அல்குர்ஆன் மொழிபெயர்ப்பு - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - மொழிபெயர்ப்பு அட்டவணை


மொழிபெயர்ப்பு வசனம்: (72) அத்தியாயம்: ஸூரா அல்முஃமினூன்
اَمْ تَسْـَٔلُهُمْ خَرْجًا فَخَرَاجُ رَبِّكَ خَیْرٌ ۖۗ— وَّهُوَ خَیْرُ الرّٰزِقِیْنَ ۟
(ऐ रसूल!) क्या आपने उस (धर्म) पर जो आप इन लोगों के पास लेकर आए हैं, इनसे कोई पारिश्रमिक माँगा है, जिसके कारण वे निमंत्रण को अस्वीकार कर रहे हैं? यह तो आपके द्वारा नहीं हुआ है। क्योंकि आपके रब का सवाब और उसका बदला, इनके और इनके अलावा लोगों के बदले (पारिश्रमिक) से बेहतर है। और वह - महिमावान् - सब रोज़ी देने वालों से बेहतर है।
அரபு விரிவுரைகள்:
இப்பக்கத்தின் வசனங்களிலுள்ள பயன்கள்:
• خوف المؤمن من عدم قبول عمله الصالح.
• मोमिन को इस बात का डर लगा रहता है कि कहीं उसका सत्य कर्म अस्वीकार न कर दिया जाए।

• سقوط التكليف بما لا يُسْتطاع رحمة بالعباد.
• अल्लाह ने बंदों पर दया करते हुए उनपर किसी ऐसे कार्य की ज़िम्मेवारी नहीं डाली है, जो उनकी शक्ति से बाहर हो।

• الترف مانع من موانع الاستقامة وسبب في الهلاك.
• विलासिता सीधे रास्ते पर चलने में रुकावट और विनाश का कारण है।

• قصور عقول البشر عن إدراك كثير من المصالح.
• मानव बुद्धि की बहुत सारे हितों का बोध करने में विफलता।

 
மொழிபெயர்ப்பு வசனம்: (72) அத்தியாயம்: ஸூரா அல்முஃமினூன்
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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