۬— وَالَّذِیْنَ كَفَرُوْۤا اِلٰی جَهَنَّمَ یُحْشَرُوْنَ ۟ۙ
निःसंदेह जिन लोगों ने कुफ़्र किया, वे अपने धन ख़र्च करते हैं ताकि अल्लाह के रास्ते से रोकें। तो वे उन्हें ख़र्च करते रहेंगे, फिर (ऐसा समय आएगा कि) वह उनके लिए पछतावे का कारण होगा। फिर वे पराजित होंगे। तथा जिन लोगों ने कुफ़्र किया, वे जहन्नम की ओर एकत्र किए जाएँगे।
Ibisobanuro by'icyarabu:
لِیَمِیْزَ اللّٰهُ الْخَبِیْثَ مِنَ الطَّیِّبِ وَیَجْعَلَ الْخَبِیْثَ بَعْضَهٗ عَلٰی بَعْضٍ فَیَرْكُمَهٗ جَمِیْعًا فَیَجْعَلَهٗ فِیْ جَهَنَّمَ ؕ— اُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْخٰسِرُوْنَ ۟۠
ताकि अल्लाह अपवित्र को पवित्र से अलग कर दे, तथा अपवित्र को एक पर एक रखकर ढेर बना दे। फिर उसे जहन्नम में फेंक दे। यही लोग घाटे में पड़ने वाले हैं।
Ibisobanuro by'icyarabu:
قُلْ لِّلَّذِیْنَ كَفَرُوْۤا اِنْ یَّنْتَهُوْا یُغْفَرْ لَهُمْ مَّا قَدْ سَلَفَ ۚ— وَاِنْ یَّعُوْدُوْا فَقَدْ مَضَتْ سُنَّتُ الْاَوَّلِیْنَ ۟
(ऐ नबी!) इन काफ़िरों से कह दें : यदि वे बाज़ आ जाएँ[17], तो जो कुछ हो चुका, उन्हें क्षमा कर दिया जाएगा, और यदि वे फिर ऐसा ही करें, तो पहले लोगों (के बारे में अल्लाह) का तरीक़ा गुज़र ही चुका है।
17. अर्थात ईमान ले आएँ।
Ibisobanuro by'icyarabu:
وَقَاتِلُوْهُمْ حَتّٰی لَا تَكُوْنَ فِتْنَةٌ وَّیَكُوْنَ الدِّیْنُ كُلُّهٗ لِلّٰهِ ۚ— فَاِنِ انْتَهَوْا فَاِنَّ اللّٰهَ بِمَا یَعْمَلُوْنَ بَصِیْرٌ ۟
तथा उनसे युद्ध करो, यहाँ तक कि कोई फ़ितना[18] न रह जाए और धर्म पूरा का पूरा अल्लाह के लिए हो जाए। फिर यदि वे बाज़ आ जाएँ, तो निःसंदेह अल्लाह जो कुछ वे कर रहे हैं, उसे खूब देखने वाला है।
18. इब्ने उमर (रज़ियल्लाहु अन्हुमा) ने कहा : नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) मुश्रिकों से उस समय युद्ध कर रहे थे जब मुसलमान कम थे। और उन्हें अपने धर्म के कारण सताया, मारा और बंदी बना लिया जाता था। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4650, 4651)
Ibisobanuro by'icyarabu:
وَاِنْ تَوَلَّوْا فَاعْلَمُوْۤا اَنَّ اللّٰهَ مَوْلٰىكُمْ ؕ— نِعْمَ الْمَوْلٰی وَنِعْمَ النَّصِیْرُ ۟
और यदि वे मुँह फेरें, तो जान लो कि निश्चय अल्लाह तुम्हारा संरक्षक है। वह बहुत अच्छा संरक्षक तथा बहुत अच्छा सहायक है।
Ibisobanuro by'icyarabu:
وَاعْلَمُوْۤا اَنَّمَا غَنِمْتُمْ مِّنْ شَیْءٍ فَاَنَّ لِلّٰهِ خُمُسَهٗ وَلِلرَّسُوْلِ وَلِذِی الْقُرْبٰی وَالْیَتٰمٰی وَالْمَسٰكِیْنِ وَابْنِ السَّبِیْلِ ۙ— اِنْ كُنْتُمْ اٰمَنْتُمْ بِاللّٰهِ وَمَاۤ اَنْزَلْنَا عَلٰی عَبْدِنَا یَوْمَ الْفُرْقَانِ یَوْمَ الْتَقَی الْجَمْعٰنِ ؕ— وَاللّٰهُ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ قَدِیْرٌ ۟
और जान लो[19] कि निःसंदेह तुम्हें जो कुछ भी ग़नीमत के रूप में मिले, तो निश्चय उसका पाँचवाँ भाग अल्लाह के लिए तथा रसूल के लिए और (आपके) निकट-संबंधियों तथा अनाथों, निर्धनों और यात्रियों के लिए है, यदि तुम अल्लाह पर तथा उस चीज़ पर ईमान लाए हो, जो हमने अपने बंदे[20] पर निर्णय के दिन उतारी। जिस दिन, दो सेनाएँ भिड़ गईं और अल्लाह हर चीज़ पर सर्वशक्तिमान है।
