పవిత్ర ఖురాన్ యొక్క భావార్థాల అనువాదం - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - అనువాదాల విషయసూచిక


భావార్ధాల అనువాదం వచనం: (68) సూరహ్: సూరహ్ అల్-ము్మిన్
اَفَلَمْ یَدَّبَّرُوا الْقَوْلَ اَمْ جَآءَهُمْ مَّا لَمْ یَاْتِ اٰبَآءَهُمُ الْاَوَّلِیْنَ ۟ؗ
क्या इन अनेकेश्वरवादियों ने अल्लाह के उतारे हुए क़ुरआन पर विचार नहीं किया कि उसप ईमान लाते और उसके अनुसार कार्य करते, या क्या उनके पास कोई ऐसी चीज़ आई है, जो उनसे पहले उनके पूर्वजों के पास नहीं आई, इसलिए वे इससे दूर हो गए और इसका इनकार कर दिया?!
అరబీ భాషలోని ఖుర్ఆన్ వ్యాఖ్యానాలు:
ఈ పేజీలోని వచనాల ద్వారా లభించే ప్రయోజనాలు:
• خوف المؤمن من عدم قبول عمله الصالح.
• मोमिन को इस बात का डर लगा रहता है कि कहीं उसका सत्य कर्म अस्वीकार न कर दिया जाए।

• سقوط التكليف بما لا يُسْتطاع رحمة بالعباد.
• अल्लाह ने बंदों पर दया करते हुए उनपर किसी ऐसे कार्य की ज़िम्मेवारी नहीं डाली है, जो उनकी शक्ति से बाहर हो।

• الترف مانع من موانع الاستقامة وسبب في الهلاك.
• विलासिता सीधे रास्ते पर चलने में रुकावट और विनाश का कारण है।

• قصور عقول البشر عن إدراك كثير من المصالح.
• मानव बुद्धि की बहुत सारे हितों का बोध करने में विफलता।

 
భావార్ధాల అనువాదం వచనం: (68) సూరహ్: సూరహ్ అల్-ము్మిన్
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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