పవిత్ర ఖురాన్ యొక్క భావార్థాల అనువాదం - హిందీ అనువాదం * - అనువాదాల విషయసూచిక

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భావార్ధాల అనువాదం వచనం: (27) సూరహ్: సూరహ్ అన్-నూర్
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا لَا تَدْخُلُوْا بُیُوْتًا غَیْرَ بُیُوْتِكُمْ حَتّٰی تَسْتَاْنِسُوْا وَتُسَلِّمُوْا عَلٰۤی اَهْلِهَا ؕ— ذٰلِكُمْ خَیْرٌ لَّكُمْ لَعَلَّكُمْ تَذَكَّرُوْنَ ۟
ऐ ईमान वालो![18] अपने घरों के सिवा अन्य घरों में प्रवेश न करो, यहाँ तक कि अनुमति ले लो और उनके रहने वालों को सलाम कर लो।[19] यह तुम्हारे लिए उत्तम है, ताकि तुम याद रखो।
18. सूरत के आरंभ में ये आदेश दिए गए थे कि समाज में कोई बुराई हो जाए, तो उसका निवारण कैसे किया जाए? अब वे आदेश दिए जा रहे हैं जिनसे समाज में बुराइयों को जन्म लेने ही से रोक दिया जाए। 19. ह़दीस में इसका नियम यह बताया गया है कि (द्वार पर दाएँ या बाएँ खड़े होकर) सलाम करो। फिर कहो कि क्या भीतर आ जाऊँ? ऐसे तीन बार करो, और अनुमति न मिलने पर वापस हो जाओ। (बुख़ारी : 6245, मुस्लिम : 2153)
అరబీ భాషలోని ఖుర్ఆన్ వ్యాఖ్యానాలు:
 
భావార్ధాల అనువాదం వచనం: (27) సూరహ్: సూరహ్ అన్-నూర్
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పవిత్ర ఖురాన్ యొక్క భావార్థాల అనువాదం - హిందీ అనువాదం - అనువాదాల విషయసూచిక

ఖుర్ఆన్ యొక్క అర్థాలను హిందీలోకి అనువదించడం. దాని అనువాదకులు అజీజుల్ హఖ్ ఉమరి.

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