పవిత్ర ఖురాన్ యొక్క భావార్థాల అనువాదం - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - అనువాదాల విషయసూచిక


భావార్ధాల అనువాదం వచనం: (38) సూరహ్: సూరహ్ అల్-ఇస్రా
كُلُّ ذٰلِكَ كَانَ سَیِّئُهٗ عِنْدَ رَبِّكَ مَكْرُوْهًا ۟
उपर्युक्त सभी चीज़ों में से जो चीज़ बुरी है, वह (ऐ इनसान) तेरे पालनहार के निकट निषिद्ध है। उसके करने वाले से अल्लाह खुश नहीं होता, बल्कि उससे घृणा करता है।
అరబీ భాషలోని ఖుర్ఆన్ వ్యాఖ్యానాలు:
ఈ పేజీలోని వచనాల ద్వారా లభించే ప్రయోజనాలు:
• الأدب الرفيع هو رد ذوي القربى بلطف، ووعدهم وعدًا جميلًا بالصلة عند اليسر، والاعتذار إليهم بما هو مقبول.
• उच्च शिष्टाचार यह है कि आदमी संबंधियों को (कुछ न देने की स्थिति में) विनम्रतापूर्वक वापस लौटाए और उनसे आसानी पैदा होने के समय देने का सुंदर वादा करे और उनसे ऐसी चीज़ के द्वारा क्षमा चाहे जो स्वीकार्य हो।

• الله أرحم بالأولاد من والديهم؛ فنهى الوالدين أن يقتلوا أولادهم خوفًا من الفقر والإملاق وتكفل برزق الجميع.
• अल्लाह बच्चों पर उनके माता-पिता से अधिक दयालु है। इसी कारण उसने माता-पिता को निर्धनता और गरीबी के डर से अपने बच्चों की हत्या करने से मना किया है और सभी की आजीविका की ज़िम्मेदारी ली है।

• في الآيات دليل على أن الحق في القتل للولي، فلا يُقْتَص إلا بإذنه، وإن عفا سقط القصاص.
• इन आयतों में इस बात का प्रमाण है कि 'क़िसास' लेने का अधिकार वधित व्यक्ति के अभिभावक का है। अतः उसकी अनुमति के बिना क़िसास नहीं लिया जाएगा और उसके माफ़ कर देने पर क़िसास समाप्त हो जाएगा।

• من لطف الله ورحمته باليتيم أن أمر أولياءه بحفظه وحفظ ماله وإصلاحه وتنميته حتى يبلغ أشده.
• यह अनाथ के प्रति अल्लाह की दया और कृपा है कि उसने उसके अभिभावकों को उसकी रक्षा करने तथा उसके धन को संरक्षित करने, उसका सुधार करने और उसे बढ़ाने का आदेश दिया है, यहाँ तक कि वह परिपक्व हो जाए।

 
భావార్ధాల అనువాదం వచనం: (38) సూరహ్: సూరహ్ అల్-ఇస్రా
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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