పవిత్ర ఖురాన్ యొక్క భావార్థాల అనువాదం - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - అనువాదాల విషయసూచిక


భావార్ధాల అనువాదం వచనం: (154) సూరహ్: సూరహ్ అల్-అన్ఆమ్
ثُمَّ اٰتَیْنَا مُوْسَی الْكِتٰبَ تَمَامًا عَلَی الَّذِیْۤ اَحْسَنَ وَتَفْصِیْلًا لِّكُلِّ شَیْءٍ وَّهُدًی وَّرَحْمَةً لَّعَلَّهُمْ بِلِقَآءِ رَبِّهِمْ یُؤْمِنُوْنَ ۟۠
फिर जो कुछ उल्लेख किया गया उससे सूचित करने के बाद, हम यह बताते हैं कि हमने मूसा को, उनके अच्छे काम के लिए बदला के रूप में अनुग्रह को पूरा करने के लिए, धर्म में उनकी ज़रूरत की हर चीज़ की व्याख्या के रूप में, तथा सच्चाई के सबूत और दया के रूप में, तौरात प्रदान की, इस उम्मीद में कि वे क़ियामत के दिन अपने पालनहार से मिलने पर ईमान लाएँ, ताकि वे नेक कामों के साथ उसके लिए तैयारी करें।
అరబీ భాషలోని ఖుర్ఆన్ వ్యాఖ్యానాలు:
ఈ పేజీలోని వచనాల ద్వారా లభించే ప్రయోజనాలు:
• لا يجوز التصرف في مال اليتيم إلّا في حدود مصلحته، ولا يُسلَّم ماله إلّا بعد بلوغه الرُّشْد.
• यतीम (अनाथ) के धन को केवल उसके हितों की सीमा के भीतर ही खर्च करना जायज़ है। तथा उसे उसका धन तब तक नहीं सौंपा जाएगा जब तक कि वह परिपक्वता को नहीं पहुंँच जाता।

• سبل الضلال كثيرة، وسبيل الله وحده هو المؤدي إلى النجاة من العذاب.
• गुमराही के मार्ग बहुत-से हैं, परंतु केवल अल्लाह का मार्ग ही यातना से मुक्ति की ओर ले जाने वाला है।

• اتباع هذا الكتاب علمًا وعملًا من أعظم أسباب نيل رحمة الله.
• ज्ञान और कर्म में इस किताब का अनुसरण करना, अल्लाह की दया प्राप्त करने के सबसे बड़े कारणों में से एक है।

 
భావార్ధాల అనువాదం వచనం: (154) సూరహ్: సూరహ్ అల్-అన్ఆమ్
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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