పవిత్ర ఖురాన్ యొక్క భావార్థాల అనువాదం - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - అనువాదాల విషయసూచిక


భావార్ధాల అనువాదం వచనం: (2) సూరహ్: సూరహ్ అల్-ముజాదిలహ్
اَلَّذِیْنَ یُظٰهِرُوْنَ مِنْكُمْ مِّنْ نِّسَآىِٕهِمْ مَّا هُنَّ اُمَّهٰتِهِمْ ؕ— اِنْ اُمَّهٰتُهُمْ اِلَّا الّٰٓـِٔیْ وَلَدْنَهُمْ ؕ— وَاِنَّهُمْ لَیَقُوْلُوْنَ مُنْكَرًا مِّنَ الْقَوْلِ وَزُوْرًا ؕ— وَاِنَّ اللّٰهَ لَعَفُوٌّ غَفُوْرٌ ۟
जो लोग अपनी पत्नियों से 'ज़िहार' करते हैं; इस प्रकार कि उनमें से कोई अपनी पत्नी से कहता है : ''तुम मुझपर मेरी माँ की पीठ की तरह हो", वे अपनी इस बात में झूठे हैं। क्योंकि उनकी पत्नियाँ उनकी माँएँ नहीं हैं। बल्कि उनकी माँएँ केवल वे स्त्रियाँ हैं, जिन्होंने उन्हें जन्म दिया। वे इस तरह की बात कहकर निश्चित रूप से एक घृणित बात और झूठ कहते हैं। और अल्लाह बहुत माफ़ करने वाला, अत्यंत क्षमाशील है। इसलिए उसने उन्हें पाप से मुक्त करने हेतु उनके लिए 'कफ़्फ़ारा' (प्रायश्चित) का नियम बनाया है।
అరబీ భాషలోని ఖుర్ఆన్ వ్యాఖ్యానాలు:
ఈ పేజీలోని వచనాల ద్వారా లభించే ప్రయోజనాలు:
• لُطْف الله بالمستضعفين من عباده من حيث إجابة دعائهم ونصرتهم.
• अल्लाह की अपने कमज़ोर बंदों पर दया कि वह उनकी दुआ स्वीकार करता तथा उनकी सहायता करता है।

• من رحمة الله بعباده تنوع كفارة الظهار حسب الاستطاعة ليخرج العبد من الحرج.
• अल्लाह की अपने बंदों पर दया का एक प्रतीक यह है कि उसने 'ज़िहार' के 'कफ़्फ़ारा' में क्षमता के अनुसार विविधता रखी है। ताकि बंदा तंगी से बच जाए।

• في ختم آيات الظهار بذكر الكافرين؛ إشارة إلى أنه من أعمالهم، ثم ناسب أن يورد بعض أحوال الكافرين.
• 'ज़िहार' की आयतों का काफिरों के उल्लेख पर समापन करने में; यह संकेत है कि यह उनके कार्यों में से है। फिर उचित था कि काफ़िरों के कुछ हालात का उल्लेख किया जाए।

 
భావార్ధాల అనువాదం వచనం: (2) సూరహ్: సూరహ్ అల్-ముజాదిలహ్
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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