పవిత్ర ఖురాన్ యొక్క భావార్థాల అనువాదం - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - అనువాదాల విషయసూచిక


భావార్ధాల అనువాదం వచనం: (108) సూరహ్: సూరహ్ అన్-నహల్
اُولٰٓىِٕكَ الَّذِیْنَ طَبَعَ اللّٰهُ عَلٰی قُلُوْبِهِمْ وَسَمْعِهِمْ وَاَبْصَارِهِمْ ۚ— وَاُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْغٰفِلُوْنَ ۟
ईमान लाने के बाद उससे फिर जाने वाले लोगों के दिलों पर अल्लाह ने मुहर लगा दी है, इसलिए वे उपदेशों को नहीं समझते, और उनके कानों में मुहर लगा दी है, इसलिए उन्हें लाभ उठाने के उद्देश्य से नहीं सुनते, और उनकी आँखों पर परदे डाल दिए हैं, इसलिए वे ईमान का प्रमाण प्रस्तुत करने वाली निशानियों को नहीं देखते। और यही लोग हैं, जो सौभाग्य और दुर्भाग्य के कारणों से, तथा उस यातना से ग़ाफ़िल हैं, जो अल्लाह ने उनके लिए तैयार की है।
అరబీ భాషలోని ఖుర్ఆన్ వ్యాఖ్యానాలు:
ఈ పేజీలోని వచనాల ద్వారా లభించే ప్రయోజనాలు:
• الترخيص للمُكرَه بالنطق بالكفر ظاهرًا مع اطمئنان القلب بالإيمان.
• मजबूर किए गए व्यक्ति को ज़ाहिरी तौर पर कुफ़्र का शब्द बोलने की छूट है, जबकि उसका दिल ईमान से संतुष्ट हो।

• المرتدون استوجبوا غضب الله وعذابه؛ لأنهم استحبوا الحياة الدنيا على الآخرة، وحرموا من هداية الله، وطبع الله على قلوبهم وسمعهم وأبصارهم، وجعلوا من الغافلين عما يراد بهم من العذاب الشديد يوم القيامة.
• इस्लाम से फिर जाने वाले अल्लाह के क्रोध और यातना के पात्र हुए; क्योंकि उन्होंने दुनिया के जीवन को आख़िरत की तुलना में पसंद किया। इसी कारण वे अल्लाह की हिदायत से वंचित कर दिए गए, और अल्लाह ने उनके दिलों, कानों और आँखों पर मुहर लगा दी और वे क़ियामत के दिन उन्हें मिलने वाली कठोर यातना से ग़ाफ़िल कर दिए गए।

• كَتَبَ الله المغفرة والرحمة للذين آمنوا، وهاجروا من بعد ما فتنوا، وصبروا على الجهاد.
• अल्लाह ने उन लोगों के लिए क्षमा और दया लिख दी है, जो ईमान लाए, आज़माइशों का सामना करने के बाद हिजरत की और जिहाद के मैदान में डटे रहे।

 
భావార్ధాల అనువాదం వచనం: (108) సూరహ్: సూరహ్ అన్-నహల్
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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