పవిత్ర ఖురాన్ యొక్క భావార్థాల అనువాదం - హిందీ అనువాదం * - అనువాదాల విషయసూచిక

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భావార్ధాల అనువాదం వచనం: (22) సూరహ్: సూరహ్ అన్-నూర్
وَلَا یَاْتَلِ اُولُوا الْفَضْلِ مِنْكُمْ وَالسَّعَةِ اَنْ یُّؤْتُوْۤا اُولِی الْقُرْبٰی وَالْمَسٰكِیْنَ وَالْمُهٰجِرِیْنَ فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ ۪ۖ— وَلْیَعْفُوْا وَلْیَصْفَحُوْا ؕ— اَلَا تُحِبُّوْنَ اَنْ یَّغْفِرَ اللّٰهُ لَكُمْ ؕ— وَاللّٰهُ غَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟
और तुममें से प्रतिष्ठा और विस्तार वाले (धनी) लोग, नातेदारों और निर्धनों और अल्लाह की राह में हिजरत करने वालों को देने से क़सम न खा लें। और उन्हें चाहिए कि क्षमा कर दें तथा जाने दें! क्या तुम पसंद नहीं करते कि अल्लाह तुम्हें क्षमा कर दे?! और अल्लाह अति क्षमाशील, अत्यंत दयावान् है।
16. आदरणीय मिसतह़ पुत्र उसासा (रज़ियल्लाहु अन्हु) निर्धन और आदरणीय अबू बक्र (रज़ियल्लाहु अन्हु) के समीपवर्ती थे। और वह उनकी सहायता किया करते थे। वह भी आदरणीय आظशा (रज़ियल्लाहु अन्हा) के विरुद्ध आक्षेप में लिप्त हो गए थे। अतः आदरणीय आयशा के निर्दोष होने के बारे में आयतें उतरने के पश्चात् आदरणीय अबू बक्र ने शपथ ली कि अब वह मिसतह़ की कोई सहायता नहीं करेंगे। उसी पर यह आयत उतरी। और उन्होंने कहा : निश्चय मैं चाहता हूँ कि अल्लाह मुझे क्षमा कर दे। और पुनः उनकी सहायता करने लगे। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4750)
అరబీ భాషలోని ఖుర్ఆన్ వ్యాఖ్యానాలు:
 
భావార్ధాల అనువాదం వచనం: (22) సూరహ్: సూరహ్ అన్-నూర్
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పవిత్ర ఖురాన్ యొక్క భావార్థాల అనువాదం - హిందీ అనువాదం - అనువాదాల విషయసూచిక

ఖుర్ఆన్ యొక్క అర్థాలను హిందీలోకి అనువదించడం. దాని అనువాదకులు అజీజుల్ హఖ్ ఉమరి.

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