పవిత్ర ఖురాన్ యొక్క భావార్థాల అనువాదం - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - అనువాదాల విషయసూచిక


భావార్ధాల అనువాదం వచనం: (39) సూరహ్: సూరహ్ అర్-రఅద్
یَمْحُوا اللّٰهُ مَا یَشَآءُ وَیُثْبِتُ ۖۚ— وَعِنْدَهٗۤ اُمُّ الْكِتٰبِ ۟
अल्लाह जिस भलाई, या बुराई, या सौभाग्य, या दुर्भाग्य को चाहता है, मिटा देता है और उनमें से जिसे चाहता है बाक़ी रखता है। और उसी के पास 'लौह़ -ए- महफ़ूज़' है। वह उन सब का संदर्भ है, और जो कुछ भी मिटाया जाता या बाक़ी रखा जाता है, उसी के अनुसार होता है, जो उसमें अंकित है।
అరబీ భాషలోని ఖుర్ఆన్ వ్యాఖ్యానాలు:
ఈ పేజీలోని వచనాల ద్వారా లభించే ప్రయోజనాలు:
• الترغيب في الجنة ببيان صفتها، من جريان الأنهار وديمومة الرزق والظل.
• जन्नत की विशेषताएँ, जैसे नहरों के प्रवाह और जीविका और छाया के स्थायित्व को बयान करके उसके लिए प्रोत्साहित करना।

• خطورة اتباع الهوى بعد ورود العلم وأنه من أسباب عذاب الله.
• ज्ञान के आगमन के बाद इच्छाओं का पालन करने का खतरा और यह कि वह अल्लाह की सज़ा के कारणों में से है।

• بيان أن الرسل بشر، لهم أزواج وذريات، وأن نبينا صلى الله عليه وسلم ليس بدعًا بينهم، فقد كان مماثلًا لهم في ذلك.
• इस बात का वर्णन कि रसूल इनसान थे। उनकी पत्नियाँ और बच्चे थे। और हमारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम उनके बीच कोई अनूठे नहीं हैं। क्योंकि आप उसमें उनके समान ही थे।

 
భావార్ధాల అనువాదం వచనం: (39) సూరహ్: సూరహ్ అర్-రఅద్
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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