அல்குர்ஆன் மொழிபெயர்ப்பு - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - மொழிபெயர்ப்பு அட்டவணை


மொழிபெயர்ப்பு வசனம்: (22) அத்தியாயம்: ஸூரா அஸ்ஸுமர்
اَفَمَنْ شَرَحَ اللّٰهُ صَدْرَهٗ لِلْاِسْلَامِ فَهُوَ عَلٰی نُوْرٍ مِّنْ رَّبِّهٖ ؕ— فَوَیْلٌ لِّلْقٰسِیَةِ قُلُوْبُهُمْ مِّنْ ذِكْرِ اللّٰهِ ؕ— اُولٰٓىِٕكَ فِیْ ضَلٰلٍ مُّبِیْنٍ ۟
क्या वह आदमी, जिसके सीने को अल्लाह ने इस्लाम के लिए खोल दिया है, और उसने उसकी राह पा ली है, चुनाँचे वह अपने रब की ओर से अंतर्दृष्टि पर है, उस व्यक्ति के समान हो सकता है, जिसका दिल अल्लाह की याद से सख़्त हो गया है?! वे दोनों कभी भी बराबर नहीं हो सकते। चुनाँचे मोक्ष उनके लिए है जो हिदायत पाने वाले हैं और घाटा उन लोगों के लिए है, जिनके हृदय अल्लाह के स्मरण से कठोर हैं। ये लोग सत्य से स्पष्ट गुमराही में हैं।
அரபு விரிவுரைகள்:
இப்பக்கத்தின் வசனங்களிலுள்ள பயன்கள்:
• أهل الإيمان والتقوى هم الذين يخشعون لسماع القرآن، وأهل المعاصي والخذلان هم الذين لا ينتفعون به.
• ईमान और तक़्वा वाले ही वे लोग हैं, जो क़ुरआन सुनकर विनम्र हो जाते हैं, जबकि गुनाहगार और विफल लोग उससे लाभ नहीं उठाते हैं।

• التكذيب بما جاءت به الرسل سبب نزول العذاب إما في الدنيا أو الآخرة أو فيهما معًا.
• रसूलों के लाए हुए संदेश को झुठलाना, इस दुनिया में, या आख़िरत में, या दोनों में यातना के उतरने का कारण है।

• لم يترك القرآن شيئًا من أمر الدنيا والآخرة إلا بيَّنه، إما إجمالًا أو تفصيلًا، وضرب له الأمثال.
• क़ुरआन ने दुनिया और आख़िरत संबंधी किसी भी चीज़ को सार रूप से या विस्तार से स्पष्ट किए बिना नहीं छोड़ा, तथा उसके लिए उदाहरण भी प्रस्तुत किए हैं।

 
மொழிபெயர்ப்பு வசனம்: (22) அத்தியாயம்: ஸூரா அஸ்ஸுமர்
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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