పవిత్ర ఖురాన్ యొక్క భావార్థాల అనువాదం - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - అనువాదాల విషయసూచిక


భావార్ధాల అనువాదం వచనం: (42) సూరహ్: సూరహ్ అల్-ఫుర్ఖాన్
اِنْ كَادَ لَیُضِلُّنَا عَنْ اٰلِهَتِنَا لَوْلَاۤ اَنْ صَبَرْنَا عَلَیْهَا ؕ— وَسَوْفَ یَعْلَمُوْنَ حِیْنَ یَرَوْنَ الْعَذَابَ مَنْ اَضَلُّ سَبِیْلًا ۟
निश्चय यह हमें हमारे देवताओं की पूजा करने से दूर करने वाला था। यदि हम उनकी पूजा करने पर जमे न रहते, तो वह अपने तर्कों और सबूतों के साथ हमें उससे दूर कर देता। तथा जब वे अपनी क़ब्रों में और क़ियामत के दिन अज़ाब देखेंगे, तो जान लेंगे कि कौन सबसे अधिक रास्ते से भटका हुआ था? क्या वे लोग का अथवा रसूल? तथा यह भी जान लेंगे कि उनमें से कौन सबसे ज़्यादा गुमराह था।
అరబీ భాషలోని ఖుర్ఆన్ వ్యాఖ్యానాలు:
ఈ పేజీలోని వచనాల ద్వారా లభించే ప్రయోజనాలు:
• الكفر بالله والتكذيب بآياته سبب إهلاك الأمم.
• अल्लाह का इनकार करना तथा उसकी आयतों को झुठलाना समुदायों के विनाश का कारण रहा है।

• غياب الإيمان بالبعث سبب عدم الاتعاظ.
• पुनर्जीवन पर ईमान का अभाव, सीख ग्रहण न करने का कारण है।

• السخرية بأهل الحق شأن الكافرين.
• सच्चे लोगों का मज़ाक़ उड़ाना काफिरों का काम है।

• خطر اتباع الهوى.
• इच्छाओं का पालन करने का जोखिम।

 
భావార్ధాల అనువాదం వచనం: (42) సూరహ్: సూరహ్ అల్-ఫుర్ఖాన్
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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