அல்குர்ஆன் மொழிபெயர்ப்பு - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - மொழிபெயர்ப்பு அட்டவணை


மொழிபெயர்ப்பு வசனம்: (72) அத்தியாயம்: ஸூரா அந்நிஸா
وَاِنَّ مِنْكُمْ لَمَنْ لَّیُبَطِّئَنَّ ۚ— فَاِنْ اَصَابَتْكُمْ مُّصِیْبَةٌ قَالَ قَدْ اَنْعَمَ اللّٰهُ عَلَیَّ اِذْ لَمْ اَكُنْ مَّعَهُمْ شَهِیْدًا ۟
(ऐ मुसलमानो!) तुम्हारे अंदर कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो अपनी कायरता के कारण तुम्हारे दुश्मनों से लड़ाई के लिए निकलने से पीछे रहते हैं और दूसरों को भी पीछे रखते (रोकते) हैं। ये मुनाफ़िक़ और कमज़ोर ईमान वाले लोग हैं। फिर यदि तुम शहीद हो जाओ या तुम्हें पराजय का सामना करना पड़े, तो उनमें से एक अपनी सुरक्षा पर हर्षित होकर कहता है : अल्लाह ने मुझपर कृपा की है, इसलिए मैं उनके साथ लड़ाई में शामिल नहीं हुआ, नहीं तो मेरी भी वही हालत होती, जो इनकी हुई।
அரபு விரிவுரைகள்:
இப்பக்கத்தின் வசனங்களிலுள்ள பயன்கள்:
• فعل الطاعات من أهم أسباب الثبات على الدين.
• अच्छे कर्म करना धर्म पर दृढ़ता के सबसे महत्वपूर्ण कारणों में से एक है।

• أخذ الحيطة والحذر باتخاذ جميع الأسباب المعينة على قتال العدو، لا بالقعود والتخاذل.
• चौकसी और सावधानी बरतना दुश्मन से लड़ने के लिए सहायक सभी कारणों को अपनाकर होता है, न कि बैठकर और पीछे हटकर।

• الحذر من التباطؤ عن الجهاد وتثبيط الناس عنه؛ لأن الجهاد أعظم أسباب عزة المسلمين ومنع تسلط العدو عليهم.
• जिहाद से पीछे रहने और इससे लोगों को हतोत्साहित करने से सावधान रहना चाहिए; क्योंकि जिहाद मुसलमानों के गौरव व प्रतिष्ठा और उन पर दुश्मन के वर्चस्व और प्राबल्य को रोकने का सबसे महान कारण है।

 
மொழிபெயர்ப்பு வசனம்: (72) அத்தியாயம்: ஸூரா அந்நிஸா
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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