அல்குர்ஆன் மொழிபெயர்ப்பு - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - மொழிபெயர்ப்பு அட்டவணை


மொழிபெயர்ப்பு வசனம்: (16) அத்தியாயம்: ஸூரா அல்முஜாதலா
اِتَّخَذُوْۤا اَیْمَانَهُمْ جُنَّةً فَصَدُّوْا عَنْ سَبِیْلِ اللّٰهِ فَلَهُمْ عَذَابٌ مُّهِیْنٌ ۟
उन्होंने अपनी क़समों को, जो वे खाया करते थे, कुफ़्र के कारण क़त्ल होने से बचने के लिए ढाल बना ली, क्योंकि उन्होंने क़समों के माध्यम से अपनी जान और माल की रक्षा के लिए मुसलमान होने का दिखावा किया। इस तरह उन्होंने लोगों को सत्य से फेर दिया। क्योंकि वे मुसलमानों को कमज़ोर और हतोत्साहित करते थे। अतः उनके लिए अपमानजनक यातना है, जो उन्हें अपमानित और तिरस्कृत करेगी।
அரபு விரிவுரைகள்:
இப்பக்கத்தின் வசனங்களிலுள்ள பயன்கள்:
• لطف الله بنبيه صلى الله عليه وسلم؛ حيث أدَّب صحابته بعدم المشقَّة عليه بكثرة المناجاة.
• अल्लाह की अपने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर दया; क्योंकि आपके साथियों को यह शिष्टाचार सिखाया कि अधिक कानाफूसी करके आपको कष्ट न पहुँचाएँ।

• ولاية اليهود من شأن المنافقين.
• यहूदियों से दोस्ती रखना मुनाफ़िक़ों का काम है।

• خسران أهل الكفر وغلبة أهل الإيمان سُنَّة إلهية قد تتأخر، لكنها لا تتخلف.
• काफ़िरों का क्षतिग्रस्त होना और ईमान वालों को प्रभुत्व प्राप्त होना एक ईश्वरीय परंपरा है, जिसमें देरी हो सकती है, पर अंधेर नहीं।

 
மொழிபெயர்ப்பு வசனம்: (16) அத்தியாயம்: ஸூரா அல்முஜாதலா
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