పవిత్ర ఖురాన్ యొక్క భావార్థాల అనువాదం - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - అనువాదాల విషయసూచిక


భావార్ధాల అనువాదం వచనం: (27) సూరహ్: సూరహ్ అన్-నిసా
وَاللّٰهُ یُرِیْدُ اَنْ یَّتُوْبَ عَلَیْكُمْ ۫— وَیُرِیْدُ الَّذِیْنَ یَتَّبِعُوْنَ الشَّهَوٰتِ اَنْ تَمِیْلُوْا مَیْلًا عَظِیْمًا ۟
अल्लाह चाहता है कि तुम्हारी तौबा क़बूल करे और तुम्हारे पापों को क्षमा कर दे, जबकि अपनी इच्छाओं के पीछे चलने वाले चाहते हैं कि तुम हिदायत के मार्ग से बहुत दूर हो जाओ।
అరబీ భాషలోని ఖుర్ఆన్ వ్యాఖ్యానాలు:
ఈ పేజీలోని వచనాల ద్వారా లభించే ప్రయోజనాలు:
• سعة رحمة الله بعباده؛ فهو سبحانه يحب التوبة منهم، والتخفيف عنهم، وأما أهل الشهوات فإنما يريدون بهم ضلالًا عن الهدى.
• अल्लाह की अपने बंदों के प्रति विस्तृत दया; चुनाँचे अल्लाह अपने बंदों की तौबा को पसंद करता है और उनके लिए आसानी पैदा करना चाहता है। जबकि इच्छाओं के पीछे चलने वाले लोग, उन्हें हिदायत (मार्गदर्शन) से भटकाना चाहते हैं।

• حفظت الشريعة حقوق الناس؛ فحرمت الاعتداء على الأنفس والأموال والأعراض، ورتبت أعظم العقوبة على ذلك.
• शरीयत ने लोगों के अधिकारों को संरक्षित किया है; चुनाँचे लोगों की जानों, धनों और इस्मतों (सतीत्व) पर हमला को हराम क़रार दिया है और उसके लिए सबसे बड़ी सज़ा की व्यवस्था की है।

• الابتعاد عن كبائر الذنوب سبب لدخول الجنة ومغفرة للصغائر.
• बड़े गुनाहों से दूर रहना, जन्नत में प्रवेश और छोटे गुनाहों की क्षमा का कारण है।

• الرضا بما قسم الله، وترك التطلع لما في يد الناس؛ يُجنِّب المرء الحسد والسخط على قدر الله تعالى.
• अल्लाह के आवंटन के प्रति संतुष्टि और और लोगों के हाथों में जो कुछ है, उसकी आकांक्षा को छोड़ देना; मनुष्य को ईर्ष्या तथा अल्लाह के फ़ैसले पर असंतोष से बचाता है।

 
భావార్ధాల అనువాదం వచనం: (27) సూరహ్: సూరహ్ అన్-నిసా
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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