Përkthimi i kuptimeve të Kuranit Fisnik - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - Përmbajtja e përkthimeve


Përkthimi i kuptimeve Ajeti: (44) Surja: Suretu El Bekare
اَتَاْمُرُوْنَ النَّاسَ بِالْبِرِّ وَتَنْسَوْنَ اَنْفُسَكُمْ وَاَنْتُمْ تَتْلُوْنَ الْكِتٰبَ ؕ— اَفَلَا تَعْقِلُوْنَ ۟
कितनी बुरी बात है कि तुम दूसरों को तो ईमान और भलाई करने का आदेश दो, और अपने आपको भूलकर खुद उससे मुँह फेर लो, हालाँकि तुम तौरात पढ़ते हो, उसमें मौजूद अल्लाह के धर्म का पालन करने तथा उसके रसूलों पर विश्वास करने के आदेश से अवगत हो। तो क्या तुम अपनी बुद्धियों से लाभ नहीं उठाते?!
Tefsiret në gjuhën arabe:
Dobitë e ajeteve të kësaj faqeje:
• من أعظم الخذلان أن يأمر الإنسان غيره بالبر، وينسى نفسه.
• सबसे बड़ी विफलता में से एक यह है कि आदमी दूसरों को नेकी का आदेश दे और खुद को भूल जाए।

• الصبر والصلاة من أعظم ما يعين العبد في شؤونه كلها.
• धैर्य और नमाज़ सबसे बड़ी चीज़ों में से हैं जो बंदे की उसके सभी मामलों में मदद करते हैं।

• في يوم القيامة لا يَدْفَعُ العذابَ عن المرء الشفعاءُ ولا الفداءُ، ولا ينفعه إلا عمله الصالح.
• क़ियामत के दिन सिफ़ारिश करने वाले या फ़िदया देना किसी व्यक्ति से यातना को नहीं दूर करेगा, उसे केवल उसका नेक कार्य ही लाभ देगा।

 
Përkthimi i kuptimeve Ajeti: (44) Surja: Suretu El Bekare
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Përkthimi i kuptimeve të Kuranit Fisnik - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم - Përmbajtja e përkthimeve

الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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