Ibisobanuro bya qoran ntagatifu - Ibisobanuro mu gihindi * - Ishakiro ry'ibisobanuro

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Ibisobanuro by'amagambo Isura: Al Qadar (Igeno)   Umurongo:

सूरा अल्-क़द्र

اِنَّاۤ اَنْزَلْنٰهُ فِیْ لَیْلَةِ الْقَدْرِ ۟ۚۙ
निःसंदेह हमने इस (क़ुरआन) को क़द्र की रात (महिमा वाली रात) में उतारा।
Ibisobanuro by'icyarabu:
وَمَاۤ اَدْرٰىكَ مَا لَیْلَةُ الْقَدْرِ ۟ؕ
और आपको क्या मालूम कि क़द्र की रात क्या है?
Ibisobanuro by'icyarabu:
لَیْلَةُ الْقَدْرِ ۙ۬— خَیْرٌ مِّنْ اَلْفِ شَهْرٍ ۟ؕؔ
क़द्र की रात हज़ार महीनों से उत्तम है।[1]
1. हज़ार मास से उत्तम होने का अर्थ यह कि इस शुभ रात्रि में इबादत की बहुत बड़ी प्रधानता है। अबू हुरैरह (रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत है कि जो व्यक्ति इस रात में ईमान (सत्य विश्वास) के साथ तथा पुण्य की निय्यत से इबादत करे, तो उसके सभी पहले के पाप क्षमा कर दिए जाते हैं। (देखिए : सह़ीह़ बुख़ारी, ह़दीस संख्या : 35, तथा सह़ीह़ मुस्लिम, ह़दीस संख्या : 760)
Ibisobanuro by'icyarabu:
تَنَزَّلُ الْمَلٰٓىِٕكَةُ وَالرُّوْحُ فِیْهَا بِاِذْنِ رَبِّهِمْ ۚ— مِنْ كُلِّ اَمْرٍ ۟ۙۛ
उसमें फ़रिश्ते तथा रूह (जिबरील) अपने पालनहार की अनुमति से हर आदेश के साथ उतरते हैं।[2]
2. 'रूह़' से अभिप्राय जिब्रील अलैहिस्सलाम हैं। उनकी प्रधानता के कारण सभी फ़रिश्तों से उनकी अलग चर्चा की गई है। और यह भी बताया गया है कि वे स्वयं नहीं बल्कि अपने पालनहार की आज्ञा से ही उतरते हैं।
Ibisobanuro by'icyarabu:
سَلٰمٌ ۛ۫— هِیَ حَتّٰی مَطْلَعِ الْفَجْرِ ۟۠
वह रात फ़ज्र उदय होने तक सर्वथा सलामती (शांति) है।[3]
3. इसका अर्थ यह है कि संध्या से भोर तक यह रात्रि सर्वथा शुभ तथा शांतिमय होती है। सह़ीह़ ह़दीसों से स्पष्ट होता है कि यह शुभ रात्रि रमज़ान की अंतिम दस रातों में से कोई एक रात है। इसलिए हमारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम इन दस रातों को अल्लाह की उपासना में बिताते थे।
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Ibisobanuro by'amagambo Isura: Al Qadar (Igeno)
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