పవిత్ర ఖురాన్ యొక్క భావార్థాల అనువాదం - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - అనువాదాల విషయసూచిక


భావార్ధాల అనువాదం వచనం: (56) సూరహ్: సూరహ్ అన్-నమల్
فَمَا كَانَ جَوَابَ قَوْمِهٖۤ اِلَّاۤ اَنْ قَالُوْۤا اَخْرِجُوْۤا اٰلَ لُوْطٍ مِّنْ قَرْیَتِكُمْ ۚ— اِنَّهُمْ اُنَاسٌ یَّتَطَهَّرُوْنَ ۟
उनकी जाति के पास इसके सिवा कोई उत्तर नहीं था कि उन्होंने कहा : लूत के परिवार को अपनी बस्ती से निकाल दो। ये ऐसे लोग हैं जो गंदगी और अशुद्धता से बड़े पवित्र बनते हैं। उन्होंने यह बात लूत के परिवार का मज़ाक उड़ाते हुए कही थी, जो उनके द्वारा किए जाने वाले घिनौने कामों में हिस्सा नहीं लेते थे, बल्कि उन्हें करने पर उनकी निंदा करते थे।
అరబీ భాషలోని ఖుర్ఆన్ వ్యాఖ్యానాలు:
ఈ పేజీలోని వచనాల ద్వారా లభించే ప్రయోజనాలు:
• لجوء أهل الباطل للعنف عندما تحاصرهم حجج الحق.
• असत्यवादी लोग जब सत्य के तर्कों से घिर जाते हैं, तो हिंसा का सहारा लेते हैं।

• رابطة الزوجية دون الإيمان لا تنفع في الآخرة.
• ईमान के बिना वैवाहिक बंधन आख़िरत में लाभ नहीं देगा।

• ترسيخ عقيدة التوحيد من خلال التذكير بنعم الله.
• अल्लाह की नेमतों को याद दिलाकर एकेश्वरवाद के अक़ीदे को दिलों में मज़बूत करना।

• كل مضطر من مؤمن أو كافر فإن الله قد وعده بالإجابة إذا دعاه.
• हर व्याकुल व्यक्ति, चाहे मोमिन हो या काफ़िर, अल्लाह ने उसकी प्रार्थना को क़बूल करने का वादा किया है, यदि वह उससे प्रार्थना करता है।

 
భావార్ధాల అనువాదం వచనం: (56) సూరహ్: సూరహ్ అన్-నమల్
సూరాల విషయసూచిక పేజీ నెంబరు
 
పవిత్ర ఖురాన్ యొక్క భావార్థాల అనువాదం - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم - అనువాదాల విషయసూచిక

الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

మూసివేయటం