పవిత్ర ఖురాన్ యొక్క భావార్థాల అనువాదం - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - అనువాదాల విషయసూచిక


భావార్ధాల అనువాదం వచనం: (115) సూరహ్: సూరహ్ అల్-అరాఫ్
قَالُوْا یٰمُوْسٰۤی اِمَّاۤ اَنْ تُلْقِیَ وَاِمَّاۤ اَنْ نَّكُوْنَ نَحْنُ الْمُلْقِیْنَ ۟
जादूगरों ने मूसा पर अपनी जीत के बारे में आश्वस्त होकर, घमंड और अहंकार से कहा : (ऐ मूसा!) आप जो चाहें चुन लें, कि आप उस चीज़ को फेंकने की शुरुआत करेंगे जो आप फेंकना चाहते हैं, यह हम ही उसकी शुरुआत करें।
అరబీ భాషలోని ఖుర్ఆన్ వ్యాఖ్యానాలు:
ఈ పేజీలోని వచనాల ద్వారా లభించే ప్రయోజనాలు:
• من حكمة الله ورحمته أن جعل آية كل نبي مما يدركه قومه، وقد تكون من جنس ما برعوا فيه.
• यह अल्लाह की हिकमत तथा दया में से है कि उसने हर नबी को ऐसी निशानी प्रदान की, जाे उनकी जाति की समझ में आ सके। तथा कभी-कभी निशानी ऐसी होती है जिसमें उस जाति के लोग माहिर होते हैं।

• أنّ فرعون كان عبدًا ذليلًا مهينًا عاجزًا، وإلا لما احتاج إلى الاستعانة بالسحرة في دفع موسى عليه السلام.
• वास्तव में फिरऔन एक अपमानित, तुच्छ और असहाय बंदा था। अन्यथा उसे मूसा अलैहिस्सलाम का मुक़ाबला करने के लिए जादूगरों की मदद लेने की आवश्यकता न पड़ती।

• يدل على ضعف السحرة - مع اتصالهم بالشياطين التي تلبي مطالبهم - طلبهم الأجر والجاه عند فرعون.
• जादूगरों का फिरऔन से इनाम और पद-प्रतिष्ठा का अनुरोध करना (जबकि शैतानों के साथ उनके संपर्क होते हैं, जो उनकी माँगों को पूरा करते हैं) उनकी कमज़ोरी को इंगित करता है।

 
భావార్ధాల అనువాదం వచనం: (115) సూరహ్: సూరహ్ అల్-అరాఫ్
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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