పవిత్ర ఖురాన్ యొక్క భావార్థాల అనువాదం - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - అనువాదాల విషయసూచిక


భావార్ధాల అనువాదం వచనం: (37) సూరహ్: సూరహ్ అష్-షురా
وَالَّذِیْنَ یَجْتَنِبُوْنَ كَبٰٓىِٕرَ الْاِثْمِ وَالْفَوَاحِشَ وَاِذَا مَا غَضِبُوْا هُمْ یَغْفِرُوْنَ ۟ۚ
जो लोग बड़े-बड़े पापों और घृणित कामों से दूर रहते हैं, और जब वे किसी ऐसे व्यक्ति पर क्रोधित होते हैं, जिसने उन्हें अपने वचन या कर्म से ठेस पहुँचाई है, तो वे उसकी ग़लती को क्षमा कर देते हैं और उसे उसपर दंडित नहीं करते हैं। यह क्षमादान उनकी ओर से कृपा के तौर पर होता है, जब उसमें कोई भलाई और हित हो।
అరబీ భాషలోని ఖుర్ఆన్ వ్యాఖ్యానాలు:
ఈ పేజీలోని వచనాల ద్వారా లభించే ప్రయోజనాలు:
• الصبر والشكر سببان للتوفيق للاعتبار بآيات الله.
• धैर्य और धन्यवाद (सब्र एवं शुक्र), अल्लाह की निशानियों से शिक्षा ग्रहण करने की तौफ़ीक़ के दो कारण हैं।

• مكانة الشورى في الإسلام عظيمة.
• इस्लाम में शूरा (परस्पर परामर्श) का स्थान बहुत महान है।

• جواز مؤاخذة الظالم بمثل ظلمه، والعفو خير من ذلك.
• ज़ालिम को उसके ज़ुल्म के समान सज़ा देना जायज़ है, परंतु क्षमा कर देना उससे बेहतर है।

 
భావార్ధాల అనువాదం వచనం: (37) సూరహ్: సూరహ్ అష్-షురా
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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