19. इसमें ग़नीमत (युद्ध में मिले सामान) के वितरण का नियम बताया गया है कि उसके पाँच भाग करके चार भाग मुजाहिदों को दिए जाएँ। पैदल को एक भाग तथा सवार को तीन भाग। फिर पाँचवाँ भाग अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के लिए था जिसे आप अपने परिवार और रिश्तेदारों तथा अनाथों और निर्धनों की सहायता के लिए ख़र्च करते थे। इस प्रकार इस्लाम ने अनाथों और निर्धनों की सहायता पर सदा ध्यान दिया है। और ग़नीमत में उन्हें भी भाग दिया है, यह इस्लाम की वह विशेषता है जो किसी धर्म में नहीं मिलेगी। 20. अर्थात मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) पर। निर्णय के दिन से अभिप्राय बद्र के युद्ध का दिन है जो सत्य और असत्य के बीच निर्णय का दिन था। जिसमें काफ़िरों के बड़े-बड़े प्रमुख और वीर मारे गए, जिनके शव बद्र के एक कुएँ में फेंक दिए गए। फिर आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) कुएँ के किनारे खड़े हुए और उन्हें उनके नामों से पुकारने लगे कि क्या तुम प्रसन्न होते कि अल्लाह और उसके रसूल को मानते? हमने अपने पालनहार का वचन सच्च पाया तो क्या तुमने सच्च पाया? उमर (रज़ियल्लाहु अन्हु) ने कहा : क्या आप ऐसे शरीरों से बात कर रहे हैं जिनमें प्राण नहीं? आपने कहा : मेरी बात तुम उनसे अधिक नहीं सुन रहे हो। (सह़ीह़ बुख़ारी : 3976)
Ibisobanuro by'icyarabu:
اِذْ اَنْتُمْ بِالْعُدْوَةِ الدُّنْیَا وَهُمْ بِالْعُدْوَةِ الْقُصْوٰی وَالرَّكْبُ اَسْفَلَ مِنْكُمْ ؕ— وَلَوْ تَوَاعَدْتُّمْ لَاخْتَلَفْتُمْ فِی الْمِیْعٰدِ ۙ— وَلٰكِنْ لِّیَقْضِیَ اللّٰهُ اَمْرًا كَانَ مَفْعُوْلًا ۙ۬— لِّیَهْلِكَ مَنْ هَلَكَ عَنْ بَیِّنَةٍ وَّیَحْیٰی مَنْ حَیَّ عَنْ بَیِّنَةٍ ؕ— وَاِنَّ اللّٰهَ لَسَمِیْعٌ عَلِیْمٌ ۟ۙ
तथा उस समय को याद करो, जब तुम (घाटी के) निकटवर्ती छोर पर थे तथा वे (तुम्हारे शत्रु) दूरस्थ छोर पर थे और क़ाफ़िला तुमसे नीचे की ओर था। और अगर तुमने एक-दूसरे से वादा किया होता, तो तुम निश्चित रूप से नियत समय के बारे में आगे-पीछे हो जाते। लेकिन ताकि अल्लाह उस काम को पूरा कर दे, जो किया जाने वाला था। ताकि जो नष्ट हो, वह स्पष्ट प्रमाण के साथ नष्ट हो और जो जीवित रहे वह स्पष्ट प्रमाण के साथ जीवित रहे, और निःसंदेह अल्लाह सब कुछ सुनने वाला, सब कुछ जानने वाला है।
Ibisobanuro by'icyarabu:
اِذْ یُرِیْكَهُمُ اللّٰهُ فِیْ مَنَامِكَ قَلِیْلًا ؕ— وَلَوْ اَرٰىكَهُمْ كَثِیْرًا لَّفَشِلْتُمْ وَلَتَنَازَعْتُمْ فِی الْاَمْرِ وَلٰكِنَّ اللّٰهَ سَلَّمَ ؕ— اِنَّهٗ عَلِیْمٌۢ بِذَاتِ الصُّدُوْرِ ۟
जब अल्लाह आपको आपके सपने[21] में उन्हें थोड़े दिखा रहा था, और यदि वह आपको उन्हें अधिक दिखाता, तो तुम अवश्य साहस खो देते और अवश्य इस मामले में आपस में झगड़ पड़ते। परंतु अल्लाह ने बचा लिया। निःसंदेह वह सीनों की बातों से भली-भाँति अवगत है।
