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పవిత్ర ఖురాన్ యొక్క భావార్థాల అనువాదం - హిందీ అనువాదం - అజీజుల్ హఖ్ ఉమ్రీ * - అనువాదాల విషయసూచిక

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భావార్ధాల అనువాదం సూరహ్: అన్-నిసా   వచనం:
مَنْ یُّطِعِ الرَّسُوْلَ فَقَدْ اَطَاعَ اللّٰهَ ۚ— وَمَنْ تَوَلّٰی فَمَاۤ اَرْسَلْنٰكَ عَلَیْهِمْ حَفِیْظًا ۟ؕ
जिसने रसूल की आज्ञा का पालन किया, (वास्तव में) उसने अल्लाह की आज्ञा का पालन किया तथा जिसने मुँह फेर लिया, तो (ऐ नबी!) हमने आपको उनपर संरक्षक बनाकर नहीं भेजा[55] है।
55. अर्थात आपका कर्तव्य अल्लाह का संदेश पहुँचाना है, उनके कर्मों तथा उन्हें सीधी डगर पर लगा देने का दायित्व आप पर नहीं है।
అరబీ భాషలోని ఖుర్ఆన్ వ్యాఖ్యానాలు:
وَیَقُوْلُوْنَ طَاعَةٌ ؗ— فَاِذَا بَرَزُوْا مِنْ عِنْدِكَ بَیَّتَ طَآىِٕفَةٌ مِّنْهُمْ غَیْرَ الَّذِیْ تَقُوْلُ ؕ— وَاللّٰهُ یَكْتُبُ مَا یُبَیِّتُوْنَ ۚ— فَاَعْرِضْ عَنْهُمْ وَتَوَكَّلْ عَلَی اللّٰهِ ؕ— وَكَفٰی بِاللّٰهِ وَكِیْلًا ۟
तथा वे (आपके सामने) कहते हैं कि हम आज्ञाकारी हैं। परन्तु, जब वे आपके पास से चले जाते हैं, तो उनमें से एक गिरोह, आपकी बात के विरुद्ध रात में षड्यंत्र करता है। जो कुछ वे षड्यंत्र करते है, अल्लाह उसे लिख रहा है। अतः आप उनसे मुँह फेर लें और अल्लाह पर भरोसा रखें, तथा अल्लाह का कार्यसाधक होना काफ़ी है।
అరబీ భాషలోని ఖుర్ఆన్ వ్యాఖ్యానాలు:
اَفَلَا یَتَدَبَّرُوْنَ الْقُرْاٰنَ ؕ— وَلَوْ كَانَ مِنْ عِنْدِ غَیْرِ اللّٰهِ لَوَجَدُوْا فِیْهِ اخْتِلَافًا كَثِیْرًا ۟
तो क्या वे क़ुरआन पर चिंतन मनन नहीं करते? यदि वह अल्लाह के सिवा किसी और की ओर से होता, तो वे उसमें बहुत-सा अंतर्विरोध (असंगति) पाते।[56]
56. अर्थात जो व्यक्ति क़ुरआन पर चिंतन करेगा, उसपर यह तथ्य खुल जाएगा कि क़ुरआन अल्लाह की वाणी है।
అరబీ భాషలోని ఖుర్ఆన్ వ్యాఖ్యానాలు:
وَاِذَا جَآءَهُمْ اَمْرٌ مِّنَ الْاَمْنِ اَوِ الْخَوْفِ اَذَاعُوْا بِهٖ ؕ— وَلَوْ رَدُّوْهُ اِلَی الرَّسُوْلِ وَاِلٰۤی اُولِی الْاَمْرِ مِنْهُمْ لَعَلِمَهُ الَّذِیْنَ یَسْتَنْۢبِطُوْنَهٗ مِنْهُمْ ؕ— وَلَوْلَا فَضْلُ اللّٰهِ عَلَیْكُمْ وَرَحْمَتُهٗ لَاتَّبَعْتُمُ الشَّیْطٰنَ اِلَّا قَلِیْلًا ۟
और जब उनके पास सुरक्षा या भय की कोई सूचना आती है, तो उसे चारों ओर फैला देते हैं। हालाँकि, यदि वे उसे अल्लाह के रसूल तथा अपने में से प्राधिकारियों की ओर लौटा देते, तो उनमें से जो लोग उसका सही निष्कर्ष निकाल सकते हैं, उसकी वास्तविकता को अवश्य जान लेते। और यदि तुमपर अल्लाह की अनुकंपा तथा दया न होती, तो तुममें से कुछ को छोड़कर, सब शैतान का अनुसरण करने लगते।[57]
57. इस आयत द्वारा यह निर्देश दिया जा रहा है कि जब भी साधारण शांति या भय की कोई सूचना मिले तो उसे अधिकारियों तथा शासकों तक पहुँचा दिया जाए।
అరబీ భాషలోని ఖుర్ఆన్ వ్యాఖ్యానాలు:
فَقَاتِلْ فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ ۚ— لَا تُكَلَّفُ اِلَّا نَفْسَكَ وَحَرِّضِ الْمُؤْمِنِیْنَ ۚ— عَسَی اللّٰهُ اَنْ یَّكُفَّ بَاْسَ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا ؕ— وَاللّٰهُ اَشَدُّ بَاْسًا وَّاَشَدُّ تَنْكِیْلًا ۟
अतः (ऐ नबी!) आप अल्लाह के मार्ग में युद्ध करें। आपपर अपने सिवा किसी और की ज़िम्मेदारी नहीं है। तथा ईमान वालों को (युद्ध के लिए) उभारें। संभव है कि अल्लाह काफ़िरों का बल तोड़ दे। अल्लाह बड़ा शक्तिशाली और बहुत कठोर दंड देने वाला है।
అరబీ భాషలోని ఖుర్ఆన్ వ్యాఖ్యానాలు:
مَنْ یَّشْفَعْ شَفَاعَةً حَسَنَةً یَّكُنْ لَّهٗ نَصِیْبٌ مِّنْهَا ۚ— وَمَنْ یَّشْفَعْ شَفَاعَةً سَیِّئَةً یَّكُنْ لَّهٗ كِفْلٌ مِّنْهَا ؕ— وَكَانَ اللّٰهُ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ مُّقِیْتًا ۟
जो अच्छी सिफ़ारिश करेगा, उसके लिए उसमें से हिस्सा होगा तथा जो बुरी सिफ़ारिश करेगा, उसके लिए उसमें से हिस्सा[58] होगा, और अल्लाह प्रत्येक चीज़ का साक्षी व संरक्षक है।
58. आयत का भावार्थ यह है कि अच्छाई तथा बुराई में किसी की सहायता करने का भी पुण्य और पाप मिलता है।
అరబీ భాషలోని ఖుర్ఆన్ వ్యాఖ్యానాలు:
وَاِذَا حُیِّیْتُمْ بِتَحِیَّةٍ فَحَیُّوْا بِاَحْسَنَ مِنْهَاۤ اَوْ رُدُّوْهَا ؕ— اِنَّ اللّٰهَ كَانَ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ حَسِیْبًا ۟
और जब तुमसे सलाम किया जाए, तो उससे अच्छा उत्तर दो अथवा उसी को दोहरा दो। निःसंदेह अल्लाह प्रत्येक चीज़ का ह़िसाब लेने वाला है।
అరబీ భాషలోని ఖుర్ఆన్ వ్యాఖ్యానాలు:
 
భావార్ధాల అనువాదం సూరహ్: అన్-నిసా
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