அல்குர்ஆன் மொழிபெயர்ப்பு - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - மொழிபெயர்ப்பு அட்டவணை


மொழிபெயர்ப்பு வசனம்: (42) அத்தியாயம்: ஸூரா யூஸுப்
وَقَالَ لِلَّذِیْ ظَنَّ اَنَّهٗ نَاجٍ مِّنْهُمَا اذْكُرْنِیْ عِنْدَ رَبِّكَ ؗ— فَاَنْسٰىهُ الشَّیْطٰنُ ذِكْرَ رَبِّهٖ فَلَبِثَ فِی السِّجْنِ بِضْعَ سِنِیْنَ ۟۠
यूसुफ़ ने उन दोनों युवकों में से जिसके बारे में समझा था कि वह रिहा हो जाएगा (और वह राजा को शराब पिलाने वाला था) उससे कहा : राजा के पास मेरी कहानी और मेरे मामले का ज़िक्र करना; शायद वह मुझे जेल से निकाल दे। किन्तु शैतान ने शराब पिलाने वाले को राजा के पास यूसुफ़ का उल्लेख करना भुला दिया। इसलिए उसके बाद यूसुफ़ को कई वर्षों तक जेल में रहना पड़ा।
அரபு விரிவுரைகள்:
இப்பக்கத்தின் வசனங்களிலுள்ள பயன்கள்:
• وجوب اتباع ملة إبراهيم، والبراءة من الشرك وأهله.
• इबराहीम अलैहिस्सलाम के धर्म का पालन करने, तथा शिर्क और शिर्क करने वालों से अलग-थलग होने की अनिवार्यता।

• في قوله:﴿ءَأَرْبَابٌ مُّتَفَرِّقُونَ ...﴾ دليل على أن هؤلاء المصريين كانوا أصحاب ديانة سماوية لكنهم أهل إشراك.
• अल्लाह तआला के कथन : {...ءأَرْبَابٌ مُّتَفَرِّقُونَ} (क्या अलग-अलग अनेक पूज्य बेहतर हैं) में इस बात का प्रमाण है कि तत्कालीन मिस्रवासी आकाशीय धर्म के मानने वाले थे। किन्तु वे शिर्क में पड़े हुए थे।

• كلُّ الآلهة التي تُعبد من دون الله ما هي إلا أسماء على غير مسميات، ليس لها في الألوهية نصيب.
• अल्लाह के सिवा जिन पूज्यों की पूजा की जाती है, वे केवल ऐसे नाम हैं जिनका कोई तथ्य नहीं है, उनका उलूहियत (देवत्व) में कोई भाग नहीं है।

• استغلال المناسبات للدعوة إلى الله، كما استغلها يوسف عليه السلام في السجن.
• अवसरों का अल्लाह की तरफ़ बुलाने के लिए उपयोग करना, जैसा कि यूसुफ़ अलैहिस्सलाम ने जेल में उसका उपयोग किया।

 
மொழிபெயர்ப்பு வசனம்: (42) அத்தியாயம்: ஸூரா யூஸுப்
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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