21. इसमें उस स्वप्न की ओर संकेत है, जो आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को युद्ध से पहले दिखाया गया था।
Ibisobanuro by'icyarabu:
وَاِذْ یُرِیْكُمُوْهُمْ اِذِ الْتَقَیْتُمْ فِیْۤ اَعْیُنِكُمْ قَلِیْلًا وَّیُقَلِّلُكُمْ فِیْۤ اَعْیُنِهِمْ لِیَقْضِیَ اللّٰهُ اَمْرًا كَانَ مَفْعُوْلًا ؕ— وَاِلَی اللّٰهِ تُرْجَعُ الْاُمُوْرُ ۟۠
तथा जब वह तुम्हें, जब तुम्हारी परस्पर मुठभेड़ हुई, उनको तुम्हारी नज़रों में थोड़े दिखाता था, और तुमको उनकी नज़रों में बहुत कम करके दिखाता था, ताकि अल्लाह उस काम को पूरा कर दे, जो किया जाने वाला था। और सारे मामले अल्लाह ही की ओर लौटाए जाते हैं।[22]
22. अर्थात सबका निर्णय वही करता है।
Ibisobanuro by'icyarabu:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اِذَا لَقِیْتُمْ فِئَةً فَاثْبُتُوْا وَاذْكُرُوا اللّٰهَ كَثِیْرًا لَّعَلَّكُمْ تُفْلِحُوْنَ ۟ۚ
ऐ ईमान वालो! जब तुम किसी गिरोह से भिड़ो, तो जमे रहो तथा अल्लाह को बहुत याद करो, ताकि तुम्हें सफलता प्राप्त हो।
Ibisobanuro by'icyarabu:
وَاَطِیْعُوا اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ وَلَا تَنَازَعُوْا فَتَفْشَلُوْا وَتَذْهَبَ رِیْحُكُمْ وَاصْبِرُوْا ؕ— اِنَّ اللّٰهَ مَعَ الصّٰبِرِیْنَ ۟ۚ
तथा अल्लाह और उसके रसूल की आज्ञा का पालन करो और आपस में विवाद न करो, अन्यथा तुम कायर बन जाओगे और तुम्हारी हवा उखड़ जाएगी। तथा धैर्य रखो, निःसंदेह अल्लाह धैर्य रखने वालों के साथ है।
Ibisobanuro by'icyarabu:
وَلَا تَكُوْنُوْا كَالَّذِیْنَ خَرَجُوْا مِنْ دِیَارِهِمْ بَطَرًا وَّرِئَآءَ النَّاسِ وَیَصُدُّوْنَ عَنْ سَبِیْلِ اللّٰهِ ؕ— وَاللّٰهُ بِمَا یَعْمَلُوْنَ مُحِیْطٌ ۟
और उन[23] लोगों के समान न हो जाओ, जो अपने घरों से इतराते हुए तथा लोगों को दिखावा करते हुए निकले। और वे अल्लाह के मार्ग से रोकते थे। हालाँकि जो कुछ वे कर रहे थे, अल्लाह उसे (अपने ज्ञान के) घेरे में लिए हुए है।
23. इससे अभिप्राय मक्का की सेना है, जिसको अबू जह्ल लाया था।
Ibisobanuro by'icyarabu:
وَاِذْ زَیَّنَ لَهُمُ الشَّیْطٰنُ اَعْمَالَهُمْ وَقَالَ لَا غَالِبَ لَكُمُ الْیَوْمَ مِنَ النَّاسِ وَاِنِّیْ جَارٌ لَّكُمْ ۚ— فَلَمَّا تَرَآءَتِ الْفِئَتٰنِ نَكَصَ عَلٰی عَقِبَیْهِ وَقَالَ اِنِّیْ بَرِیْٓءٌ مِّنْكُمْ اِنِّیْۤ اَرٰی مَا لَا تَرَوْنَ اِنِّیْۤ اَخَافُ اللّٰهَ ؕ— وَاللّٰهُ شَدِیْدُ الْعِقَابِ ۟۠
और जब शैतान[24] ने उनके लिए उनके कर्मों को सुंदर बना दिया और कहा : आज लोगों में से कोई भी तुमपर प्रबल नहीं होगा और निश्चय मैं तुम्हारा समर्थक हूँ। फिर जब दोनों समूह आमने-सामने हुए, तो वह अपनी एड़ियों के बल फिर गया और उसने कहा : निःसंदेह मैं तुमसे अलग हूँ। निःसंदेह मैं वह कुछ देख रहा हूँ, जो तुम नहीं देखते। निश्चय मैं अल्लाह से डरता हूँ और अल्लाह बहुत कठोर यातना देने वाला है।
24. बद्र के युद्ध में शैतान भी अपनी सेना के साथ सुराक़ा बिन मालिक के रूप में आया था। परंतु जब फ़रिश्तों को देखा, तो भाग गया। (इब्ने कसीर)
