அல்குர்ஆன் மொழிபெயர்ப்பு - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - மொழிபெயர்ப்பு அட்டவணை


மொழிபெயர்ப்பு வசனம்: (16) அத்தியாயம்: ஸூரா அல்இஸ்ரா
وَاِذَاۤ اَرَدْنَاۤ اَنْ نُّهْلِكَ قَرْیَةً اَمَرْنَا مُتْرَفِیْهَا فَفَسَقُوْا فِیْهَا فَحَقَّ عَلَیْهَا الْقَوْلُ فَدَمَّرْنٰهَا تَدْمِیْرًا ۟
और जब हम किसी बस्ती को उसके अत्याचार के कारण विनष्ट करना चाहते हैं, तो उन लोगों को आज्ञाकारिता का आदेश देते हैं, जिन्हें नेमतों ने सरकश व अभिमानी बना दिया होता है, तो वे बात नहीं मानते। बल्कि अवहेलना और अवज्ञा का रवैया अपनाते हैं। फिर उनपर विनाशकारी यातना की बात सिद्ध हो जाती है, तो हम उन्हें समूल विनष्ट कर देते हैं।
அரபு விரிவுரைகள்:
இப்பக்கத்தின் வசனங்களிலுள்ள பயன்கள்:
• من اهتدى بهدي القرآن كان أكمل الناس وأقومهم وأهداهم في جميع أموره.
• जो व्यक्ति क़ुरआन के द्वारा मार्गदर्शन प्राप्त करता है, वह लोगों में सबसे पूर्ण, सबसे उत्तम और अपने सभी मामलों में सबसे अधिक हिदायत वाला है।

• التحذير من الدعوة على النفس والأولاد بالشر.
• स्वयं पर तथा संतान पर बद्दुआ करने से सावधान करना।

• اختلاف الليل والنهار بالزيادة والنقص وتعاقبهما، وضوء النهار وظلمة الليل، كل ذلك دليل على وحدانية الله ووجوده وكمال علمه وقدرته.
• रात और दिन का घटना और बढ़ना तथा उनका एक-दूसरे के बाद आना, दिन का उजाला और रात का अंधेरा, यह सब अल्लाह की एकता, उसके अस्तित्व तथा उसके ज्ञान एवं शक्ति की पूर्णता के प्रमाण हैं।

• تقرر الآيات مبدأ المسؤولية الشخصية، عدلًا من الله ورحمة بعباده.
• अल्लाह की ओर से न्याय और उसके अपने बंदों पर दया के तौर पर, ये आयतें व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी के सिद्धांत को स्थापित करती हैं।

 
மொழிபெயர்ப்பு வசனம்: (16) அத்தியாயம்: ஸூரா அல்இஸ்ரா
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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