పవిత్ర ఖురాన్ యొక్క భావార్థాల అనువాదం - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - అనువాదాల విషయసూచిక


భావార్ధాల అనువాదం వచనం: (209) సూరహ్: సూరహ్ అల్-బఖరహ్
فَاِنْ زَلَلْتُمْ مِّنْ بَعْدِ مَا جَآءَتْكُمُ الْبَیِّنٰتُ فَاعْلَمُوْۤا اَنَّ اللّٰهَ عَزِیْزٌ حَكِیْمٌ ۟
यदि तुम अपने पास संदेह रहित स्पष्ट प्रमाण आ जाने के पश्चात भी किसी त्रुटि और झुकाव में पड़ जाओ; तो जान लो कि अल्लाह अपनी शक्ति एवं वशीकरण में पराक्रमी है, अपने प्रबंधन एवं विधान में पूर्ण हिकमत वाला है। इसलिए उससे डरो और उसका सम्मान करो।
అరబీ భాషలోని ఖుర్ఆన్ వ్యాఖ్యానాలు:
ఈ పేజీలోని వచనాల ద్వారా లభించే ప్రయోజనాలు:
• التقوى حقيقة لا تكون بكثرة الأعمال فقط، وإنما بمتابعة هدي الشريعة والالتزام بها.
• वास्तविक 'तक़्वा' केवल बहुत सारे कार्यों से नहीं होता, बल्कि शरीयत के मार्गदर्शन का पालन करने और उसकी प्रतिबद्धता से होता है।

• الحكم على الناس لا يكون بمجرد أشكالهم وأقوالهم، بل بحقيقة أفعالهم الدالة على ما أخفته صدورهم.
• लोगों पर केवल उनके रूपों और उनकी बातों से कोई हुक्म नहीं लगाया जाता, बल्कि उनके उन कार्यों की वास्तविकता से लागू होता है, जो इंगित करता है कि उनके दिलों ने क्या छिपाया है।

• الإفساد في الأرض بكل صوره من صفات المتكبرين التي تلازمهم، والله تعالى لا يحب الفساد وأهله.
• धरती में उपद्रव करना अपने सभी रूपों में अभिमानियों का आवश्यक गुण है, और अल्लाह उपद्रव और उपद्रवकारियों को पसंद नहीं करता।

• لا يكون المرء مسلمًا حقيقة لله تعالى حتى يُسَلِّم لهذا الدين كله، ويقبله ظاهرًا وباطنًا.
• एक व्यक्ति अल्लाह तआला के लिए उस समय तक सच्चा मुसलमान नहीं बन सकता, जब तक कि वह इस समग्र धर्म के प्रति समर्पण नहीं करता और इसे बाहरी और आंतरिक रूप से स्वीकार नहीं करता।

 
భావార్ధాల అనువాదం వచనం: (209) సూరహ్: సూరహ్ అల్-బఖరహ్
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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