Ibisobanuro by'icyarabu:
اِذْ یَقُوْلُ الْمُنٰفِقُوْنَ وَالَّذِیْنَ فِیْ قُلُوْبِهِمْ مَّرَضٌ غَرَّ هٰۤؤُلَآءِ دِیْنُهُمْ ؕ— وَمَنْ یَّتَوَكَّلْ عَلَی اللّٰهِ فَاِنَّ اللّٰهَ عَزِیْزٌ حَكِیْمٌ ۟
जब मुनाफ़िक़ तथा वे लोग जिनके दिलों में बीमारी थे, कह रहे थे : इन लोगों को इनके धर्म ने धोखा दिया है। हालाँकि जो अल्लाह पर भरोसा करे, तो निःसंदेह अल्लाह सबपर प्रभुत्वशाली, पूर्ण हिकमत वाला है।
Ibisobanuro by'icyarabu:
وَلَوْ تَرٰۤی اِذْ یَتَوَفَّی الَّذِیْنَ كَفَرُوا الْمَلٰٓىِٕكَةُ یَضْرِبُوْنَ وُجُوْهَهُمْ وَاَدْبَارَهُمْ ۚ— وَذُوْقُوْا عَذَابَ الْحَرِیْقِ ۟
और काश! आप देखें, जब फ़रिश्ते काफ़िरों के प्राण निकालते हैं, उनके चेहरों और उनकी पीठों पर मारते हैं (और कहते हैं) जलाने वाली यातना[25] का मज़ा चखो।
25. बद्र के युद्ध में काफ़िरों के कई प्रमुख मारे गए। आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने युद्ध से पहले बता दिया कि अमुक इस स्थान पर मारा जाएगा तथा अमुक इस स्थान पर। और युद्ध समाप्त होने पर उनका शव उन्हीं स्थानों पर मिला। तनिक भी इधर-उधर नहीं हुआ। (बुख़ारी : 4480) ऐसे ही आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने युद्ध के समय कहा कि सारे जत्थे पराजित हो जाएँगे और पीठ दिखा देंगे। और उसी समय शत्रु पराजित होने लगे। (बुख़ारी : 4875)
Ibisobanuro by'icyarabu:
ذٰلِكَ بِمَا قَدَّمَتْ اَیْدِیْكُمْ وَاَنَّ اللّٰهَ لَیْسَ بِظَلَّامٍ لِّلْعَبِیْدِ ۟ۙ
यह उसके बदले में है जो तुम्हारे हाथों ने आगे भेजा और इसलिए कि निश्चय अल्लाह बंदों पर तनिक भी अत्याचार नहीं करता।
Ibisobanuro by'icyarabu:
كَدَاْبِ اٰلِ فِرْعَوْنَ ۙ— وَالَّذِیْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ ؕ— كَفَرُوْا بِاٰیٰتِ اللّٰهِ فَاَخَذَهُمُ اللّٰهُ بِذُنُوْبِهِمْ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ قَوِیٌّ شَدِیْدُ الْعِقَابِ ۟
(इनका हाल) फ़िरऔनियों तथा उनसे पहले के लोगों के हाल की तरह हुआ। उन्होंने अल्लाह की निशानियों का इनकार किया, तो अल्लाह ने उन्हें उनके गुनाहों के कारण पकड़ लिया। निःसंदेह अल्लाह बहुत शक्तिशाली, बहुत कठोर दंड वाला है।
Ibisobanuro by'icyarabu:
ذٰلِكَ بِاَنَّ اللّٰهَ لَمْ یَكُ مُغَیِّرًا نِّعْمَةً اَنْعَمَهَا عَلٰی قَوْمٍ حَتّٰی یُغَیِّرُوْا مَا بِاَنْفُسِهِمْ ۙ— وَاَنَّ اللّٰهَ سَمِیْعٌ عَلِیْمٌ ۟ۙ
यह इस कारण (हुआ) कि अल्लाह कभी भी उस नेमत को बदलने वाला नहीं है, जो उसने किसी जाति पर की हो, यहाँ तक कि वे (स्वयं) बदल दें जो उनके दिलों में है। और इसलिए कि अल्लाह सब कुछ सुनने वाला, सब कुछ जानने वाला है।
Ibisobanuro by'icyarabu:
كَدَاْبِ اٰلِ فِرْعَوْنَ ۙ— وَالَّذِیْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ ؕ— كَذَّبُوْا بِاٰیٰتِ رَبِّهِمْ فَاَهْلَكْنٰهُمْ بِذُنُوْبِهِمْ وَاَغْرَقْنَاۤ اٰلَ فِرْعَوْنَ ۚ— وَكُلٌّ كَانُوْا ظٰلِمِیْنَ ۟
