పవిత్ర ఖురాన్ యొక్క భావార్థాల అనువాదం - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - అనువాదాల విషయసూచిక


భావార్ధాల అనువాదం వచనం: (70) సూరహ్: సూరహ్ అల్-మాఇదహ్
لَقَدْ اَخَذْنَا مِیْثَاقَ بَنِیْۤ اِسْرَآءِیْلَ وَاَرْسَلْنَاۤ اِلَیْهِمْ رُسُلًا ؕ— كُلَّمَا جَآءَهُمْ رَسُوْلٌۢ بِمَا لَا تَهْوٰۤی اَنْفُسُهُمْ ۙ— فَرِیْقًا كَذَّبُوْا وَفَرِیْقًا یَّقْتُلُوْنَ ۟ۗ
हमने बनी इसराईल से सुनने और मानने का दृढ़ वचन लिया, और हमने उनकी ओर रसूल भेजे ताकि उन्हें अल्लाह की शरीयत (नियम) पहुँचाएँ। परंतु उन्होंने उस वचन को तोड़ दिया जो उनसे लिया गया था, तथा उन्होंने अपनी इच्छाओं के पीछे चलते हुए उस चीज़ से उपेक्षा की जो उनके रसूल उनके पास लेकर आए थे, तथा उनमें से कुछ को झुठला दिया तथा कुछ को क़त्ल कर दिया।
అరబీ భాషలోని ఖుర్ఆన్ వ్యాఖ్యానాలు:
ఈ పేజీలోని వచనాల ద్వారా లభించే ప్రయోజనాలు:
• العمل بما أنزل الله تعالى سبب لتكفير السيئات ودخول الجنة وسعة الأرزاق.
• अल्लाह की उतारी हुई शरीयत के अनुसार कार्य करना, पापों का प्रायश्चित करने, जन्नत में प्रवेश तथा जीविका में विस्तार का कारण है।

• توجيه الدعاة إلى أن التبليغ المُعتَدَّ به والمُبْرِئ للذمة هو ما كان كاملًا غير منقوص، وفي ضوء ما ورد به الوحي.
• अल्लाह की ओर बुलाने वालों को यह निर्देश देना कि विश्वसनीय और ज़िम्मेदारी को समाप्त करने वाला धर्म प्रचार वह है, जो परिपूर्ण हो उसमें कोई कमी न हो, तथा वह़्य में वर्णित तरीक़े अनुसार हो।

• لا يُعْتد بأي معتقد ما لم يُقِمْ صاحبه دليلًا على أنه من عند الله تعالى.
• कोई भी अक़ीदा (आस्था) तब तक मान्य नहीं है, जब तक कि उसका धारक इस बात का प्रमाण न दे कि वह सर्वशक्तिमान अल्लाह की ओर से है।

 
భావార్ధాల అనువాదం వచనం: (70) సూరహ్: సూరహ్ అల్-మాఇదహ్
సూరాల విషయసూచిక పేజీ నెంబరు
 
పవిత్ర ఖురాన్ యొక్క భావార్థాల అనువాదం - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم - అనువాదాల విషయసూచిక

الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

మూసివేయటం