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పవిత్ర ఖురాన్ యొక్క భావార్థాల అనువాదం - హిందీ అనువాదం - అల్ ఖుర్ఆన్ అల్ కరీమ్ యొక్క సంక్షిప్త తఫ్సీర్ వ్యాఖ్యానం * - అనువాదాల విషయసూచిక


భావార్ధాల అనువాదం వచనం: (51) సూరహ్: హూద్
یٰقَوْمِ لَاۤ اَسْـَٔلُكُمْ عَلَیْهِ اَجْرًا ؕ— اِنْ اَجْرِیَ اِلَّا عَلَی الَّذِیْ فَطَرَنِیْ ؕ— اَفَلَا تَعْقِلُوْنَ ۟
ऐ मेरी जाति के लोगो! मैं अपने पालनहार की ओर से तुम्हें उपदेश देने और उसकी ओर तुम्हें आमंत्रित करने का कोई मुआवज़ा नहीं माँगता। मेरा बदला केवल उस अल्लाह पर है, जिसने मुझे पैदा किया है। तो क्या तुम यह नहीं समझते और मेरे आह्वान को स्वीकार नहीं करते?
అరబీ భాషలోని ఖుర్ఆన్ వ్యాఖ్యానాలు:
ఈ పేజీలోని వచనాల ద్వారా లభించే ప్రయోజనాలు:
• لا يملك الأنبياء الشفاعة لمن كفر بالله حتى لو كانوا أبناءهم.
• नबियों को अल्लाह के साथ कुफ़्र करने वालों की सिफ़ारिश करने का अधिकार नहीं है, भले ही वे उनके बेटे हों।

• عفة الداعية وتنزهه عما في أيدي الناس أقرب للقبول منه.
• अल्लाह की ओर बुलाने वाले व्यक्ति का लोगों के हाथों में जो कुछ है, उससे पवित्र होना इस बात के अधिक योग्य है कि उसकी बात को स्वीकार किया जाए।

• فضل الاستغفار والتوبة، وأنهما سبب إنزال المطر وزيادة الذرية والأموال.
• क्षमा याचना और तौबा की विशेषता और यह कि वे बारिश के उतरने तथा संतान और धन में वृद्धि के कारण हैं।

 
భావార్ధాల అనువాదం వచనం: (51) సూరహ్: హూద్
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పవిత్ర ఖురాన్ యొక్క భావార్థాల అనువాదం - హిందీ అనువాదం - అల్ ఖుర్ఆన్ అల్ కరీమ్ యొక్క సంక్షిప్త తఫ్సీర్ వ్యాఖ్యానం - అనువాదాల విషయసూచిక

ఇది తఫ్సీర్ అధ్యయన కేంద్రం ద్వారా విడుదల చేయబడింది.

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