इनकी दशा फ़िरऔनियों तथा उन लोगों जैसी हुई, जो उनसे पहले थे। उन्होंने अल्लाह की आयतों को झुठलाया, तो हमने उन्हें उनके पापों के कारण विनष्ट कर दिया तथा फ़िरऔनियों को डुबो दिया। और वे सभी अत्याचारी थे।[26]
26. इस आयत में तथा आयत संख्या 52 में व्यक्तियों तथा जातियों के उत्थान और पतन का विधान बताया गया है कि वे स्वयं अपने कर्मों से अपना-अपना जीवन बनाती या अपना विनाश करती हैं।
Ibisobanuro by'icyarabu:
اِنَّ شَرَّ الدَّوَآبِّ عِنْدَ اللّٰهِ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا فَهُمْ لَا یُؤْمِنُوْنَ ۟ۖۚ
निःसंदेह अल्लाह की दृष्टि में सभी जानवरों से बुरे वे लोग हैं, जिन्होंने कुफ़्र किया, इसलिए वे ईमान नहीं लाते।
Ibisobanuro by'icyarabu:
اَلَّذِیْنَ عٰهَدْتَّ مِنْهُمْ ثُمَّ یَنْقُضُوْنَ عَهْدَهُمْ فِیْ كُلِّ مَرَّةٍ وَّهُمْ لَا یَتَّقُوْنَ ۟
वे लोग[27] जिनसे तूने संधि की। फिर वे हर बार अपना वचन भंग कर देते हैं। और वे (अल्लाह से) नहीं डरते।
27. इसमें मदीना के यहूदियों की ओर संकेत है। जिनसे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की संधि थी। फिर भी वे मुसलमानों के विरोध में गतिशील थे और बद्र के तुरंत बाद ही क़ुरैश को बदले के लिए भड़काने लगे थे।
Ibisobanuro by'icyarabu:
فَاِمَّا تَثْقَفَنَّهُمْ فِی الْحَرْبِ فَشَرِّدْ بِهِمْ مَّنْ خَلْفَهُمْ لَعَلَّهُمْ یَذَّكَّرُوْنَ ۟
तो यदि कभी तुम उन्हें युद्ध में पा जाओ, तो उनपर भारी प्रहार करने के साथ उन लोगों को भगा दो, जो उनके पीछे हैं, ताकि वे सीख ग्रहण करें।
Ibisobanuro by'icyarabu:
وَاِمَّا تَخَافَنَّ مِنْ قَوْمٍ خِیَانَةً فَانْۢبِذْ اِلَیْهِمْ عَلٰی سَوَآءٍ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَا یُحِبُّ الْخَآىِٕنِیْنَ ۟۠
और यदि कभी आपको किसी जाति की ओर से किसी विश्वासघात का भय हो, तो समानता के आधार पर उनका वचन उन पर फेंक दें।[28] निःसंदेह अल्लाह विश्वासघात करने वालों से प्रेम नहीं करता।
28. अर्थात उन्हें पहले सूचित कर दो कि अब हमारे तुम्हारे बीच संधि नहीं है।
Ibisobanuro by'icyarabu:
وَلَا یَحْسَبَنَّ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا سَبَقُوْا ؕ— اِنَّهُمْ لَا یُعْجِزُوْنَ ۟
जिन लोगों ने कुफ़्र किया, हरगिज़ न समझें कि वे बचकर निकले गए। निश्चय वे (हमें) विवश नहीं कर सकेंगे।
Ibisobanuro by'icyarabu:
وَاَعِدُّوْا لَهُمْ مَّا اسْتَطَعْتُمْ مِّنْ قُوَّةٍ وَّمِنْ رِّبَاطِ الْخَیْلِ تُرْهِبُوْنَ بِهٖ عَدُوَّ اللّٰهِ وَعَدُوَّكُمْ وَاٰخَرِیْنَ مِنْ دُوْنِهِمْ ۚ— لَا تَعْلَمُوْنَهُمْ ۚ— اَللّٰهُ یَعْلَمُهُمْ ؕ— وَمَا تُنْفِقُوْا مِنْ شَیْءٍ فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ یُوَفَّ اِلَیْكُمْ وَاَنْتُمْ لَا تُظْلَمُوْنَ ۟
तथा जहाँ तक तुमसे हो सके, अपनी शक्ति बढ़ाकर और घोड़ों को तैयार करके उनके (मुक़ाबले के) लिए अपने उपकरण तैयार करो, जिसके साथ तुम अल्लाह के दुश्मन और अपने दुश्मन को और उनके अलावा कुछ और लोगों को भयभीत[29] करोगे, जिन्हें तुम नहीं जानते, अल्लाह उन्हें जानता है। और तुम जो चीज़ भी अल्लाह की राह में खर्च करोगे, वह तुम्हें पूरी-पूरी लौटा दी जाएगी और तुमपर अत्याचार नहीं किया जाएगा।
