அல்குர்ஆன் மொழிபெயர்ப்பு - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - மொழிபெயர்ப்பு அட்டவணை


மொழிபெயர்ப்பு வசனம்: (44) அத்தியாயம்: ஸூரா அல்அன்பியா
بَلْ مَتَّعْنَا هٰۤؤُلَآءِ وَاٰبَآءَهُمْ حَتّٰی طَالَ عَلَیْهِمُ الْعُمُرُ ؕ— اَفَلَا یَرَوْنَ اَنَّا نَاْتِی الْاَرْضَ نَنْقُصُهَا مِنْ اَطْرَافِهَا ؕ— اَفَهُمُ الْغٰلِبُوْنَ ۟
बल्कि हमने इन काफ़िरों और इनके बाप-दादों के लिए, उन्हें ढील देते हुए, दुनिया की नेमतें विस्तारित कर दीं, यहाँ तक कि उनपर लंबा समय बीत गया, तो इससे वे धोखे में पड़ गए, और अपने कुफ़्र पर क़ायम रहे। तो क्या हमारी नेमतों से धोखा खाने वाले और हमारी यातना के लिए जल्दी मचाने वाले ये काफ़िर नहीं देखते कि हम धरती के लोगों को पराजित करके, उसे उसके किनारों से कम करते आ रहे हैं। इसलिए उन्हें इससे सीख ग्रहण करना चाहिए ताकि उनके साथ भी वही न हो, जो दूसरों के साथ हुआ?! चुनाँचे ये लोग विजयी (प्रभावी) रहने वाले नहीं हैं, बल्कि ये पराजित (हारे हुए) हैं।
அரபு விரிவுரைகள்:
இப்பக்கத்தின் வசனங்களிலுள்ள பயன்கள்:
• بيان كفر من يستهزئ بالرسول، سواء بالقول أو الفعل أو الإشارة.
• इस बात का सबूत कि रसूल का मज़ाक उड़ाने वाला काफ़िर है, चाहे वह शब्द या कर्म या संकेत द्वारा हो।

• من طبع الإنسان الاستعجال، والأناة خلق فاضل.
• जल्दबाज़ी करना मनुष्य का स्वभाव है, जबकि संजीदगी एक अच्छा आचरण है।

• لا يحفظ من عذاب الله إلا الله.
• अल्लाह की यातना से उसके सिवा कोई नहीं बचा सकता।

• مآل الباطل الزوال، ومآل الحق البقاء.
• असत्य अन्ततः मिट जाता है और सत्य ही बाकी रहता है।

 
மொழிபெயர்ப்பு வசனம்: (44) அத்தியாயம்: ஸூரா அல்அன்பியா
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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