పవిత్ర ఖురాన్ యొక్క భావార్థాల అనువాదం - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - అనువాదాల విషయసూచిక


భావార్ధాల అనువాదం వచనం: (75) సూరహ్: సూరహ్ అల్-హజ్
اَللّٰهُ یَصْطَفِیْ مِنَ الْمَلٰٓىِٕكَةِ رُسُلًا وَّمِنَ النَّاسِ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ سَمِیْعٌ بَصِیْرٌ ۟ۚ
अल्लाह तआला फ़रिश्तों में से कुछ संदेशवाहकों को चुनता है और इसी तरह इनसानों में से कुछ संदेशवाहकों को चुनता है। चुनाँचे वह कुछ फ़रिश्तों को नबियों के पास भेजता है, जैसे जिबरील अलैहिस्सलाम को इनसानों में से रसूलों के पास भेजा, तथा इनसानों में से रसूलों को लोगों के पास भेजता है। निःसंदेह अल्लाह उन बातों को सुनने वाला है, जो मुश्रिक लोग उसके रसूलों के बारे में कहते हैं, उसे देखने वाला है, जिसे वह अपने संदेश के लिए चुनता है।
అరబీ భాషలోని ఖుర్ఆన్ వ్యాఖ్యానాలు:
ఈ పేజీలోని వచనాల ద్వారా లభించే ప్రయోజనాలు:
• أهمية ضرب الأمثال لتوضيح المعاني، وهي طريقة تربوية جليلة.
• अर्थ को स्पष्ट करने के लिए उदाहरण प्रस्तुत करने का महत्व। और यह एक महान शैक्षणिक पद्धति है।

• عجز الأصنام عن خلق الأدنى دليل على عجزها عن خلق غيره.
• मूर्तियों की अत्यंत तुच्छ चीज़ को पैदा करने में अक्षमता, उसके अलावा चीज़ों को भी पैदा करने में उनकी अक्षमता का प्रमाण है।

• الإشراك بالله سببه عدم تعظيم الله.
• अल्लाह के साथ साझी बनाने का कारण, उसका आदर न करना है।

• إثبات صفتي القوة والعزة لله، وأهمية أن يستحضر المؤمن معاني هذه الصفات.
• अल्लाह के लिए 'क़ुव्वत' (शक्ति) और 'इज़्ज़त' (गौरव, प्रभुत्व) के गुणों को साबित करना। और इस बात का महत्व कि इनसान इन गुणों के अर्थों को हमेशा दिमाग़ में रखे।

 
భావార్ధాల అనువాదం వచనం: (75) సూరహ్: సూరహ్ అల్-హజ్
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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