29. ताकि वे तुमपर आक्रमण करने का साहस न करें, और आक्रमण करें तो अपनी रक्षा करो।
Ibisobanuro by'icyarabu:
وَاِنْ جَنَحُوْا لِلسَّلْمِ فَاجْنَحْ لَهَا وَتَوَكَّلْ عَلَی اللّٰهِ ؕ— اِنَّهٗ هُوَ السَّمِیْعُ الْعَلِیْمُ ۟
और यदि वे (शत्रु) संधि की ओर झुकें, तो आप भी उसकी ओर झुक जाएँ और अल्लाह पर भरोसा रखें। निःसंदेह वही सब कुछ सुनने वाला, सब कुछ जानने वाला है।
Ibisobanuro by'icyarabu:
وَاِنْ یُّرِیْدُوْۤا اَنْ یَّخْدَعُوْكَ فَاِنَّ حَسْبَكَ اللّٰهُ ؕ— هُوَ الَّذِیْۤ اَیَّدَكَ بِنَصْرِهٖ وَبِالْمُؤْمِنِیْنَ ۟ۙ
और यदि वे यह चाहें कि आपको धोखा दें, तो निःसंदेह आपके लिए अल्लाह ही काफ़ी है। वही है जिसने आपको अपनी मदद से और मोमिनों के द्वारा शक्ति प्रदान की।
Ibisobanuro by'icyarabu:
وَاَلَّفَ بَیْنَ قُلُوْبِهِمْ ؕ— لَوْ اَنْفَقْتَ مَا فِی الْاَرْضِ جَمِیْعًا مَّاۤ اَلَّفْتَ بَیْنَ قُلُوْبِهِمْ ۙ— وَلٰكِنَّ اللّٰهَ اَلَّفَ بَیْنَهُمْ ؕ— اِنَّهٗ عَزِیْزٌ حَكِیْمٌ ۟
और उसने उनके दिलों को आपस में जोड़ दिया। यदि आप धरती में जो कुछ है, सब खर्च कर देते, तो भी उनके दिलों को जोड़ न पाते। लेकिन अल्लाह ने उन्हें आपस में जोड़ दिया। निःसंदेह वह सबपर प्रभुत्वशाली, पूर्ण हिकमत वाला है।
Ibisobanuro by'icyarabu:
یٰۤاَیُّهَا النَّبِیُّ حَسْبُكَ اللّٰهُ وَمَنِ اتَّبَعَكَ مِنَ الْمُؤْمِنِیْنَ ۟۠
ऐ नबी! आपके लिए तथा आपके पीछे चलने वाले ईमानवालों के लिए अल्लाह काफ़ी है।
Ibisobanuro by'icyarabu:
یٰۤاَیُّهَا النَّبِیُّ حَرِّضِ الْمُؤْمِنِیْنَ عَلَی الْقِتَالِ ؕ— اِنْ یَّكُنْ مِّنْكُمْ عِشْرُوْنَ صٰبِرُوْنَ یَغْلِبُوْا مِائَتَیْنِ ۚ— وَاِنْ یَّكُنْ مِّنْكُمْ مِّائَةٌ یَّغْلِبُوْۤا اَلْفًا مِّنَ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا بِاَنَّهُمْ قَوْمٌ لَّا یَفْقَهُوْنَ ۟
ऐ नबी! ईमान वालों को लड़ाई पर उभारें।[30] यदि तुममें से बीस धैर्य रखने वाले हों, तो वे दो सौ पर विजय प्राप्त करेंगे, और यदि तुममें से एक सौ हों, तो वे कुफ़्र करने वालों में से एक हज़ार पर विजय प्राप्त करेंगे। यह इसलिए कि निःसंदेह वे ऐसे लोग हैं जो समझते नहीं।
30. इसलिए कि काफ़िर मैदान में आ गए हैं और आपसे युद्ध करना चाहते हैं। ऐसी दशा में जिहाद अनिवार्य हो जाता है, ताकि शत्रु के आक्रमण से बचा जाए।
Ibisobanuro by'icyarabu:
اَلْـٰٔنَ خَفَّفَ اللّٰهُ عَنْكُمْ وَعَلِمَ اَنَّ فِیْكُمْ ضَعْفًا ؕ— فَاِنْ یَّكُنْ مِّنْكُمْ مِّائَةٌ صَابِرَةٌ یَّغْلِبُوْا مِائَتَیْنِ ۚ— وَاِنْ یَّكُنْ مِّنْكُمْ اَلْفٌ یَّغْلِبُوْۤا اَلْفَیْنِ بِاِذْنِ اللّٰهِ ؕ— وَاللّٰهُ مَعَ الصّٰبِرِیْنَ ۟
अब अल्लाह ने तुम्हारा बोझ हल्का कर दिया और जान लिया कि तुम्हारे अंदर कुछ कमज़ोरी है। तो यदि तुममें से सौ धैर्य रखने वाले हों, तो दो सौ पर विजय प्राप्त करेंगे, और यदि तुममें से एक हज़ार आदमी हों, तो अल्लाह के हुक्म से दो हज़ार पर विजय प्राप्त करेंगे, और अल्लाह धैर्य रखने वालों के साथ है।[31]
