పవిత్ర ఖురాన్ యొక్క భావార్థాల అనువాదం - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - అనువాదాల విషయసూచిక


భావార్ధాల అనువాదం వచనం: (5) సూరహ్: సూరహ్ అల్-అన్ఫాల్
كَمَاۤ اَخْرَجَكَ رَبُّكَ مِنْ بَیْتِكَ بِالْحَقِّ ۪— وَاِنَّ فَرِیْقًا مِّنَ الْمُؤْمِنِیْنَ لَكٰرِهُوْنَ ۟ۙ
जिस प्रकार अल्लाह पाक ने, युद्ध में प्राप्त धन को विभाजित करने का मामला, उसके विभाजन के बारे में तुम्हारी असहमति और विवाद के बाद, तुम्हारे हाथ से ले लिया और उसे अल्लाह एवं उसके रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के अधिकार में दे दिया, उसी तरह आपके पालनहार ने (ऐ रसूल!) आपपर वह़्य उतारकर, बहुदेववादियों से युद्ध करने के लिए आपको मदीना से निकलने का आदेश दिया है, हालाँकि मोमिनों के एक गिरोह को यह पसंद नहीं था।
అరబీ భాషలోని ఖుర్ఆన్ వ్యాఖ్యానాలు:
ఈ పేజీలోని వచనాల ద్వారా లభించే ప్రయోజనాలు:
• ينبغي للعبد أن يتعاهد إيمانه ويُنمِّيه؛ لأن الإيمان يزيد وينقص، فيزيد بفعل الطاعة وينقص بضدها.
• बंदे को चाहिए कि अपने ईमान की देखभाल करता रहे और उसे बढ़ाता रहे, क्योंकि ईमान घटता और बढ़ता है। वह आज्ञाकारिता से बढ़ता है और उसके विपरीत (अवज्ञा) से घटता है।

• الجدال محله وفائدته عند اشتباه الحق والتباس الأمر، فأما إذا وضح وبان فليس إلا الانقياد والإذعان.
• बहस की गुंजाइश और उसकी उपयोगिता उस समय है, जब सत्य संदिग्ध हो और मामला उलझा हुआ हो, लेकिन जब सत्य स्पष्ट हो जाए, तो स्वीकारने और आज्ञापालन करने के अलावा कोई चारा नहीं रह जाता।

• أَمْر قسمة الغنائم متروك للرّسول صلى الله عليه وسلم، والأحكام مرجعها إلى الله تعالى ورسوله لا إلى غيرهما.
• ग़नीमतों (युद्ध में प्राप्त धन) को विभाजित करने का मामला रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर छोड़ दिया गया है, तथा सभी अहकाम केवल अल्लाह और उसके रसूल की ओर लौटाए जाते हैं, किसी अन्य की ओर नहीं।

• إرادة تحقيق النّصر الإلهي للمؤمنين؛ لإحقاق الحق وإبطال الباطل.
• सत्य को सत्य कर दिखाने और असत्य का असत्य होना सिद्ध करने के लिए अल्लाह की ओर से ईमान वालों को विजय प्रदान करने की इच्छा।

 
భావార్ధాల అనువాదం వచనం: (5) సూరహ్: సూరహ్ అల్-అన్ఫాల్
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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