Përkthimi i kuptimeve të Kuranit Fisnik - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - Përmbajtja e përkthimeve


Përkthimi i kuptimeve Ajeti: (63) Surja: Suretu Junus
الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَكَانُوْا یَتَّقُوْنَ ۟ؕ
ये अल्लाह के मित्र वे लोग हैं, जो अल्लाह पर और उसके रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर ईमान रखते थे तथा अल्लाह से, उसके आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से बचकर, डरते थे।
Tefsiret në gjuhën arabe:
Dobitë e ajeteve të kësaj faqeje:
• ولاية الله تكون لمن آمن به، وامتثل أوامره، واجتنب نواهيه، واتبع رسوله صلى الله عليه وسلم، وأولياء الله هم الآمنون يوم القيامة، ولهم البشرى في الدنيا إما بالرؤيا الصالحة أو عند الموت.
• अल्लाह की मित्रता उसे प्राप्त होती है, जो उसपर ईमान लाता है, उसकी आज्ञाओं का पालन करता है, उसके निषेधों से बचता है और उसके रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का अनुसरण करता है। अल्लाह के मित्र (औलिया) ही क़ियामत के दिन सुरक्षित रहेंगे, तथा उनके लिए इस दुनिया में या तो अच्छे स्वप्न के ज़रिए या मौत के समय शुभ समाचार है।

• العزة لله جميعًا وحده ؛ فهو مالك الملك، وما عُبِد من دون الله لا حقيقة له.
• सारी महिमा केवल अल्लाह की है। क्योंकि वही राज्य का स्वामी है। तथा अल्लाह के अतिरिक्त जिसकी पूजा की जाती है, उसकी कोई सच्चाई नहीं है।

• الحث على التفكر في خلق الله؛ لأن ذلك يقود إلى الإيمان به وتوحيده.
• अल्लाह की सृष्टि पर चिंतन करने के लिए प्रोत्साहन; क्योंकि यह अल्लाह पर ईमान लाने और उसे एकमात्र पूज्य मानने की ओर ले जाता है।

• حرمة الكذب على الله عز وجل، وأن صاحبه لن يفلح، ومن أعظم الكذب نسبة الولد له سبحانه.
• अल्लाह पर झूठ बोलना हराम है और ऐसा करने वाला कभी सफल नहीं होगा। और एक सबसे बड़ा झूठ अल्लाह की ओर संतान की निसबत करना है।

 
Përkthimi i kuptimeve Ajeti: (63) Surja: Suretu Junus
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Përkthimi i kuptimeve të Kuranit Fisnik - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم - Përmbajtja e përkthimeve

الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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