31. अर्थात उनका सहायक है जो दुःख तथा सुख प्रत्येक दशा में उसके नियमों का पालन करते हैं।
Ibisobanuro by'icyarabu:
مَا كَانَ لِنَبِیٍّ اَنْ یَّكُوْنَ لَهٗۤ اَسْرٰی حَتّٰی یُثْخِنَ فِی الْاَرْضِ ؕ— تُرِیْدُوْنَ عَرَضَ الدُّنْیَا ۖۗ— وَاللّٰهُ یُرِیْدُ الْاٰخِرَةَ ؕ— وَاللّٰهُ عَزِیْزٌ حَكِیْمٌ ۟
किसी नबी के लिए उचित नहीं कि उसके पास बंदी हों, यहाँ तक कि वह धरती में (उनका) अच्छी तरह खून बहा ले। तुम संसार की सामग्री चाहते हो और अल्लाह आख़िरत (परलोक) चाहता है। और अल्लाह सबपर प्रभुत्वशाली, पूर्ण हिकमत वाला है।
Ibisobanuro by'icyarabu:
لَوْلَا كِتٰبٌ مِّنَ اللّٰهِ سَبَقَ لَمَسَّكُمْ فِیْمَاۤ اَخَذْتُمْ عَذَابٌ عَظِیْمٌ ۟
यदि अल्लाह के द्वारा लिखी गई बात न होती, जो पहले तय हो चुकी, तो तुमने जो कुछ भी लिया[32] उसके कारण तुम्हें बहुत बड़ी यातना पहुँचती।
32. यह आयत बद्र के बंदियों के बारे में उतरी। जब अल्लाह के किसी आदेश के बिना आपस के परामर्श से उनसे फिरौती ले ली गई। (इब्ने कसीर)
Ibisobanuro by'icyarabu:
فَكُلُوْا مِمَّا غَنِمْتُمْ حَلٰلًا طَیِّبًا ۖؗ— وَّاتَّقُوا اللّٰهَ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟۠
तो जो ग़नीमत का धन तुमने प्राप्त किया है, उसमें से खाओ[33], इस हाल में कि हलाल और पवित्र है, और अल्लाह से डरो। निःसंदेह अल्लाह बहुत क्षमा करने वाला, अत्यंत दयावान है।
33. आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया : मेरी एक विशेषता यह भी है कि मेरे लिए ग़नीमत हलाल कर दी गई, जो मुझसे पहले किसी नबी के लिए हलाल नहीं थी। (बुख़ारी : 335, मुस्लिम : 521)
Ibisobanuro by'icyarabu:
یٰۤاَیُّهَا النَّبِیُّ قُلْ لِّمَنْ فِیْۤ اَیْدِیْكُمْ مِّنَ الْاَسْرٰۤی ۙ— اِنْ یَّعْلَمِ اللّٰهُ فِیْ قُلُوْبِكُمْ خَیْرًا یُّؤْتِكُمْ خَیْرًا مِّمَّاۤ اُخِذَ مِنْكُمْ وَیَغْفِرْ لَكُمْ ؕ— وَاللّٰهُ غَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟
ऐ नबी! तुम्हारे हाथों में जो बंदी हैं, उनसे कह दो : यदि अल्लाह तुम्हारे दिलों में कोई भलाई जानेगा, तो तुम्हें उससे बेहतर प्रदान करेगा, जो तुमसे लिया गया है और तुम्हें क्षमा कर देगा। और अल्लाह अति क्षमाशील, अत्यंत दयावान है।
Ibisobanuro by'icyarabu:
وَاِنْ یُّرِیْدُوْا خِیَانَتَكَ فَقَدْ خَانُوا اللّٰهَ مِنْ قَبْلُ فَاَمْكَنَ مِنْهُمْ ؕ— وَاللّٰهُ عَلِیْمٌ حَكِیْمٌ ۟
और यदि वे आपके साथ विश्वासघात करना चाहें, तो निःसंदेह वे इससे पहले अल्लाह के साथ विश्वासघात कर चुके हैं। तो उसने (आपको) उनपर नियंत्रण दे दिया। तथा अल्लाह सब कुछ जानने वाला, पूर्ण हिकमत वाला है।
Ibisobanuro by'icyarabu:
