పవిత్ర ఖురాన్ యొక్క భావార్థాల అనువాదం - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - అనువాదాల విషయసూచిక


భావార్ధాల అనువాదం వచనం: (105) సూరహ్: సూరహ్ యూనుస్
وَاَنْ اَقِمْ وَجْهَكَ لِلدِّیْنِ حَنِیْفًا ۚ— وَلَا تَكُوْنَنَّ مِنَ الْمُشْرِكِیْنَ ۟
तथा उसने मुझे यह भी आदेश दिया है कि मैं सत्य धर्म पर स्थापित रहूँ और सभी धर्मों से विमुख होकर उसी पर स्थिर रहूँ, और मुझे इस बात से मना किया है कि मैं उसके साथ शिर्क करने वालों में से होऊँ।
అరబీ భాషలోని ఖుర్ఆన్ వ్యాఖ్యానాలు:
ఈ పేజీలోని వచనాల ద్వారా లభించే ప్రయోజనాలు:
• الإيمان هو السبب في رفعة صاحبه إلى الدرجات العلى والتمتع في الحياة الدنيا.
• ईमान ही ईमान वाले को ऊँचे पदों पर पहुँचाने और इस दुनिया के जीवन का आनंद लेने का कारण है।

• ليس في مقدور أحد حمل أحد على الإيمان؛ لأن هذا عائد لمشيئة الله وحده.
• कोई भी किसी को ईमान लाने पर मजबूर नहीं कर सकता; क्योंकि यह केवल अल्लाह की इच्छा पर निर्भर है।

• لا تنفع الآيات والنذر من أصر على الكفر وداوم عليه.
• जो व्यक्ति कुफ़्र (अविश्वास) पर हठ करता है और निरंतर उसी पर जमा रहता है, उसे निशानियाँ और चेतावनियाँ लाभ नहीं देतीं।

• وجوب الاستقامة على الدين الحق، والبعد كل البعد عن الشرك والأديان الباطلة.
• सत्य धर्म पर मज़बूती से जमे रहना और बहुदेववाद तथा झूठे धर्मों से पूरी तरह से दूर रहना अनिवार्य है।

 
భావార్ధాల అనువాదం వచనం: (105) సూరహ్: సూరహ్ యూనుస్
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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