அல்குர்ஆன் மொழிபெயர்ப்பு - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - மொழிபெயர்ப்பு அட்டவணை


மொழிபெயர்ப்பு வசனம்: (37) அத்தியாயம்: ஸூரா அஸ்ஸாபாத்
بَلْ جَآءَ بِالْحَقِّ وَصَدَّقَ الْمُرْسَلِیْنَ ۟
वास्तव में, उन्होंने बहुत बड़ा झूठा आरोप लगाया है। क्योंकि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम दीवाने या कवि नहीं थे। बल्कि आप वह क़ुरआन लेकर आए हैं, जो अल्लाह को एक मानने (एकेश्वरवाद) और उसके रसूल का अनुसरण करने का आह्वान करता है। तथा रसूलगण अल्लाह के पास से जो तौहीद (एकेश्वरवाद) और आख़िरत का प्रमाण लेकर आए थे, उसमें उनकी पुष्टि की है और किसी भी चीज़ में उनका विरोध नहीं किया है।
அரபு விரிவுரைகள்:
இப்பக்கத்தின் வசனங்களிலுள்ள பயன்கள்:
• سبب عذاب الكافرين: العمل المنكر؛ وهو الشرك والمعاصي.
• काफ़िरों की यातना का कारण : गलत कार्य है और वह बहुदेववाद और पाप है।

• من نعيم أهل الجنة أنهم نعموا باجتماع بعضهم مع بعض، ومقابلة بعضهم مع بعض، وهذا من كمال السرور.
• जन्नतियों को प्राप्त होने वाली नेमतों में से एक उनका एक-दूसरे से मिलना और एक-दूसरे के आमने-सामने बैठना है। और यह एक पूर्ण खुशी है।

 
மொழிபெயர்ப்பு வசனம்: (37) அத்தியாயம்: ஸூரா அஸ்ஸாபாத்
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