اِنَّ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَهَاجَرُوْا وَجٰهَدُوْا بِاَمْوَالِهِمْ وَاَنْفُسِهِمْ فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ وَالَّذِیْنَ اٰوَوْا وَّنَصَرُوْۤا اُولٰٓىِٕكَ بَعْضُهُمْ اَوْلِیَآءُ بَعْضٍ ؕ— وَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَلَمْ یُهَاجِرُوْا مَا لَكُمْ مِّنْ وَّلَایَتِهِمْ مِّنْ شَیْءٍ حَتّٰی یُهَاجِرُوْا ۚ— وَاِنِ اسْتَنْصَرُوْكُمْ فِی الدِّیْنِ فَعَلَیْكُمُ النَّصْرُ اِلَّا عَلٰی قَوْمٍ بَیْنَكُمْ وَبَیْنَهُمْ مِّیْثَاقٌ ؕ— وَاللّٰهُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ بَصِیْرٌ ۟
निःसंदेह जो लोग ईमान लाए और उन्होंने हिजरत की तथा अल्लाह के मार्ग में अपने धन और अपने प्राण के साथ जिहाद किया, तथा जिन लोगों ने (उन्हें) शरण दिया और सहायता की, ये लोग आपस में मित्र हैं। और जो लोग ईमान लाए और हिजरत नहीं की, तुम्हारे लिए उनकी मित्रता में से कुछ भी नहीं, यहाँ तक कि वे हिजरत करें। और यदि वे धर्म के बारें में तुमसे सहायता माँगें, तो तुमपर सहायता करना आवश्यक है। परंतु किसी ऐसी जाति के विरुद्ध नहीं, जिनके और तुम्हारे बीच कोई संधि हो। तथा जो कुछ तुम कर रहे हो, अल्लाह उसे ख़ूब देखने वाला है।
Ibisobanuro by'icyarabu:
وَالَّذِیْنَ كَفَرُوْا بَعْضُهُمْ اَوْلِیَآءُ بَعْضٍ ؕ— اِلَّا تَفْعَلُوْهُ تَكُنْ فِتْنَةٌ فِی الْاَرْضِ وَفَسَادٌ كَبِیْرٌ ۟ؕ
और जिन लोगों ने कुफ़्र किया, वे आपस में एक-दूसरे के मित्र हैं। यदि तुम ऐसा न करोगे, तो धरती में बड़ा फ़ितना तथा बहुत बड़ा बिगाड़ पैदा होगा।
Ibisobanuro by'icyarabu:
وَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَهَاجَرُوْا وَجٰهَدُوْا فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ وَالَّذِیْنَ اٰوَوْا وَّنَصَرُوْۤا اُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْمُؤْمِنُوْنَ حَقًّا ؕ— لَهُمْ مَّغْفِرَةٌ وَّرِزْقٌ كَرِیْمٌ ۟
तथ जो लोग ईमान लाए और उन्होंने हिजरत की और अल्लाह के मार्ग में जिहाद किया और जिन लोगों ने (उन्हें) शरण दी और सहायता की, वही सच्चे मोमिन हैं। उन्हीं के लिए बड़ी क्षमा और सम्मानजनक जीविका है।
Ibisobanuro by'icyarabu:
وَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْا مِنْ بَعْدُ وَهَاجَرُوْا وَجٰهَدُوْا مَعَكُمْ فَاُولٰٓىِٕكَ مِنْكُمْ ؕ— وَاُولُوا الْاَرْحَامِ بَعْضُهُمْ اَوْلٰی بِبَعْضٍ فِیْ كِتٰبِ اللّٰهِ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ بِكُلِّ شَیْءٍ عَلِیْمٌ ۟۠
तथा जो लोग बाद में ईमान लाए और हिजरत की और तुम्हारे साथ मिलकर जिहाद किया, तो वे तुम ही में से हैं। और अल्लाह की किताब में रिश्तेदार एक-दूसरे के अधिक हक़दार[34] हैं। निःसंदेह अल्लाह प्रत्येक चीज़ को भली-भाँति जानने वाला है।
34. अर्थात मीरास में उनको प्राथमिकता प्राप्त है।
Ibisobanuro by'icyarabu:
 
Ibisobanuro by'amagambo Isura: Al An’fal
Urutonde rw'amasura numero y'urupapuro
 
Ibisobanuro bya qoran ntagatifu - Ibisobanuro mu gihindi - Ishakiro ry'ibisobanuro

Guhindura ibisobanuro bya Quran mu gihinde byasobanuwe na Azizul-Haqq Al-Umary

Gufunga